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Shat Tila Ekadashi Puja Vidhi 2024: बैकुंठ धाम की प्राप्ति के लिए, जाने षट्तिला एकादशी पूजा विधि के बारे में

Shat Tila Ekadashi 2024: षट्तिला एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालु इसे विशेष भक्ति भाव से मनाते हैं। इस दिन तिल के स्नान से लेकर दान का विशेष महत्व बताया गया है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं षट्तिला एकादशी कब है, षट्तिला एकादशी व्रत कथा विधि, मंत्र और पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के बारे में।

षट्तिला एकादशी पूजा विधि (Shat Tila Ekadashi Puja Vidhi)

षट्तिला एकादशी के दिन, श्रद्धालु को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। इससे शरीर की शुद्धि होती है और पूजा में समर्पण का भाव बना रहता है।इस दिन विशेष तौर से नहाने के पानी में तिल डालना चाहिए और यह कोशिश करनी चाहिए कि आप ब्रह्म मुहूर्त में नहा लें।

षट्तिला एकादशी के दिन, भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। तुलसी के पत्ते, फूल, चावल, दीप, गंध, नैवेद्य, और तुलसी की माला का उपयोग करके भगवान की पूजा करें।इस दिन भगवान विष्णु को प्रशन्न करने के लिए पारिजात, कमल और चंपा के फूल चढ़ाएं जाते हैं, यह पुष्प भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।

 कई जगह षट्तिला एकादशी के दिन, भगवान विष्णु के बाद तुलसी पूजन करने का भी विधान है। इस दिन मुख्य रूप से तुसली जी पर घी का दीपक जलाना चाहिए। षट्तिला एकादशी के दिन गंगाजल से तुलसी जी और शालिग्राम जी को स्नान करवा कर पीले फूल, वस्त्र और फल अर्पित करने चाहिए।

षट्तिला एकादशी के दिन, श्रद्धालु को षट्तिला एकादशी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। इससे व्रत का महत्व समझा जा सकता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

षट्तिला एकादशी के दिन, दान और पुण्य कार्यों का विशेष महत्व है। विधवा, अनाथ, या गरीबों को दान देना चाहिए। इस दिन विशेष तौर पर तिल का दान करना चाहिए, अगर आप किसी कारणवश षटतिला एकादशी व्रत नहीं कर रहे हैं तब भी आप इस दिन दान कर के पुण्य कमा सकते हैं।

षट्तिला एकादशी मंत्र (Shat Tila Ekadashi Mantra in Hindi)

षट्तिला एकादशी के दिन नीचे दिए गए मंत्र का जाप जरूर करें। आप चाहें तो विष्णु मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

षट्तिला एकादशी मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

षट्तिला एकादशी सामग्री (Shat Tila Ekadashi Puja Samagri)

षट्तिला एकादशी के दिन विधि विधान से पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में नीचे दी गयी सामग्रियों का उपयोग भगवान विष्णु की पूजा में करें और अपने मन, वचन, और क्रियाओं को शुद्ध करने का प्रयास करें। षट्तिला एकादशी के व्रत को ध्यानपूर्वक मनाकर श्रद्धालु भक्ति भाव से इस अद्भुत पर्व का आनंद ले सकते हैं।

  1. फूल, चावल, और तुलसी के पत्ते
  2. दीप और कुमकुम
  3. गंध
  4. नैवेद्य (मिठाई या फल)
  5. तुलसी की माला
  6. तिल का भोग 
  7. पीले व सफ़ेद फूल

षटतिला एकादशी पर हवन कैसे करें?

किसी भी व्रत में हवन करने का भी विशेष महत्व होता है। ऐसे में षटतिला एकादशी के दिन भी हवन जरूर करना चाहिए। इससे सभी प्रकार का आर्थिक लाभ मिलता है और कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी पर हवन के अलावा, तिल का उबटन, तिल स्नान, तिल का दान, तिल से तर्पण, तिल का भोजन करने पर ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

षटतिला एकादशी व्रत करने से क्या होता है?

माघ महीने में आने वाली षटतिला एकादशी व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति कराती हैं और मनुष्य जीवन में आने वाले  सभी कष्टों को हरने वाली होती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

क्या षट्तिला एकादशी के व्रत में चाय पी सकते हैं?

षट्तिला एकादशी के व्रत में न केवल चावल, पान मदिरा बल्कि चाय का सेवन करने से भी बचना चाहिए। इन चीज़ों के सेवन से मन में नकारात्मक एनर्जी आती हैं ऐसे में इन सभी चीज़ों से बचना चाहिए। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से रेंगने वाले जीव के रूप में जन्म होता है क्योंकि एकादशी के दिन चावल को मॉस स्वरुप ही माना जाता है। एकादशी वाले दिन  तेल का सेवन न करने की भी सलाह दी जाती है।

भगवान विष्णु को इस दिन क्या क्या चढ़ाया जाता है?

इस दिन विशेष तौर पर सुबह और शाम को दीपक जलाना चाहिए और भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक कर पुष्प और तुलसी अर्पित करनी चाहिए।

क्या षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं?

हाँ आप इस दिन भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा भी कर सकते हैं, और माँ को खुश करने के लिए मीठे का भोग चढ़ा सकते हैं। 

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