Site icon bhaktiaanand.com

Aarti Kunj Bihari ki Lyrics: कुंज बिहारी जी की आरती, पढ़िए महत्त्व और लाभ

Aarti Kunj Bihari ki Lyrics in Hindi

भगवान कृष्ण हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार परम भगवान हैं। वे प्रत्येक रूप में संसार के कण-कण में विराजित हैं। उनके भक्त पूरे विश्व में व्याप्त हैं और अनेकों प्रकार से उन्हें प्रसन्न करने के प्रयत्न करते हैं। धार्मिक मत है कि भगवान श्रीकृष्ण के शरणागत रहने वाले साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही अंत काल में भवसागर से मुक्ति अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान कृष्ण की पूजा में आरती गान का अपना ही महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण संग प्रिय श्री राधा रानी की इस आरती को गाने से वातावरण आनंदमय हो जाता है। आज के लेख में हम आपको श्री कुंजबिहारी जी की आरती और उससे होने वाले लाभों के साथ पूजा की विधि बताने वाले हैं।

कुंज बिहारी जी की आरती (Aarti Kunj Bihari ki Shri Girdhar Krishna Murari ki)

भगवान कृष्ण के अनेकों नाम हैं। उन्हें मधुसुदन, माधव, गोविन्द, केशव, नारायण, हरि, कुंज बिहारी आदि नामों से पुकारा जाता हैं। भगवान कृष्ण की पूजा में मंत्र, भजन-कीर्तन आदि के अतिरिक्त आरती का बहुत महत्त्व है। अगर आप भी भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो उनकी पूजा में कुंज बिहारी जी की आरती जरूर करें क्योंकि आरती के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होती।  कुंज बिहारीजी की आरती करते समय शंख, घंटी और करताल बजाते हुए भक्ति भाव से परिवार सहित पूजन करें।

श्री कुंज बिहारी आरती लिरिक्स (Aarti Kunj Bihari ki Lyrics in Hindi)

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

गले में बैजंती माला,

बजावे मुरली मधुर बाला, 

श्रवण में कुंडल झलकाला,

 नन्द के आनंद नन्दलाला।।

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली,

 लटन में ठाढ़े बनमाली।।

भ्रमर सो अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक

ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्रीगिरीधर कृष्ण मुरारी की। आरती ।।

कनकमय मोर मुकुट बिलसे,

देवता दर्शन को तरसे,

गगन सो सुमन रासी बरसे,

बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती।।

जहाँ ते प्रकट भई गंगा,

कलुष कलि हरिणी श्री गंगा,

स्मरण से होत मोह भंगा,

बसी शिव शीष, जटा के बीच, हरे अघ कीच

चरण छवि श्री बनवारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की। आरती।।

चमकती उज्जवल तट रेणु,

बज रही वृन्दावन बेणु,

चहूँ दिशी गोपी ग्वाल धेनु,

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटक भव फंद

टेर सुन दीन भिखारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की। आरती।।

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की…

आरती पाठ की विधि (Aarti Kunj Bihari ki Path Vidhi)

श्री कुंज बिहारी जी की आरती के लाभ (Kunj Bihari ji ki Aarti ke Labh)

भगवान कृष्ण के नाम का जाप ही दुखों को दूर करने में समर्थ है, तो फिर उनके चरित्र की व्याख्या करने वाली आरती की महिमा का वर्णन करना तो बहुत कठिन है। अगर शुद्ध भाव से भगवान कृष्ण की आरती की जाए तो बहुत शुभ लाभ मिलता है।

कृष्ण भक्तों के लिए यह आरती अमृत के सागर के समान है। इस गायन से वातावरण में सकारात्मकता आती है। भगवान कृष्ण के स्वरूप का गुणगान करने वाली यह आरती मानसिक शांति भी प्रदान करती है। इस आरती को कहने से व्यक्ति को दरिद्रता से छुटकारा मिलता है और सामाजिक स्तर पर मान-सम्मान भी मिलता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान कृष्ण की आरती पर नृत्य करते हैं। यह आरती कृष्ण मंदिरों में प्रतिदिन पढ़ी जाती है।

यह भी पढ़ें

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

Exit mobile version