भारत की अति प्राचीन परंपरा योग के आसनों की सबसे बड़ी खूबी इनकी सहजता है। एक योगासन किसी एक समस्या पर ध्यान केन्द्रित नहीं करता है। अब हम भुजंगासन को ही देखें तो यह शरीर के लचीलेपन से लेकर दर्द आदि को समाप्त करने में सहायक है और इसी प्रकार गरुड़ासन भी सभी समस्याओं में लाभकारी है. योग शरीर के विभिन्न अंगों और अनेकों बीमारियों पर एक साथ प्रभावी ढंग से काम करता है। योग के सभी आसन एक साथ अनेकों बीमारियों पर काम करते हैं और ऐसा ही एक आसन है वक्रासन।
इस लेख में आप वक्रासन के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे तथा जानेंगे की इसके लाभ क्या हैं और इसे करते हुए क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहियें।
वक्रासन क्या है (Vakrasana Yoga Kya Hai)
वक्रासन बैठ के लिए जाने वाले आसनों के अंतर्गत आता है।वक्र एक शुद्ध परिष्कृत हिंदी शब्द है जिसका अर्थ है टेढ़ा। अर्थात इस आसन को करने पर पूरे शरीर की मुद्रा टेढ़ी होती है परन्तु यह मेरुदंड को सीधा करता है। वक्रासन दो शब्दों से मिलकर बना है: वक्र, जिसका अर्थ है “मुड़ना” और आसन, जिसका अर्थ है “योग मुद्रा”।
इस आसन में रीढ़ और पैरों सहित लगभग पूरा शरीर शामिल होता है। इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से यह शरीर के विभिन्न अंगों के लिए फायदेमंद है। योग अलग-अलग प्रकार के होते हैं जैसे अष्टांग योग, मंत्र योग, लय योग और हठ योग आदि. वक्रासन को हठ योग शैली की मुद्रा माना जाता है। इस योग आसन का अभ्यास 30 से 60 सेकंड तक करने की सलाह दी जाती है।
ऐसे करें वक्रासन (Vakrasana Steps in Hindi)
- योगा मैट पर दंडासन में बैठें और अपने हाथों को हल्के से फर्श पर दबाएं। एक गहरी श्वास लेकर अपनी रीढ़ को लंबा करें और अपने बाएँ पैर को मोड़ें।
- अपने बाएँ पैर को अपने दाएँ घुटने के ऊपर फर्श पर रखें।
- अब अपने दाहिने पैर को मोड़ें और अपने पैर को अपने बाएँ नितम्ब के पास फर्श पर रखें। साथ ही अपने दाहिने हाथ को अपने बाएँ पैर के ऊपर ले जाएँ।
- जैसे ही आप सांस छोड़ें, अपने ऊपरी शरीर को जितना संभव हो सके मोड़ें। साथ ही अपनी गर्दन को मोड़ें ताकि आपकी नजर आपके बाएं कंधे की ओर रहे।
- अपने बाएं हाथ को फर्श पर रखें और सामान्य रूप से सांस लें।
30-60 सेकंड के लिए इस मुद्रा में बने रहें और आसन से बाहर निकलने के लिए सभी चरणों को उल्टे क्रम में करें। बाद में इस प्रक्रिया के सभी चरणों को दूसरी तरफ भी दोहराएं।
वक्रासन करने के लाभ (Vakrasana Benefits in Hindi)
- यह अग्न्याशय को उत्तेजित करता है और शरीर में पाचन रस के प्रवाह का समर्थन करता है।
- फेफड़ों की सांस लेने की क्षमता बढ़ जाती है।
- यदि आप मासिक धर्म की अनियमितता, कब्ज या गर्दन के दर्द से पीड़ित हैं, तो अर्ध-रीढ़ की हड्डी को घुमाने से काफी राहत मिल सकती है।
- यह तितली आसन की तरह शरीर की जकड़न को कम करने में सहायक है।
- मधुमेह से बचाव में सहायक है।
- यह योग स्थिति केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाती है।
- रीढ़ की हड्डी की चोटों को ठीक करने में मदद करता है।
- एंटी-एजिंग में मदद करता है।
- यह आसन तनाव, थकान, चिंता और सिरदर्द से भी राहत दिलाता है।
- यह मुद्रा पोषक तत्वों, ऑक्सीजन और रक्त को मूत्र अंगों में प्रवाहित करने की अनुमति देती है, जिससे एक स्वस्थ मूत्र प्रणाली को बढ़ावा मिलता है।
- रक्त का संचार ठीक से होता है। इसके साथ आप शीर्षासन भी अपना सकते हैं.
- यदि आप हर्नियेटेड डिस्क से पीड़ित हैं, तो यह आसन बहुत मददगार है।
- यह साइटिका के इलाज के लिए भी उपयुक्त है।
- शरीर के मुड़ने से अधिवृक्क स्वास्थ्य भी सुनिश्चित होता है।
इन ज़रूरी बातों का रखें ध्यान (Vakrasana Precautions in Hindi)
- वक्रासन का अभ्यास केवल सुबह के समय ही करना चाहिए।
- अगर आपकी गर्दन में दर्द है तो आपको वक्रासन नहीं करना चाहिए।
- यह आसन दैनिक क्रिया (शौच आदि ) से निवृत होकर खाली पेट करना चाहिए।
- अगर आपकी रीढ़ की हड्डी में दर्द है तो यह आसन न करें।
- अगर आप गंभीर रूप से बीमार हैं तो भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- डायरिया या अस्थमा की शिकायत होने पर यह आसन न करें।
- पेट में अल्सर या हर्निया होने पर इस आसन का प्रयोग न करें।
- गर्भवती महिलाओं को वक्रासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- यदि आपके कंधे में दर्द हो तो अपना हाथ न उठाएं।
- यदि आपको घुटने में दर्द या गठिया है, तो केवल दीवार पर व्यायाम करें।
- हृदय रोग या उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
यह अद्भुत योगासन शरीर की सभी समस्याओं को दूर करने, लचीलापन बढ़ाने और पेट की चर्बी दूर करने में कारगर है। यदि आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो नियमित रूप से वक्रासन का अभ्यास करना फायदेमंद है। यह मुद्रा गोमुखासन की भाँती शरीर के विभिन्न अंगों जैसे लीवर, किडनी, अग्न्याशय, अंडाशय, पेट और आंतों के लिए फायदेमंद है। इसलिए ज्यादातर लोग इस आसन को शुरुआत में किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करते हैं। हालाँकि, कुछ दिनों के अभ्यास के बाद यह आसन करना बहुत आसान हो जाता है।
ये भी पढ़ें
डिसक्लेमर: यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर किसी का शरीर भिन्न होता है। हर योग आसन सभी के लिए प्रभावी नहीं होता। यह लेख केवल सामान्य जानकारी और शिक्षा के लिए है और इसका उपयोग चिकित्सा या चिकित्सा-संबंधी सलाह, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार की परेशानी एवं रोग होने पर योग आसन का अभ्यास शुरू करने से पूर्व अपने डॉक्टर या योग गुरु से सलाह अवश्य लें।