Pradosh Vrat July 2024: शास्त्रों में प्रदोष व्रत को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। भगवान शिव के प्रसन्न होने जीवन में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती है। मान्यताओं के अनुसार प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा करना बहुत लाभकारी होता। रावण ने भी भोलेनाथ की कृपा से इतनी धन-सम्पदा हासिल की थी। रावण प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करता था और उनके आशीर्वाद से ही सिद्धियां प्राप्त करता था।
धर्मशास्त्रों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन से धन की कमी को दूर करना चाहता है तो उसे प्रदोषकाल में गन्ने के रस से शिव जी का रूद्राभिषेक करना चाहिए। भोलेनाथ और प्रदोष का एक अन्योन्याश्रित संबंध है। हम आपको बता दें कि, रात्रि के प्रारंभ की जो बेला होती है उसे प्रदोष कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि, भगवान शिव को रात्रि विशेष रूप से प्रिय है। इसलिए प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा करने से वो प्रसन्न हो जाते हैं। आज हम आपको प्रदोष व्रत के महत्व और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे है।
जुलाई में कब है प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat July 2024)
जुलाई महीने में 19 जुलाई को प्रदोष व्रत किया जायेगा।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (July Pradosh Vrat Date and Timings in Hindi)
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई 2024, सुबह 08:44 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 19 जुलाई को सुबह 07:41 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में भक्त 19 जुलाई को प्रदोष व्रत कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत का महत्त्व (Pradosh Vrat Significance in Hindi)
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यताओं के अनुसार जो मनुष्य प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करता है उसके सभी कार्य सफल हो जाते हैं। पूरे मन और श्रद्धा के साथ प्रदोष व्रत करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। भक्त प्रदोषकाल में व्रत करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। कुछ भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्रदोषकाल में मंदिर जाकर भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करते हैं। प्रदोष व्रत करने से मनुष्य संतोषी एवं सुखी रहता है।
जो महिला पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ प्रदोष व्रत करती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। जो भी स्त्री-पुरुष प्रदोष व्रत को करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं कैलाशपति शंकर पूर्ण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है तो उसे सौ गाय-दान करने जितना पुण्य प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत करके पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी दुःख दूर हो जाते हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत कथा (Shukra Pradosh Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीनकाल में एक गांव में एक विधवा ब्राम्हण स्त्री रहती थी। गरीब और बेसहारा होने के कारण ब्राम्हण स्त्री भिक्षा मांगकर अपना गुज़ारा करती थी। एक दिन ब्राम्हण महिला भिक्षा मांग कर वापस लौट रही थी, तो उसने रास्ते में दो बेसहारा बालकों को देखा। ब्राह्मणी को दोनों बालकों पर दया आ गई और वह उन्हें अपने साथ घर ले आई। बालकों के बड़े होने के बाद ब्राम्हण स्त्री उन्हें ऋषि शांडिल्य के आश्रम में ले गई। ब्राम्हण स्त्री ने ऋषि शांडिल्य से दोनों बालकों की पहचान पूछी। ऋषि शांडिल्य ने तप के बल पर पता करके ब्राम्हणी को बताया की ये दोनों बालक विदर्भ राज के राजकुमार हैं। गंदर्भ नरेश ने युद्ध में इनके पिता को हराकर इनका राज-पाठ छीन लिया था।
ब्राह्मणी ने ऋषि से दोनों बालकों को उनके पिता और राज्य दोनों मिलने का उपाय पुछा। तब ऋषि शांडिलय ने ब्राम्हणी को सलाह कि, वह पूरे विधि विधान के साथ प्रदोष व्रत रखे। ऋषि की बात मानकर ब्राम्हणी ने बालकों के साथ मिलकर प्रत्येक माह का प्रदोष व्रत किया। प्रदोष व्रत के प्रभाव से एक दिन बड़ा राजकुमार अंशुमती से मिला। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। अंशुमती के पिता ने राजकुमार का विवाह अपनी पुत्री अंशुमति से करवा दिया। विवाह के वाद दोनों राजकुमारों ने अंशुमती के पिता की सहायता से गंदर्भ पर आक्रमण करके जीत लिया। राजकुमार ने गरीब ब्राह्मणी को भी अपने राज्य में बुलाकर अपने पास रख लिया। प्रदोष व्रत के प्रभाव से ब्राम्हणी के भी सारे दुख खत्म हो गए।
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर नित्यक्रियओं से निवृत होने के पश्चात् अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव का स्मरण करते हुए पूरा दिन निराहार व्रत करें।
- संध्याकाल में सूर्यास्त से एक घण्टा पहले दोबारा स्नान कर लें।
- अब अपने घर के पूजाघर में उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ।
- अब अपने सामने एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछा लें।
- अब इस चौकी पर शिव परिवार की तस्वीर की स्थापना करें।
- अब गंध, मदार पुष्प, बिल्वपत्र, धूप-दीप तथा नैवेद्य आदि से भगवान शिव और उनके परिवार का पूजन करें।
- अब शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए भोलनाथ को जल अर्पित करें।
- भोलेनाथ को जल अर्पित करते समय जलधारा टूटनी नहीं चाहिए।
- प्रदोष काल में भगवान शिव पार्वतीजी और नंदी का पूजन भी करना चाहिए।
- अब भगवान शिव को ऋतुफल अर्पित करने के बाद शिव चालीसा का पाठ करें।
- अंत में भोलेनाथ की आरती करने के बाद प्रसाद वितरित करें।
प्रदोष व्रत के फायदे (Pradosh Vrat Ke Fayde)
- जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रविवार को प्रदोष करता है वह हमेशा स्वस्थ रहता है और उसे लम्बी आयु में प्राप्त होती है।
- सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
- जो मनुष्य बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करता है उसकी हर तरह की कामना सिद्ध हो जाती है।
- बृहस्पतिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- जो भक्त शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करता हैं उसके जीवन में सौभाग्य का आगमन होने के साथ उसके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।
- शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
शुक्रवार प्रदोष व्रत के उपाय (Pradosh Vrat Ke Upay)
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है, तो शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा के समय सफेद वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात् अपने माथे पर चंदन का टीका लगाएं।
- अपने जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा पाने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत के दिन गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- जीवन में स्थिरता लाने के लिए शिवलिंग पर दही अर्पित करें।
- अगर आप बल प्राप्त करना चाहते हैं तो शुक्र प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर गाय का देसी घी अर्पित करें।
- मान सम्मान में वृद्धि लाने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत के शिवलिंग पर चंदन लगाएं।
शास्त्रों में प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता बताई गयी है। मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन सच्ची श्रद्धा और पूरे मनोभाव से भोलेनाथ की पूजा की जाए तो भोलेनाथ अपने भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं।