bhaktiaanand.com

Navratri Day 4 Puja: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, जानिए पूजा विधि, मंत्र और भोग

Navratri 4th Day Puja: देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए नवरात्रि काल को सबसे अच्छा समय माना जाता है। जो साधक पूरी निष्ठा से मां की पूजा करता है उसे चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) की प्राप्ति होती है। बीते दिन हमने आपको मां  चंद्रघंटा की पूजा के बारे में बताया। नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा की महिमामयी छवि मां कूष्मांडा को समर्पित है। अगर हम इस साल कि बात करें तो चैत्र मास की चतुर्थी नवरात्रि 12 अप्रैल 2024 को होगी और उस दिन शुक्रवार होगा। धार्मिक विशेषज्ञों के अनुसार मां कूष्मांडा की पूजा हमेशा शांत मन से करनी चाहिए। आइये मां  कूष्मांडा के विषय में विस्तार से जानते हैं और उनकी पूजा विधि, विशेष मंत्र और प्रिय रंग तथा भोग के बारे में जानते हैं।

कौन हैं मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda Puja in Navratri 2024)

मां कुष्मांडा पुरे ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली देवी हैं। जब कुछ भी अस्तित्व में नहीं था, तब कूष्मांडा देवी ने अपनी हंसी से इस ब्रह्मांड की रचना की। सूर्य के समान तेज वाली देवी अपने दिव्य तेज़ के कारण सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता रखती हैं।  देवी मां  अतुलनीय है। इनकी आभा से समस्त दिशाएँ और ब्रह्माण्ड प्रभावित होते हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्ट, दुख और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। दिन-रात उनकी पूजा करने से आप उनकी आभा को महसूस कर सकते हैं। देवी अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और वैभव देती हैं। देवी मां अपने भक्त की पूजा से शीघ्र प्रसन्न होती हैं।

कैसा है माता कुष्मांडा का स्वरुप (Chaitra Navratri 4th Day Puja Vidhi)

नवरात्रि उत्सव के चौथे दिन की मुख्य देवी देवी कूष्मांडा हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब संसार अंधकार में था, तब माता ने अपनी मंद मुस्कान से संसार की रचना की। इसीलिए उन्हें ब्रह्मांडीय आदि स्वरूपा या आदिशक्ति भी कहा जाता है। मां  का रूप बहुत ही सुन्दर और अनोखा है। उनकी आठ भुजाएं हैं जिनमें  धनुष-बाण, कमंडल, कमल, अमृत कलश, चक्र और गदा हैं। इन अष्टभुजा माता के आठवें हाथ में सिद्धि और निधि जप की माला है। वह शेर की सवारी करती हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी को कद्दू(कुम्हड़ा) बहुत पसंद है इसलिए माता को उसकी भेंट देना चाहिए। इस सब्जी को कूष्मांड भी कहा जाता है। देवी का नाम कूष्मांडा भी इसी आधार पर पड़ा। देवी सूर्यमंडल में ही निवास करती हैं। केवल वे ही  सूर्य का तेज और तपन सहन कर सकती हैं।

ऐसे करें देवी कूष्मांडा की पूजा (Maa Kushmanda Puja Vidhi)

Navratri 4th Puja Vidhi

 देवी कूष्मांडा मंत्र (Navratri Day 4 Puja Mantra)

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

देवी कूष्माण्डा का बीज मंत्र – ऐं ह्री देव्यै नम:

मां कूष्मांडा का प्रिय रंग और भोग (Mata Kushmanda Bhog aur Rang)

पूजा के दौरान मां कूष्मांडा को हलवा, मीठा दही या मालपुआ का भोग लगाना चाहिए और इस प्रसाद को न केवल स्वीकार करना चाहिए बल्कि इसे ब्राह्मणों को भी खिलाना चाहिए। मां कूष्मांडा को दही और हलवे का भोग लगाएं। फिर उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य श्रृंगार अर्पित करें। इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। सच्चे मन से देवी मां की अखंड ज्योत जलाकर पूजा करने से आपको समृद्धि मिल सकती हैं। मां कूष्मांडा को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा के दौरान उन्हें गुड़हल, लाल गुलाब जैसे लाल फूल चढ़ाए जा सकते हैं, जिससे देवी प्रसन्न होती हैं।

ऐसा माना जाता है कि केवल माता की करुणा के माध्यम से ही व्यक्ति इस लोक से लेकर परलोक तक सुख प्राप्त कर सकता है। देवी पुराण के अनुसार इस दिन चार कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं। हरा रंग प्रकृति का रंग माना जाता है। मान्यता है की देवी प्रकृति भक्तों के अनुरोध पर या उन पर अपना आशीर्वाद प्रदान करने के लिए विभिन्न रूप धारण करती हैं। आप भी अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संकटों से रक्षा के लिए मां कूष्मांडा के आशीर्वाद ले सकते हैं। कुवांरी लड़कियां जब मां कूष्मांडा की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है। शादीशुदा महिलाएं अखंड सौभाग्य का सुख भोगती हैं।

यह भी पढ़ें 

  1. April Vrat Tyohar List 2024
  2. Krishna Aarti Lyrics in Hindi
  3. Vishnu Mantra
  4. Om Jai Jagdish Hare Aarti
  5. Vishnu Chalisa in Hindi

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

Exit mobile version