Shri Ram Chalisa: भगवान श्रीराम सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय भगवानों में से एक हैं। श्रीराम की पूजा मर्यादा पुरुषोत्तम, आदर्श पुत्र, पति, भाई, और राजा के रूप में की जाती है। आज भी लोग श्रीराम के जीवन, चरित्र, और शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं। अगर किसी व्यक्ति को भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त हो जाये तो उसके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आने के साथ उसके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
भगवान श्रीराम को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम उपाय है, श्रीराम चालीसा का पाठ। नियमित रूप से श्रीराम चालीसा का पाठ करने से भगवान श्रीराम प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाना चाहते हैं तो रोज़ाना श्री राम चालीसा का पाठ करें।
श्री राम चालीसा का महत्व (Shri Ram Chalisa Ka Mahatva)
हिन्दू धर्म में भगवान श्री राम की पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। श्री राम का नाम जपने से काम, क्रोध, लोभ, और मोह से मुक्ति मिलती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से श्री राम चालीसा का पाठ करता है उसे मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है। रोज़ाना राम चालीसा का पाठ करने से आपको कार्य में सफलता प्राप्त होगी। अगर आप रोज़ाना पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ राम चालीसा का पाठ करते हैं तो भगवान रामचंद्र जी की कृपादृष्टि आपके ऊपर हमेशा बनी रहेगी।
श्री राम चालीसा के फायदे (Shri Ram Chalisa Ke Fayde)
- जो व्यक्ति नियमित रूप से श्री राम चालीसा का पाठ करता है उसे अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
- नियमित रूप से श्रीराम चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- राम चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के सब दुख दूर हो जाते हैं।
- श्री राम चालीसा के पाठ से भगवान हनुमान जी प्रसन्न हो जाते हैं। हनुमान जी आपकी सभी संकटों से रक्षा करते हैं।
- राम चालीसा पढ़ने से मानसिक तनाव दूर हो होगा और मन शांत रहता है। राम चालीसा के पाठ से मन के अंदर की बुराई समाप्त हो जाती है।
- राम चलीसा का पाठ और राम जी की आरती करने से पारिवारिक क्लेश नहीं होता है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है।
श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला। सदा करो सन्तन प्रतिपाला॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना॥
तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं। दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा। पावत कोउ न तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुँ न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लषन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई। युद्ध जुरे यमहूँ किन होई॥
महा लक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगल कारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरनन चित लावै। ताको मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहीं राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
रामा आत्मा पोषण हारे। जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्य-ब्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जापति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुमहीं हो हमरे तन मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरि दास कहै अरु गावै। सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय॥
श्री राम पूजन विधि (Shri Ram Pujan Vidhi)
- श्री राम की पूजा करने के लिए प्रातःकाल जल्दी उठकर अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- अब अपने घर के पूजा घर में अपने सामने एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछाकर भगवान राम की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें।
- अब भगवान राम की तस्वीर के समक्ष कलश की स्थापना करें।
- इसके बाद कुमकुम से भगवान राम को तिलक लगाने के बाद कलश को भी तिलक लगाएं।
- अब राम जी की तस्वीर के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें और भगवान को फूल माला अर्पित करें।
- अब भगवान श्रीराम को अबीर, गुलाल, रोली, आदि चीजें अर्पित करें।
- इसके बाद श्रीराम को पीले वस्त्र और जनेऊ चढ़ाएं।
- अब भगवान श्रीराम को पान अर्पित करें और पूजा के समय मन में भगवान राम के नाम का जाप करते रहें।
- अब श्रीराम को केसरिया खीर का भोग लगाएं।
- अंत में श्री राम जी की आरती करें।