माघ माह में विशेषकर माघ अमावस्या में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है की मौनी अमावस्या पर गंगा में धार्मिक स्नान करने से पिछले जन्मों के पाप धुल जाते हैं। यह व्रत मुनि (ऋषि) आचरण को धारण करता है, इसीलिए इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह वर्ष की एकमात्र अमावस्या है जब व्यक्ति मौन व्रत, जप, तप और पूजा करने से पितृ और शनि दोष से मुक्त हो जाता है। मौनी अमावस्या के दिन लोग मौन रहकर भगवान की आराधना में ध्यान लगाते हैं। इसीलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पाठ करता है और पश्चाताप करता है वह शनि के हानिकारक प्रभाव से मुक्त हो जाता है और उसे मानसिक शांति मिलती है। इस साल मौनी अमावस्या कब मनाई जाएगी इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि मौनी अमावस्या 9 फरवरी को है तो कुछ का मानना है कि10 फरवरी को है। आइए जानते हैं सही तारीख़ और शुभ मुहूर्त और इस अमावस्या का महत्त्व क्या है।
इस दिन मनाई जाएगी मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya Kab Hai 2024)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मौनी अमावस्या तिथि 9 फरवरी को सुबह 8:02 बजे शुरू होगी और 10 फरवरी को सुबह 4:28 बजे तक रहने वाली है। इस दिन स्नान और तर्पण का उचित समय सुबह 8:02 बजे से 11 बजे तक है। 9 फरवरी को सूर्योदय के बाद मौनी अमावस्या की तिथि शुरू हो जाएगी और पूरे दिन अमावस्या तिथि रहेगी। ऐसे में 9 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्या पर स्नान, पूजा और पाठ करना श्रेष्ठ है।
शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो श्राद्ध कर्म दोपहर में करना उत्तम होता है तो उसके लिए शुभ समय सुबह 11।00 बजे से लेकर दोपहर 03।21 बजे तक रहेगा।
मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त 2024 और शुभ योग (Mauni Amavasya Shubh Muhurat & Yog 2024)
मौनी अमावस्या के दिन सबसे शुभ माना जाने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना है। इस शुभ योग में मौनी अमावस्या का व्रत करने से आपको अपार धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है और पितृ प्रसन्न होकर आपको जीवन में सफल और संपन्न होने का आशीर्वाद देते हैं। इस मौनी अमावस्या पर निम्नलिखित शुभ योग और शुभ मुहूर्त हैं –
- सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 7:05 से रात 11:29 तक
- वरियान योग – शाम 07:06 से लेकर अगले दिन दोपहर 02:53 तक
- अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:03 तक
- अमृत काल – दोपहर 02:16 से 03:41 तक
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05:30 से 06:18 तक
मौनी अमावस्या का महत्त्व (Mauni Amavasya Significance in Hindi)
मौनी अमावस्या का अर्थ है मौन रहकर ईश्वर की आराधना करने का अवसर। धार्मिक शास्त्रों में मौनी अमावस्या का बहुत विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखते हुए भगवान की आराधना में ध्यान लगाना चाहिए। अगर संभव हो तो इस दिन गंगा नदी में डुबकी अवश्य लगाएं। इससे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन माघ मेले का सबसे बड़ा स्नान प्रयागराज में होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन धीरे-धीरे ध्यान करना अच्छा होता है। मान्यता है की इस दिन दिव्य साधु-संत लगभग मौन धारण किये रहते हैं। अगर आप इस दिन गंगा में स्नान करते हैं तो आपके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे और पितरों को शान्ति प्राप्त होगी। इस दिन मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर हवन-पूजन के कार्यक्रम होते हैं। हिंदू धर्म में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा का पानी अमृत में बदल जाता है। इस मान्यता के अनुसार, मौनी अमावस्या का दिन हिंदू कैलेंडर में गंगा स्नान के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन देवता और पितर प्रयागराज जाकर संगम नदी में अदृश्य स्नान करते हैं। माघ अमावस्या के दिन नदियाँ अमृत में बदल जाती हैं। गंगा नदी में तैरना। इस शुभ अवसर पर लंबी आयु और स्वास्थ्य का आशीर्वाद दिया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जो लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं उन्हें घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। मौनी अमावस्या के संबंध में कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इस दिन आस्था के साथ गंगा में स्नान करता है तो उसके जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं।
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