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Vishnu Chalisa in Hindi: जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए रोज़ाना करें विष्णु चालीसा का पाठ

Vishnu Chalisa in hindi

Vishnu Chalisa in Hindi: सनातन धर्म में भगवान विष्णु को शक्ति और ज्ञान का देवता माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति के ऊपर भगवान विष्णु की कृपा हो जाती है उसकी सारी तकलीफें दूर हो जाती हैं। भगवान विष्णु की पूजा में चालीसा का विशेष महत्व माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु का दोष है तो उस व्यक्ति को गुरुवार के दिन व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा उपासना और विष्णु चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में गुरु दोष दूर हो जाता है। आज हम आपको विष्णु चालीसा के महत्व और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

विष्णु चालीसा का महत्व (Vishnu Chalisa Ka Mahatva)

हिन्दू धर्म में विष्णु चालीसा के पाठ को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान विष्णु की चालीसा में भगवान विष्णु की महिमा, गुण, और उनके भक्तों के प्रति कृपा का वर्णन किया गया है। जो मनुष्य पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ नियमित रूप से भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ करता है तो भगवान विष्णु की कृपा से उसे शांति, सुख, और सफलता की प्राप्ति होती है।

नियमित रूप से विष्णु चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के अंदर शांति और स्थिरता की भावना पैदा होती है। रोज़ाना विष्णु चालीसा का पाठ करने से समस्त कष्टों और दुःखों से मुक्ति प्राप्त होती है। नियमित रूप से विष्णु चालीसा का पाठ करने से अनेकों लाभ होते हैं।

विष्णु चालीसा पाठ की विधि (Vishnu Chalisa Path Vidhi)

विष्णु चालीसा लिरिक्स (Vishnu Chalisa Lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

विष्णु चालीसा के फ़ायदे (Vishnu Chalisa Ke Fayde)

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