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Chaitra Navratri 2024: इस दिन से शुरू होंगे चैत्र नवरात्री! किस दिन कौन-सी देवी की करें पूजा? जानिये तिथि, समय और महत्त्व 

नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी के अवतार के आधार पर प्रसाद और भोग भी अलग-अलग होते हैं। नवरात्रि का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि। 9 दिनों तक आदिशक्ति मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।वर्ष 2024 में अप्रैल माह के व्रत-त्यौहारों में चैत्र नवरात्रिका प्रमुख स्थान है। आइये जानते हैं की इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की तिथि और समय क्या रहेगा कौन से दिन किस देवी की पूजा होगी। साथ ही जानते हैं की चैत्र नवरात्रिका महत्त्व क्या है और देशभर में यह त्यौहार कैसे मनाया जाता है।

इस दिन से शुरू हैं चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri Date and Timings in Hindi)

पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11:50 बजे पर शुरू होकर अगले दिन 9 अप्रैल 08:30 बजे समाप्त होगी। ऐसे में पहला चैत्र नवरात्रि व्रत 9 अप्रैल को रखा जाएगा। 9 अप्रैल को घटस्थापना का शुभ समय सुबह 6:03 से 10:14 तक है।

दुर्गा पूजा के नौ दिन (Chaitra Navratri 9 Days in Hindi)

9 days of Chaitra Navratri

चैत्र नवरात्रिका महत्त्व (Chaitra Navratri Significance in Hindi)

चैत्र नवरात्रिका पर्व देवी दुर्गा के भक्तों के लिए आनंद और भक्ति का समावेश है। भक्त 9 दिन तक दिन रात देवी भवानी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि व्रत, उनकी स्तुति, भजन-गायन और नृत्य करते हैं। देवी के भक्त इन दिनों विशेष रूप से रात्रि साधना और तप करते हैं। बंगाल और गुजरात में देखा जा सकता है की देवी के आने के उत्साह में महिलाएं और पुरुष धुनुची नृत्य तथा डांडिया और गरबा नृत्य भी करते हैं। इस प्रकार यह चैत्र नवरात्रिका पर्व भारत की अनमोल संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

देशभर में ऐसे मनाया जाता है नवरात्रिका त्यौहार (Chaitra Navratri Celebration in India)

देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के प्रवेश और निकास के दौरान इस वाहन का विशेष महत्व होता है। इस नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार को होती है, लेकिन जब मंगलवार को नवरात्रि शुरू होती है तो देवी मां का वाहन घोड़ा होता है। माता रानी का घोड़े के साथ आगमन अच्छा संकेत नहीं है। फिर भी, मान्यताओं से अलग हटकर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो माता अपनी संतान को कष्ट में नहीं देख सकती। इसलिए इस नवरात्रिपूर्ण भक्तिभाव से देवी दुर्गा को प्रसन्न करें और उनकी कृपा के पात्र बनें।

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

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