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Navratri Day 5 Puja: इस विधि, मंत्र और आरती से करें नवरात्रि के दिन देवी स्कंदमाता की पूजा! मिलेगा संतान का वरदान

पांचवा नवरात्रि का दिन पांचवी दुर्गा देवी स्कंदमाता को समर्पित हैं। जिन लोगों के संतान नहीं है उन्हें स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। स्कंदमाता की पूजा से संतान की प्राप्ति होती है। देवी स्कंदमाता दुःख दूर करने वाली देवी हैं। पारिवारिक खुशहाली और सुखी जीवन के लिए भी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की पूजा कार्य में सफलता और मोक्ष प्राप्ति के रूप में भी की जाती है। स्कंदमाता की कृपा से पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

पहले हमने चौथे नवरात्रि पर माता कुष्मांडा की पूजा के बारे में जाना और आज हम पांचवें नवरात्र के बारे में जानेंगे जो 13 अप्रैल को है। इस दिन बैसाखी भी मनाई जाती है। तो आइए जानते हैं कि नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा कैसे करें, मां प्रकृति क्या हैं, उनके मंत्र और आरती क्या हैं। साथ ही जानते हैं की माता का प्रिय भोग क्या है।

कौन हैं माँ स्कंदमाता (Maa Skandamata Puja in Navratri 2024)

देवी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है क्योंकि वह भगवान स्कंद की माता हैं। भगवान स्कंद को “कुमार कार्तिकेय” के नाम से भी जाना जाता है। वह प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने। पुराणों में उनकी प्रसिद्धि कुमार और शक्तिधर के रूप में वर्णित है और उनका वाहन मोर है। स्कंदमाता की मूर्ति में भगवान स्कंदजी शिशु रूप में उनकी गोद में विराजमान हैं। वह कमल के फूल के आधार पर विराजमान हैं, इसीलिए उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। शास्त्र कहते हैं कि नवरात्रि पूजा के पांचवें दिन का बहुत महत्व है।

कैसा है स्कंदमाता का स्वरुप (Maa Skandamata Form in Hindi)

भगवती छान्दोग्य उपनिषद के संस्थापक स्कन्दकुमार की माता का नाम है। इसलिए, उनकी मां, पांचवीं देवी दुर्गा, जो समृद्धि की शक्ति की प्रमुख देवी हैं, को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है। यह देवी अपने लौकिक रूप में सिंह पर विराजमान रहती हैं। मां दुर्गा के इस स्वरूप के दोनों हाथों में कमल का फूल और एक हाथ में उनकी गोद में ब्रह्मस्वरूप स्कंदकुमार हैं। इस दुर्गा को विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है और इसमें ज्ञान, विज्ञान, धर्म, श्रम और कृषि के सभी क्षेत्रों को शामिल करने वाले पांच खंड शामिल हैं। इस देवी की पूजा करते समय अखंड ज्योत रखना और धनुष-बाण चढ़ाना भी एक अच्छा शगुन माना जाता है।

ऐसे करें देवी स्कंदमाता की पूजा (Chaitra Navratri 4th Day Puja Vidhi)

Chaitra Navratri 4th Day Puja Vidhi

स्कंदमाता मंत्र (Navratri Day 5 Mantra)

स्कंदमाता की आरती (Devi Skandamata Aarti)

जय तेरी हो स्कंदमाता,

पांचवां नाम तुम्हारा आता।

सब के मन की जानन हारी,

जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,

हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।

कई नामों से तुझे पुकारा,

मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता

कहीं पहाड़ों पर है डेरा,

कई शहरो में तेरा बसेरा।

हर मंदिर में तेरे नजारे,

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता

भक्ति अपनी मुझे दिला दो,

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।

इंद्र आदि देवता मिल सारे,

करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,

तुम ही खंडा हाथ उठाएं।

दास को सदा बचाने आईं,

चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता

माँ स्कंदमाता का प्रिय भोग (Mata Skandamata Bhog)

मां को पीली वस्तुएं पसंद हैं इसलिए केसर वाली खीर बनाकर मां को भोग लगाएं। केले का भोग भी माता को प्रिय है। बुद्धि बढ़ाने के लिए देवी मां को 6 इलायची चढ़ाकर स्वयं सेवन करें। फिर “बृं स्कंजन्यायै नमः” मंत्र का जाप करें। स्कंदमाता को कमल के फूल बहुत प्रिय हैं इसलिए आप मां को कमल के फूल अर्पित कर सकते हैं।

पौराणिक मान्यता है कि इनकी पूजा से भगवान कार्तिकेय की पूजा स्वत: हो जाती है और स्कंदमाता की पूजा से संतान प्राप्ति जाती है। उनकी पूजा के माध्यम से, विश्वासियों को स्वास्थ्य, बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है। उनकी पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों को पूर्ण शांति और खुशी का अनुभव होने लगता है। सौर मंडल की सर्वोच्च देवी के रूप में, उनके उपासक अलौकिक प्रकाश और वैभव से संपन्न होते हैं। संतान सुख और रोग मुक्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए।

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

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