Vishnu Mantra in Hindi: पौराणिक हिन्दू ग्रंथों में भगवान विष्णु को तीन सर्वशक्तिशाली देवों में से एक माना जाता है। अन्य दो देव हैं, ब्रह्मा और शिव। ब्रह्मा सृष्टि के सृजन, विष्णु संसार के पालन और शिव जी संहार के उत्तरदायी माने जाते हैं।
भगवान विष्णु को ‘नारायण’ या ‘हरि’ कहकर भी संबोधित किया जाता है। इनकी पूजा के कई विधान हैं क्योंकि इनके अनेक अवतार हैं। जिन क्षेत्रों में इन्होनें अवतार लिए, वहीं की मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग रूप एवं विधियों से विष्णु जी की आराधना की जाती है।
सभी देवी-देवताओं के पूजन में उनके बीजमंत्रों एवं अन्य मंत्रों के प्रयोग से उनका ध्यान किया जाता है। इस लेख में हम आपको बतायेंगे की भगवान विष्णु की स्तुति करने के मुख्य मंत्र एवं बीजमंत्र और उनके पाठ से क्या लाभ होगा। साथ ही हम जानेंगे इन मंत्रों के जाप की विधि।
विष्णु मंत्र पाठ के लाभ (Vishnu Mantra Benefits in Hindi)
विष्णु जी के मंत्रों का निरंतर जप एवं पूजा करने से भक्तों का जीवन आनंदमय और मंगलमय हो जाता है। भगवान विष्णु के साथ भक्त को माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है जिससे उसे आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
उसका आध्यत्मिक, सांसारिक और व्यावसायिक जीवन अच्छा हो जाता है और वह सभी कठिनाइयों पर विजय प्राप्त लेता है। जीवन में सुख और शांति मिलती है। इससे पिछले जन्मों के बुरे कर्म भी नष्ट होते हैं और मोक्ष मिलता है।
हिन्दू धर्मं में पूजा, यज्ञ और अनुष्ठानो में मंत्रों का विशेष महत्व है। ऋगवैदिक काल में प्रतिमाओं की पूजा न करके मंत्रों के माध्यम से यज्ञ करके ही पूजा की जाती थी। विष्णु जी के मंत्रों के जाप से स्तुति करने वाले भक्त पर सदैव उनकी कृपा बनी रहती है।
विष्णु मंत्र (Vishnu Mantra Lyrics in Hindi)
भगवान विष्णु के मुख्य मंत्र
भगवान विष्णु को संसार का पालनहार और भाग्यविधाता माना जाता है। पूरे देश में उनकी पूजा की जाती है क्योंकि वे सर्वशक्तिशाली हैं और अपने भक्तों को कभी पीढ़ा में नहीं देख सकते। वे अपने भक्त की रक्षा के लिए सदैव उपस्थित रहते हैं और उन्हें विकट परिस्थितियों से उबारते हैं।
वैसे तो भगवान विष्णु की स्तुति करने के लिए अनेक मंत्र हैं परन्तु कुछ ऐसे मुख्य मंत्र हैं जिनका उच्चारण जितना सरल है, लाभ उतना ही अधिक है।
विष्णु जी के ध्यान के लिए आप निम्नलिखित मुख्य मंत्रों का प्रयोग कर सकते हैं।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाये।
ॐ विष्णवे नमः।
ॐ नारायणाये नमः।
ॐ हूं विष्णवे नमः।
ॐ अं वासुदेवाय नमः।
ॐ आं संकर्षणाय नमः।
ॐ अं अनिरुद्धाय नमः।
ॐ अ: प्रद्द्युम्नाय नमः।
भगवान विष्णु का बीजमंत्र
कई बार दीर्घ मंत्रों का पाठ करने में साधक को परेशानी होती है। इसके अलावा जब माला जप करना हो तो ऐसे मंत्र की आवश्यकता होती है जिसका उच्चारण जल्दी और शुद्ध रूप से हो सके। किसी भी देवी या देव के आह्वान या ध्यान के लिए कई मंत्र होते हैं परन्तु कुछ अत्यंत शक्तिशाली होते हैं जिन्हें बीजमंत्र कहा जाता है। यह एक शब्द के होते हैं जिनमें शक्ति शब्द की ध्वनि से होती है।
वैसे तो श्री हरि की पूजा के कई साधन और विधान हैं जैसे – कथाएं, भजन, चालीसा, स्त्रोत, इत्यादि, परन्तु बीजमंत्रों के जाप मात्र से जो भक्त श्री नारायण की आराधना करता है, उसे और किसी साधन की आवश्यकता नहीं पड़ती।
भगवान विष्णु का बीजमंत्र है “दं”। यह धन, स्वास्थ्य, विजय, सुखी वैवाहिक जीवन और खतरनाक शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त करने में मदद करता है।
विष्णु मंत्र पाठ की विधि (Vishnu Mantra Path Vidhi)
श्री विष्णु की पूजा मुख्यतः गुरुवार, एकादशी और पूर्णिमा के दिन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- मंत्र का पाठ करने के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष एक आसन पर बैठ जायें।
- उसके पश्चात धूप,दीप, पुष्प, कुमकुम, हल्दी, अक्षत भगवान को अर्पित करें।
- इसके बाद जाप आरम्भ करें।
- जाप करने के लिए तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं।
- पूजा को सफल बनाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम और बीजमंत्र का 108 बार जाप करें साथ ही आरती से पूजा सम्पूर्ण करें।
- विशेषकर बीजमंत्र के जाप के लिए उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठें और एकांत का ध्यान रखें।
- भगवान विष्णु के बीजमंत्र ‘दं’ का दीर्घ स्वर में उच्चारण करें और कम से कम 3 माला का जाप अवश्य करें।
- बीजमंत्र का पाठ करते समय मंत्र पर और उसकी ध्वनि पर पूरा ध्यान केन्द्रित करें।
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