Benefits of Pranayama: भारतीय संस्कृति में योग का महत्वपूर्ण स्थान है। आज इसे पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है क्योंकि यह शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। योग व्यक्ति को आध्यात्म से जोड़ता है और इसके निरंतर और नियमित अभ्यास से कई प्रकार के रोगों से रक्षा होती है। यह कई बीमारियों के लक्षणों को कम करने में भी सहायता कर सकता है।
योग में प्राणायाम का बहुत महत्त्व है। प्राणायाम ही व्यक्ति के मन को शांत, स्थिर, और एकाग्र करता है। स्वामी विवेकानंद का कहना है की,
“प्राणायाम में सिद्ध होने पर हमारे लिए मानो अनंत शक्ति का द्वार खुल जाता है।”
इस लेख में हम जानेंगे प्राणायाम का योग में महत्व तथा प्राणायाम के लाभ। साथ ही जानिए कौनसे हैं सबसे महत्त्वपूर्ण प्राणायाम।
प्राणायाम का महत्त्व (Benefits of Pranayama in Hindi)
प्राणायाम योग का चौथा तथा सबसे महत्त्वपूर्ण चरण है। प्राणायाम से हम श्वास को नियंत्रित करना तथा मन-मस्तिष्क को शांत करना सीखते हैं। यह रोगों से रक्षा करता है और साथ ही रक्त की शुद्धि में भी सहायक है। योग के आगे के चरण, प्राणायाम में कुशल हुए बिना नहीं सीखे जा सकते।
प्राणायाम में हम श्वास पर नियंत्रण करने का अभ्यास करते हैं जो हमें योग के बाकि चरणों में स्थिर होने में भी सहायता करता है।
- प्राणायाम रक्तचाप को स्थिर रखने में सहायक होता है।
- प्राणायाम शरीर में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाता है।
- इससे तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है।
- प्राणायाम एकाग्रता और शांति प्रदान करता है।
- इससे त्वचा पर तेज आता है।
- नियमित प्राणायाम व्यक्ति की आयु बढ़ाने में भी सहायता कर सकता है।
- प्राणायाम से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह अच्छा होता है और पूरे दिन व्यक्ति को स्वस्थ और अच्छा महसूस होता है।
- यह शरीर से अत्याधिक चर्बी और वज़न घटाने में भी सहायक है।
प्राणायाम के प्रकार (Types of Pranayama in Hindi)
वैसे तो प्राणायाम के कई प्रकार हैं जिनमें कपालभाति, अनुलोम-विलोम सर्वाधिक प्रचलित हैं परन्तु घेरन्ड संहिता में प्राणायाम के आठ प्रकार बताए गए हैं –
- सूर्यभेदी
- सहित
- उज्जायी
- शीतली
- भस्त्रिका
- भ्रामरी
- मूर्च्छा
- केवली
ये सभी प्राणायाम अत्यंत लाभकारी हैं। अलग-अलग प्राणायाम करने से अलग-अलग लाभ मिलते हैं। शीतली प्राणायाम से शरीर व पेट की गर्मी शांत होती है और अत्याधिक पसीना आने की परेशानी भी कम होती है। उज्जायी प्राणायाम से टी बी, थायराइड, अनिद्रा, तनाव, तुतलाने और हकलाने की समस्या में आराम मिलता है। इसी तरह भ्रामरी प्राणायाम से माइग्रेन और डिप्रेशन आदि की समस्या में लाभ मिलता है।
5 महत्त्वपूर्ण प्राणायाम (5 Important Pranayama in Hindi)
प्राणायाम के विविध प्रकार हैं परन्तु आज के लेख में हम उन 5 महत्त्वपूर्ण प्राणायामों की चर्चा करेंगे जो बेहद सरल और प्रभावशाली हैं। ये 5 लाभदायक प्राणायाम हैं – कपालभाति, अनुलोम विलोम, शीतली, भ्रामरी और उज्जायी। इन सभी प्राणायामों की प्रक्रिया और लाभ निम्नवर्णित हैं –
कपालभाति (Kapalbhati Pranayama)
- ये प्राणायाम सुखासन, पद्मासन, अथवा वज्रासन में बैठकर किया जाता है। आप इनमें से किसी एक आसन में बैठ जाएँ।
- अब साँस को बाहर फेंकना है और ऐसा करते समय पेट को अन्दर की तरफ धकेलना है। फिर झटके से सांस को बाहर छोड़ना है।
- फिर इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराना है।
- शुरुआत में आप इसका अभ्यास 5 मिनट कर सकते हैं और अनुभव के साथ धीरे-धीरे इसे 20 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
- कपालभाति प्राणायाम करते समय हमेशा मूलाधार चक्र पर ध्यान केन्द्रित करना होता है। कपालभाति करते समय श्वास छोड़ते हुए शरीर के सारे विकार बाहर जाते हैं।
लाभ – कपालभाति करने से चेहरे की झुरियाँ ठीक हो जाती हैं। साथ ही बाल झड़ना, थायराॅइड, कब्ज, डायबिटीज, कोलेस्ट्राल बढ़ना, हीमोग्लोबिन की कमी, तथा और भी बहुत सारी समस्याएं समाप्त हो जाती है।
अनुलोम विलोम (Anulom Vilom Pranayama)
- इस आसन को करने के लिए सुखासन, पद्मासन, या वज्रासन में बैठें।
- नाक का दाँया नथुना अंगूठे से बंद करें और बाँये तरफ से लंबी साँस लें।
- फिर बाँये नथुने को बंद करें और दाँये वाले से लंबी साँस छोडे़ं।
- अब दाँये से लंबी साँस लें और बाँयें वाले से छोडे़ं।
- यही प्रक्रिया 10-20 मिनट तक करें।
लाभ – अनुलोम विलोम से रक्तचाप की समस्या, ऐलर्जी, ब्रेन ट्यूमर, कैंसर,कार्टीलेज घिसना, पैरालिसिस, टौंसिल, चर्म रोग आदि बीमारियाँ ख़त्म हो जाती हैं तथा शरीर की नाड़ियाँ शुद्ध हो जाती हैं।
शीतली (Sheetali Pranayama)
- इस प्राणायाम के लिए पद्मासन, वज्रासन, सुखासन या सिद्धासन में बैठें।
- मुख को “ओ” का उच्चारण करते समय जिस आकार में होता है, वैसा कर लें।
- फिर अब जीभ को बाहर निकालें और मुख से गहरी श्वास अन्दर खींचे।
- अब मुख बंद करके नाक से श्वास छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को 10 मिनट तक करें।
लाभ – शीतली प्राणायाम करने से पसीना आना कम होता है और शरीर की गर्मी काम होती है। यह पेट की गर्मी को भी कम करता है।
भ्रामरी (Bhramari Pranayama)
- यह प्राणायाम करने के लिए वज्रासन, पद्मासन, सुखासन में बैठें।
- दोनो हाथों केअंगूठों से अपने कान पूरी तरह बन्द करें।
- दो अँगुलियों को मस्तक पर रखें।
- बाकि सभी अंगुलियों से दोनों आँखों को ढक लें।
- अब गहरी श्वास लें और कंठ से भवरें के जैसे स्वर उत्पन्न करें अर्थात “म” का मुख बंद करके दीर्घ उच्चारण करें।
- यह प्राणायाम 6-8 मिनट करें।
लाभ – इस प्राणायाम से एकाग्रता बढ़ती है और डिप्रेशन, माईग्रेन, आदि की समस्या से राहत मिलती है।
उज्जायी (Ujjayi Pranayama)
- उज्जायी प्राणायाम भी पद्मासन, सुखासन, या वज्रासन में बैठकर किया जाता है। अतः आप इनमें से किसी एक आसन में बैठ जाएँ।
- गले को सिकोड़ कर सांस लेनी है और धीरे-धीरे छोड़नी है।
- यह प्राणायाम 6-8 मिनट करें और समय आप अपने अनुसार थोड़ा बढ़ा भी सकते हैं।
लाभ – उज्जायी प्राणायाम टी बी, थायराइड, तनाव, अनिद्रा, तुतलाने और हकलाने की समस्या में लाभकारी हो सकता है।
प्राणायाम के इन मुख्य प्रकारों को नियमित रूप से अपनाकर आप भी एक बेहतरीन और स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं। यह सभी प्राणायाम करने में अत्यंत सरल हैं और उससे भी अधिक लाभदायक हैं। प्रतिदिन यदि आप 1 घंटे केवल प्राणायाम भी कर लेते हैं, तो धीरे-धीरे आपको असर दिखने लगेगा और आप स्वतः ही प्रसन्नता का अनुभव करने लगेंगे।
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