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Darsha Amavasya Upay 2024: 8 अप्रैल को है दर्श अमावस्या, ये विशेष उपाय दिलाएंगे हर कार्य में सफलता

Darsha Amavasya Upay

Darsha Amavasya Upay: अमावस्या की तिथि ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के अंतिम दिन को अमावस्या के नाम से जाना जाता है और इस दिन पूजा, स्नान और ध्यान का विशेष महत्व होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस खास दिन पूजा-पाठ के साथ कुछ विशेष उपाय करने से आपको विशेष लाभ मिलेगा और आपके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी। इसके अलावा दर्श अमावस्या के दिन विशेष कार्य करने से ग्रह दोष, पितृ दोष आदि से मुक्ति मिलती है। आइये जानते हैं कुछ विशेष उपाय।

कब है दर्श अमावस्या (Darsha Amavasya Date and Timings 2024)

वैदिक कैलेंडर के अनुसार, चैत्र दर्श अमावस्या (जो सोमवती अमावस्या भी है) 8 अप्रैल 2024, सोमवार को मनाई जाएगी। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष अमावस्या तिथि 08 अप्रैल सुबह 03:31 बजे से आरम्भ होकर इसका समापन 08 अप्रैल मध्य रात्रि 11:50 बजे  होगा। 

दर्श अमावस्या और अमावस्या तिथियां कभी-कभी अलग हो सकती हैं। क्योंकि अमावस्या के दिन चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है। भले ही इस दिन आपको चंद्रमा न दिखे, फिर भी आप पूरे मन से चाहे जो भी प्रार्थना करें, चंद्र देव अवश्य सुनेंगे।

दर्श अमावस्या पर करें ये काम  (Darsha Amavasya Ke Upay 2024)

ज़रूर करें ये उपाय (Darsha Amavasya Special Remedies in Hindi)

दर्श अमावस्या के विशेष उपाय (Darsha Amavasya Ke Khas Upay)

लग्न कुंडली के अनुसार जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है। उन्हें शीघ्र ही दर्श अमावस्या का व्रत करना चाहिए और चंद्र देव की पूजा करनी चाहिए। इससे व्यक्ति भाग्यशाली होता है और मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।

इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से करें और शिव पंचाक्षरी मंत्र , या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

दर्श अमावस्या के दिन भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं। इसलिए बुरे कर्मों से बचना चाहिए। शराब, मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आपको ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी को नुकसान हो।

दर्श अमावस्या के दिन चंद्र देव की पूजा करने के अलावा पितरों को भी याद करना चाहिए और गरीबों को सफेद वस्त्र दान करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 

इस दिन पीपल या बरगद के पेड़ पर कच्चा दूध और जल मिलाकर चढ़ाना चाहिए। दर्श अमावस्या के दिन घर में कपूर जलाएं और जलते हुए कंडे में गुड़ और घी का मिश्रण चढ़ाएं। यह आपको पितृ दोष से भी मुक्ति दिलाता है।

ऐसा कहा जाता है कि दर्श अमावस्या के दिन पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं। दर्श अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु मंत्र के पाठ का भी विधान है। पौराणिक मान्यता है कि दर्श अमावस्या के दिन भगवान चंद्र देव की पूजा करने से जीवन में शांति आती है और जीवन में कलह कम होते हैं। दर्श अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए सुबह स्नान करके तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि आदि कर्म करने चाहिए। इससे उन्हें शान्ति प्राप्त होती है।

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