अपने शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए हम सभी कई तरह के उपाय करते हैं और योग का अभ्यास सबसे अच्छा माना जाता है। योग के जरिए कई तरह की बीमारियों को भी खत्म किया जा सकता है। ऐसे में अगर हम उष्ट्रासन की बात करें तो यह शरीर को कई फायदे पहुंचा सकता है। इस आसन के अंतिम चरण में शरीर का आकार कुछ-कुछ ऊंट जैसा हो जाता है, इसलिए इसे उष्ट्रासन कहा जाता है।
इस लेख में उष्ट्रासन पर विस्तृत जानकारी दी गयी है। यहाँ आप जानेंगे की उष्ट्रासन क्या है, इसके कितने प्रकार हैं, तथा इसके क्या लाभ हैं। साथ ही आप जानेंगे की अर्ध और पूर्ण उष्ट्रासन कैसे किया जाता है और इसमें क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिये।
उष्ट्रासन (Ustrasana Yoga)
शरीर में ऊर्जा के संचार के लिए उष्ट्रासन बहुत उपयोगी है। इसमें दो संस्कृत शब्द शामिल हैं: पहला है उष्ट्र या ऊँट और दूसरा है आसन या मुद्रा। उष्ट्रासन उन योग आसनों में से एक है जो रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बढ़ाता है। साथ ही यह लंबे समय तक बैठने और खराब मुद्रा से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है। नियमित अभ्यास से शरीर का चौथा मुख्य चक्र अनाहत खुलता है। इस चक्र को हृदय चक्र भी कहा जाता है। जब यह आध्यात्मिक चक्र सक्रिय होता है, तो व्यक्ति की ऊर्जा, चेतना और भावनाओं का विस्तार होता है।
उष्ट्रासन करने की विधि (Ustrasana Steps in Hindi)
उष्ट्रासन के बारे में जानकारी मिलती है की इसे दो तरीकों से किया जा सकता है। पहला तरीका है अर्ध उष्ट्रासन और दूसरा है पूर्ण उष्ट्रासन। दोनों ही तरह से यह आसन करने की विधि निम्नवत है –
अर्ध उष्ट्रासन करने की विधि (Ardha Ustrasana Vidhi)
- योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अपने पैरों को अपने शरीर के पीछे सीधा रखें।
![Ustrasana step 1](https://bhaktiaanand.com/wp-content/uploads/2024/01/Ustrasana-1-1024x576.webp)
- अपनी भुजाओं को बगल की ओर फैलाएँ और उन्हें कंधे की ऊँचाई तक उठाएँ। स्ट्रेचिंग करते समय अपनी बाजुओं पर दबाव न डालें।
- थोड़ा दाहिनी ओर मुड़ें और अपने बाएं हाथ से अपनी दाहिनी एड़ी या टखने को सहारा देने का प्रयास करें।
- अपने बाएं हाथ को अपने सिर के ऊपर तब तक फैलाएं जब तक कि आपका हाथ आपकी भौंहों के साथ समतल न हो जाए। सिर थोड़ा पीछे की ओर झुका होना चाहिए और निगाह उठे हुए हाथ पर केंद्रित होनी चाहिए।
![Ustrasana step 3](https://bhaktiaanand.com/wp-content/uploads/2024/01/Ustrasana-3-1024x576.webp)
- अंतिम चरण में, कूल्हे आगे बढ़ते हैं और जांघें सीधी रहती हैं। इस स्थिति को यथासंभव लंबे समय तक बनाए रखें और अपना ध्यान अपने बाएं हाथ पर केंद्रित करें।
प्रारंभिक स्थिति पर लौटें और एक चक्र पूरा करने के लिए दूसरी तरफ दोहराएं। इस प्रक्रिया को 3-5 राउंड तक दोहराएं।
पूर्ण उष्ट्रासन करने की विधि (Purna Ustrasana Vidhi)
- इस आसन को करने के लिए घुटनों के बल खड़े हो जाएं और पैरों को पीछे की ओर फैला लें।
![Ustrasana step 1](https://bhaktiaanand.com/wp-content/uploads/2024/01/Ustrasana-4-1024x576.webp)
- अपना दाहिना हाथ उठाएं और इसे अपने दाहिने पैर की एड़ी पर रखें। इसी तरह, अपने बाएं हाथ को पीछे झुकाएं और अपने बाएं पैर की एड़ी को पकड़ें। कमर के बल झुकने का प्रयास करें।
![Ustrasana step 2](https://bhaktiaanand.com/wp-content/uploads/2024/01/Ustrasana-5-1024x576.webp)
- जितनी देर संभव हो इस मुद्रा को बनाए रखने का प्रयास करें।
उष्ट्रासन के लाभ (Ustrasana Benefits in Hindi)
- उष्ट्रासन का अभ्यास करने से आपका पूरा शरीर खुल जाता है।
- यह आपके शरीर के तीन हिस्सों कंधे, छाती और कूल्हों को बहुत मजबूत बनाता है।
- यह आपके शरीर को लचीला बनाता है।
- पीठ दर्द को कम करता है।
- उष्ट्रासन थकान और चिंता को दूर करता है।
- यह फेफड़ों को खोलने में मदद करता है।
- मासिक धर्म के दर्द से राहत देता है।
- यह आसन एक साथ घुटनों, मूत्राशय, गुर्दे, छोटी आंत, यकृत, छाती, फेफड़े और गर्दन पर व्यायाम करता है, जिससे उपर्युक्त अंग समूह मजबूत होते हैं और स्वास्थ्य बना रहता है।
- श्वसन, पेट, पैर, कंधे, कोहनी और रीढ़ की बीमारियों से राहत मिलती है।
- यह आसन कब्ज, अपच और एसिडिटी जैसे पेट संबंधी विकारों के इलाज में मदद करता है।
- गर्दन से जुड़ी बीमारियों के लिए भी यह आसन कारगर है।
उष्ट्रासन करते समय रखें इन बातों का ध्यान (Ustrasana Precautions in Hindi)
- जिन लोगों को गर्दन में तनाव या चोट की समस्या है उन्हें यह योगासन नहीं करना चाहिए।
- निम्न रक्तचाप के रोगियों को भी इस आसन से बचना चाहिए।
- अगर आपके घुटनों में दर्द है तो इस आसन को करते समय सावधानी बरतें और घुटनों के नीचे तकिया रखें।
- यदि आपके हाथ पहले आपके पैरों के तलवों तक नहीं पहुंचते हैं, तो आप उन्हें अपनी जांघों पर भी रख सकते हैं।
- अगर किसी को पीठ में चोट लगी हो या पीठ में तेज दर्द हो तो उसे उष्ट्रासन करने से बचना चाहिए।
- यदि आप माइग्रेन से पीड़ित हैं तो भी उष्ट्रासन नहीं किया जा सकता है। अन्यथा, आपका सिरदर्द और भी गंभीर हो सकता है।
हम सभी अपने शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए कई उपाय करते हैं और योग का अभ्यास सबसे अच्छा माना जाता है। उष्ट्रासन योग हर तरह से फायदेमंद है। विश्व विजेता योगाचार्य जोरा सिंह आर्य ने कहा कि पूर्ण उष्ट्रासन का निरंतर अभ्यास कई रोगों में लाभकारी है। जमा हुई अनावश्यक चर्बी को खत्म करने के लिए यह बहुत अच्छा आसन है। कमर दर्द हमेशा के लिए गायब हो जाता है। पाचन तंत्र सुचारु रूप से कार्य करता है। मधुमेह के लिए यह एक उत्कृष्ट आसन है। छात्रों की याददाश्त बेहतर होती है। अगर आप लगातार इसका अभ्यास करेंगे तो आपको इससे जरूर फायदा होगा।
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डिसक्लेमर: यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर किसी का शरीर भिन्न होता है। हर योग आसन सभी के लिए प्रभावी नहीं होता। यह लेख केवल सामान्य जानकारी और शिक्षा के लिए है और इसका उपयोग चिकित्सा या चिकित्सा-संबंधी सलाह, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार की परेशानी एवं रोग होने पर योग आसन का अभ्यास शुरू करने से पूर्व अपने डॉक्टर या योग गुरु से सलाह अवश्य लें।