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Mauni Amavasya Vrat Katha: क्यों है इतनी पावन मौनी अमावस्या? यदि व्रत करते हैं तो किन बातों का रखें विशेष ध्यान? देखिये व्रत कथा और सावधानियां

भारतीय पंचांग के अनुसार अमावस्या कृष्ण पक्ष माह के अंतिम दिन पड़ती है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। ऐसे ही  इस बार माघ महीने की अमावस्या आने वाली है जिसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन दान करने से मनुष्य के जीवन की परेशानियां, कठिनाइयां, चिंताएं और संकट दूर हो जाते हैं। पुण्य प्राप्ति के ही उद्देश्य से माघ अमावस्या के दिन कई भक्त पवित्र नदी में स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं, व्रत रखते हैं और भक्तिपूर्वक भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं। मौनी अमावस्या का व्रत रखने के पीछे एक कहानी बताई जाती है।

आज के लेख में हम उसी कथा को पढने जा रहे हैं जिससे मौनी अमावस्या का महत्त्व एवं महिमा का ज्ञान होता है। साथ ही इस लेख में मौनी अमावस्या किस दिन मनाई जाएगी और इस दिन कौन-सी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, यह भी जानेंगे। 

मौनी अमावस्या तिथि एवं शुभ मुहूर्त (Mauni Amavasya 2024 Kab Hai)

Mauni Amavasya 2024 kab hai

मौनी अमावस्या तिथि 9 फरवरी को सुबह 8:02 बजे शुरू होकर 10 फरवरी को सुबह 4:28 बजे तक रहेगी। मौनी अमावस्या तिथि 9 फरवरी को सूर्योदय के बाद शुरू हो रही है और पूरे दिन जारी रहेगी, इसलिए यह त्योहार 9 फरवरी 2024 को ही मनाया जाएगा। मौनी अमावस्या के दिन सबसे शुभ माना जाने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस शुभ योग में मौनी अमावस्या का व्रत करने से आपको अपार धन की प्राप्ति होगी और आपके पूर्वज प्रसन्न होकर आपको सफल और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद देंगे।

मौनी अमावस्या व्रत कथा (Mauni Amavasya Vrat Katha 2024)

बहुत समय पहले, कांचीपुरी नगर में ब्राह्मणों का एक परिवार रहता था। ब्राह्मण का नाम देवस्वामी था। उनके 8 बच्चे थे जिनमें 7 बेटे और 1 बेटी थी। सभी बेटों की शादी हो गई, लेकिन बेटी की शादी वैवाहिक गलती के कारण नहीं हुई। उस समय वैधव्य की समस्या के समाधान के लिए देव स्वामी ने अपने पुत्र और पुत्री को सोमा धोबिन के घर भेजा। पंडितों ने कहा कि यदि धोबिन सोमा विवाह में उपस्थित होगी तो वैधव्य दोष  समाप्त हो जायेगा।

वे दोनों (बेटा-बेटी) गुणवती सागर के तट पर रहने वाली गिद्ध माता की सहायता से धोबिन सोमा के घर पहुँचे। वे दोनों धोबिन सोमा को बिना बताए उसकी मदद करने लगे। गुणवती प्रतिदिन सोमा धोबिन के लीप चौक पर आती थी। वहीं, बेटा घर के अन्य कामों में उनके पुत्रों की मदद करता था। एक रात धोबिन सोमा ने गुणवती को वहां ऐसा करते देखा। तब सोमा ने जानना चाहा कि मदद करने का कारण क्या है।

उस समय गुणवती ने उसके विधवा दोष के बारे में बताया। सोमा धोबिन फिर गुणवती और उसके भाई के साथ कांचीपुरी नगरी में आई। बाद में, गुणवती ने शानदार ढंग से शादी की। विशेषज्ञों के पूर्वानुमान के अनुसार, गुणवती  के पति की उनकी शादी के दौरान मृत्यु हो गई। बाद में सोमा धोबिन के अच्छे प्रताप से गुणवती का पति तो जीवित हो गया, लेकिन सोमा के पति और उसके बेटे-दामाद की मृत्यु हो गई। घर जाते समय सोमा ने समुद्र तट पर एक पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की साथ ही 108 परिक्रमा भी की। परिणामस्वरूप, सोमा के पति, पुत्र और दामाद भी जीवित हो गये। इसलिए मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है।

व्रत करते समय रखें इन बातों का ध्यान (Mauni Amavasya Vrat Niyam)

मौनी अमावस्या के दिन लोगों को पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, लेकिन अगर नदी में स्नान करना संभव नहीं है तो आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से रोजमर्रा की जिंदगी की चिंताएं दूर हो जाती हैं और हिंदू धर्म में हर महीने इसी दिन पूजा होती है। पूजा करने से न सिर्फ लोगों का मन शांत होता है बल्कि घर के माहौल में सकारात्मक ऊर्जा भी आती है। इसलिए धार्मिक दृष्टि से पूजा-पाठ, सूत्रपाठ, पश्चाताप, स्नान, दान आदि बहुत लाभकारी माने जाते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण देना बहुत शुभ माना जाता है।

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

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