हिन्दू धर्म के अनुसार सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। सनातन धर्म परंपरा के आदिपंचदेवों में श्री गणेश, माता भगवती, विष्णु, शिव और सूर्य का प्रमुख स्थान है। सोमवार भगवान शिव का दिन है, वे एक अलौकिक शक्ति हैं, वे ब्रम्हांड के शासक हैं, उनकी पूजा ही सब विपदाओं का अंत कर सकती है। इनकी साधना से मनुष्य के कष्टों का अंत होता है।
शिव भक्तों को हर दिन और खासकर सोमवार की सुबह की शुरुआत शिव मंत्र और उनकी आरती से करनी चाहिए ताकि व्यक्ति की सभी चिंताएं खत्म हो जाएं और उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाए। आज के लेख में हम भगवान शिव की आरती के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इस लेख में आप जानेंगे कि भगवान शिव की आरती कैसे की जाती है और इसके फायदे क्या हैं।
शिव जी की आरती का महत्त्व (Shiv ji ki Aarti Lyrics in Hindi)
ऐसा माना जाता है कि महादेव की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। महादेव भोलेनाथ हैं, इसलिए वे बहुत भोले हैं और अपने भक्तों की प्रार्थना तुरंत स्वीकार कर लेते हैं। इनकी पूजा बहुत ही सरल और साधारण होती है। इनकी पूजा करने से ही व्यक्ति की सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप नियमित रूप से इस आरती का पाठ करते हैं, तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, आपका मन शांत हो जायेगा और आपकी आत्मा सभी प्रकार के नकारात्मक विचारों से मुक्त हो जाएगी। मन भी नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हो जाता है।
शिव जी की आरती के लाभ (Shiv ji ki Aarti Benefits in Hindi)
- शिव जी की आरती का पाठ करने से मन को अध्यात्मिक रूप से शांति मिलती है।
- भोलेनाथ इस सृष्टि का एक क्षण में संहार करने की भी शक्ति रखते हैं इसलिए उनके उपासकों को किसी का भय नहीं होता।
- शिव जी की आरती करने पर पूजा में और किसी अन्य साधन की आवश्यकता नहीं होती।
- शिव जी की आरती का नियमित रूप से घर में पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- आरती पाठ से घर के वातावरण में सकारात्मकता आती है।
शिव जी की आरती लिरिक्स (Shri Shiv ji ki Aarti Lyrics in Hindi)
जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
ऊँ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ऊँ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ऊँ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
ऊँ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ऊँ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ऊँ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ऊँ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ऊँ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ऊँ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा…॥
ऐसे करें आरती (Shiv Aarti Vidhi)
- सोमवार के दिन शिव भक्तों को सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए।
- सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है।
- अब भगवान शिव और पार्वती का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें।
- अब शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं और भगवान शिव के साथ-साथ पूरे शिव परिवार की पूजा करें।
- शिव चालीसा और रुद्राक्ष की माला पर नमः शिवाय का जाप करना शुभ होता है।
- आरती करने के बाद परिवार के सदस्यों को प्रसाद वितरित करें।
- भगवान शिव को खीर का भोग अतिप्रिय होता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव को संपूर्ण ब्रह्मांड का पिता माना जाता है। वह सभी देवताओं में सबसे पवित्र हैं। भगवान शिव, जिन्हें “महादेव” या सबसे महान देवता के रूप में भी जाना जाता है, की पूजा करने से समृद्धि, धन, स्वास्थ्य और मन की शांति मिलती है। माना जाता है कि महादेव की आरती न
केवल पढ़ने वाले के लिए बल्कि श्रोता के लिए भी लाभकारी होती है। जो प्रतिदिन आरती सुनता है और नियमित रूप से आरती का पाठ करता है उसके जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
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