Navratri Day 1 Maa Shailputri: नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व है। इस साल चैत्र नवरात्रि पर 30 साल बाद सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग बन रहा है जो बहुत ही शुभ कार्य है। इस समय मां दुर्गा की पूजा करने से सभी कष्टों और चिंताओं से मुक्ति मिलती है। सनातन धर्म उदयातिथि मान्य है और इसलिए 9 अप्रैल को घटस्थापना के साथ नवरात्रि सेवा शुरू होती है।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा की जाए तो वह सुख की देवी हैं। मां शैलपुत्री का जन्म शैल (पत्थर) से हुआ था इसलिए इनकी पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है। उपनिषदों में माता को हेमवती भी कहा गया है। आइये आज के लेख में जानते हैं की नवरात्रि में प्रथम दिन पूजीं जाने वालीं माता शैलपुत्री कौन हैं और उनकी पूजा कैसे की जाती है। साथ ही जानते हैं की किन विशेष मंत्रों से माता शैलपुत्री की पूजा करें और भोग क्या लगायें।
कौन हैं माता शैलपुत्री (Navratri Day 1 Maa Shailputri)
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के बाद देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा, आराधना और स्तुति की जाती है। शैल का अर्थ है हिमालय और इनका जन्म पर्वतों के राजा हिमालय के यहां होने के कारण शैलपुत्री कहा जाता है। इन्हें भगवान शंकर की पत्नी पार्वती के रूप में भी जाना जाता है।
उन्हें वृषभारुढा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वृषभ (बैल) उनका वाहन है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से भाग्य और समृद्धि बढ़ती है। इनकी पूजा से चंद्रमा के नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
शैलपुत्री माँ का इस मंत्र से करें आह्वान (Navratri Day 1 Mantra)
- हे नगजाये नमः हे शिवा प्रियाये नमः मूल रुपाये नमः
- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नम:
- वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्॥
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ - या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ - ऊं ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:
देवी शैलपुत्री स्तोत्र (Maa Shailputri Stotra)
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
माता शैलपुत्री कवच (Maa Shailputri Kavach)
ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।
माता शैलपुत्री पूजा विधि (Navratri Day 1 Puja Vidhi)
- नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें।
- फिर मंदिर को अच्छी तरह साफ करें। पूजा से पहले शुभ मुहूर्त में अखंड ज्योति जलाएं और घट स्थापना करें।
- अब शुभ मुहूर्त में चौकी पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके लाल कपड़ा बिछाएं और देवी मां की तस्वीर लगाएं। हाथों में लाल फूल लेकर सबसे पहले भगवान गणेश और फिर मां शैलपुत्री का आह्वान करें।
- देवी मां की पूजा में लाल फूलों का प्रयोग करना चाहिए। देवी मां को अक्षत, सिन्दूर, धूप, सुगंध और पुष्प अर्पित करें।
- देवी के मंत्र का जाप करें।
- घी का दीपक जलाएं। शैलपुत्री की मां को सफेद वस्त्र बहुत प्रिय हैं। उसकी भी भेंट चढ़ाएं।
- माँ को लाल और सफेद मौसमी फूल जैसे कनेर के फूल आदि बहुत पसंद हैं।
- देवी मां की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है।
- सर्वप्रथम भगवान गणेश की आरती करें।
- देवी दुर्गा की आरती करें और शंख बजाएं।
- मां को प्रसाद चढ़ाएं। घी और गाय के दूध से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं।
- आरती पूरी करने के बाद हाथ जोड़कर अज्ञानतावश हुई सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। देवी मां से आशीर्वाद मांगें और अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना करें।
माता शैलपुत्री को लगायें भोग (Navratri Day 1 Bhog)
शैलपुत्री मां को गौ घृत से बनी वस्तु का भोग लगाना चाहिए। माना जाता है कि मां दुर्गा को गाय के घी से बनी चीजें बहुत पसंद हैं। शैलपुत्री की माता को गाय के घी से बने बादाम के हलवे का भोग लगा सकते हैं। मां को कंदमूल फल भी प्रिय हैं। आप बर्फी जैसी सफेद मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं।
मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन और शरीर स्वस्थ रहता है। साथ ही देवी के आशीर्वाद के लिए नवरात्रि का उपवास भी करते हैं और अखंड दीपक भी जलाते हैं।इससे सब रोग दूर हो जाते हैं, और मनुष्य दीर्घायु होता है। साधक में आत्मविश्वास भी जागृत होता है।
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