Laxmi Mata Aarti lyrics: वैकुण्ठ में निवास करने वाली भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी धन की देवी हैं। प्रसन्न होने पर माता लक्ष्मी अपने भक्तों को वैभव, समृद्धि और सौंदर्य प्रदान करती हैं तथा मनोकामना की पूर्ति भी करती हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की विषेश रूप से पूजा कि जाती है। माना जाता है की जिस घर में विधिपूर्वक देवी लक्ष्मी की आराधना होती है, वे उस घर से कभी नहीं जाती तथा भक्तों के आनंद और ऐश्वर्य की वृद्धि करती हैं।
लक्ष्मी जी की पूजा में अनेक विधान होते हैं जिनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण है आरती। यह एक ऐसा विधान माना जाता है जिसके बिना कोई भी पूजा अपूर्ण रहती है। आप लक्ष्मी जी की पूजा करने हेतु नीचे दिए गय लक्ष्मी जी की आरती के लिरिक्स, पूजन तथा आरती की विधि और उससे होने वाले लाभ को पढ़ सकते हैं।
लक्ष्मी जी की आरती के लाभ (Laxmi Mata Aarti Benefits in Hindi)
प्राचीन हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आरती सदैव से पूजन विधि का अभिन्न अंग रही है। बिना आरती के पूजा-अर्चना पूरी नहीं मानी जाती। इसी प्रकार माता लक्ष्मी की आरती भक्ति और प्रेम सहित गाए बिना उनकी आराधना का उचित फल प्राप्त नहीं होता।
- माता लक्ष्मी की पूजा और आरती करने वाले साधक की संपत्ति निरंतर बढ़ती है तथा उसे जीवन में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती।
- देवी के भक्तों के दांपत्य जीवन में भी खुशियाँ आती हैं।
- लक्ष्मी माता की कृपा से व्यापार में उन्नति होती है।
- माता लक्ष्मी के साधक हमेशा प्रसन्न रहते हैं और मन शांत रहता है।
- बार-बार पैसा खोने की समस्या भी दूर हो जाती है।
- धन-समृद्धि के साथ-साथ व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
माँ लक्ष्मी की आरती (Laxmi Mata Aarti Lyrics in Hindi)
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता॥उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता॥
।।ॐ जय लक्ष्मी माता…॥तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…॥शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर,
क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता॥
।।ॐ जय लक्ष्मी माता…॥महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता।
उर आंनद समाता,
पाप उतर जाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
लक्ष्मी माता की आरती की विधि (Laxmi Mata Aarti Vidhi)
माता लक्ष्मी की आरती के लिए एक थाल तैयार करें जिसमें हल्दी, कुमकुम, अक्षत और पुष्प रखें। साथ ही मिटटी के दीए में 1,5,7,9,11 या इससे अधिक बातियाँ अपनी श्रद्धानुसार लगायें और घी भरकर ज्योत प्रज्वलित करें। इसके अतिरिक्त चांदी की कटोरी में कपूर रखकर आरती करना भी अत्यंत लाभकारी होता है।
आरती पूर्ण होने के बाद ये मंत्र बोलें –
श्री वैभवलक्ष्मी मंत्र
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा माँ पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
अर्थ: जो लाल कमल पर विराजित हैं, जो अपूर्व कांतिवाली हैं, जो महान तेज वाली हैं, जो संपूर्ण रूप से लाल हैं और जिनके वस्त्र भी लाल हैं ,जो भगवान विष्णु की अति प्रिय हैं, जो लक्ष्मी मन को प्रफुल्लित करती हैं, जो समुद्रमंथन से प्रकट हुई हैं, जो विष्णु भगवान की पत्नी हैं, जो कमल से उत्पन्न हुई हैं और जो अतिशय पूज्य हैं, ऐसी लक्ष्मी देवी मेरी रक्षा करें।
इस श्री वैभवलक्ष्मी मंत्र के नित्य जाप से सर्वसुख की प्राप्ति होती है।
माता लक्ष्मी के पूजन की विधि (Laxmi Pujan Vidhi)
लक्ष्मी पूजन मुख्यतः दिवाली के अवसर पर किया जाता है और उसके अतिरिक्त वैभव लक्ष्मी के व्रत में लक्ष्मी जी की पूजा शुक्रवार के दिन करने का विधान है। यहाँ हम आपको बताएँगे दीपावली पर लक्ष्मी पूजन करने कि मुख्य विधि।
सर्वप्रथम घर को स्वच्छ एवं शुद्ध करके एक स्थान पर रंगोली बना लें। एक चौकी रखकर उसपर एक लाल आसन बिछाएं और श्री लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा विराजित करें। लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाईं तरफ रखें। अब लक्ष्मी जी के पास एक चावलों की ढ़ेरी लगायें और उसपर कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर एक नारियल रखें और कलश के समक्ष एक दीपक रखकर पूजन करें।
एक बड़ा दपक घी का जलाएं और उसके पश्चात् बाकी छोटे दीपक प्रज्वलित कर श्री गणेश, भगवान नारायण, माता लक्ष्मी का ध्यान करें। पूजा में यदि आभूषण या चांदी का सिक्का भी रखें तो अत्यंत शुभ रहेगा। श्री गणेश और माता लक्ष्मी को प्रणाम करें तथा पुष्प, कुमकुम, अक्षत, पान, धूप, दीप, अगरबत्ती, मिष्ठान, नैवेद्य, खांड की मिठाई और खील आदि अर्पित करें और स्तुति करने के पश्चात् आरती से पूजा पूर्ण करें।
आरती के पश्चात पूरे घर में कपूर की आरती दिखाएं और गंगाजल का छिड़काव करें। देवी-देवताओं की आरती करते समय कपूर का प्रयोग करना अत्यधिक लाभकारी होता है क्योंकि कपूर वातावरण को शुद्ध करता है और साथ ही नकारात्मकताओं का नाश भी करता है। इसके अतिरिक्त घी के दीपक से आरती करना भी अत्यंत शुभ होता है।
लक्ष्मी माता की आरती और पूजा के नियम (Laxmi Mata Aarti aur Puja ke Niyam)
माता लक्ष्मी स्वभाव से अत्याधिक चंचल मानी जाती हैं। इसलिए उनकी आराधना करते समय भक्तजन को कुछ महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही दिवाली के समय पूजा करते हुए कुछ विशेष कार्य भी करने चाहिए। इनसे माता लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं।
- जिस स्थान पर लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, वहां स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। देवी लक्ष्मी ऐसे स्थान पर कभी नहीं रहती जहाँ सफाई नहीं होती।
- माता लक्ष्मी को लाल या गुलाबी वस्त्र, पुष्प अर्पित करना चाहिए क्योंकि यह देवी के प्रिय रंग हैं।
- माता लक्ष्मी को कमल का पुष्प अतिप्रिय है। यदि कमल का पुष्प न हो तो गुलाब के पुष्पों से भी पूजा की जा सकती है।
- माता लक्ष्मी की आरती में तेल का प्रयोग करने के स्थान पर घी और कपूर का प्रयोग लाभदायक है।
- सदैव पूजा करते समय ध्यान रखना चाहिए की किसी भी मंत्र, श्लोक, चालीसा या आरती का पाठ बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
- माता लक्ष्मी से पूर्व सदैव श्री हरि नारायण की स्तुति करनी चाहिए, तत्पश्चात देवी की अराधना करनी चाहिए।
- माता की पूजा करते समय उन्हें बताशे, खीर, श्वेत व पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिये।
- माता लक्ष्मी को श्रीयन्त्र अत्यधिक प्रिय है तथा यह सर्वशक्तिशाली यन्त्र भी है। लक्ष्मी पूजन में श्रीयन्त्र अवश्य रखना चाहिए। इससे धन सम्पति का लाभ होता है।
बिना विधिवत आराधना, आरती और कृपा याचना के लक्ष्मी जी की पूजा कभी पूर्ण नहीं होती। विधिपूर्वक और सच्चे मन से की गयी पूजा माता लक्ष्मी सदैव स्वीकार करती हैं और अपने भक्तों पर असीम कृपा करती हैं। देवी लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक संकट दूर होता है। उनके साधक न केवल धन-सम्पति और सुख-शांति प्राप्त करते हैं अपितु भगवान विष्णु की कृपा भी पाते हैं।
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