Kuber ji ki Aarti Lyrics: शास्त्रों में कुबेर महाराज को सभी देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है। मान्यताओं के अनुसार कि धन की देवी लक्ष्मी ने भगवान कुबेर को धन संबंधी कार्यों का लेखा-जोखा करने की ज़िम्मेदारी सौंपी हुई है। इसके अलावा जैसे माँ लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है वैसे ही कुबेर महराज की पूजा धन के देवता के रूप में की जाती है। माँ लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की पूजा करने से सुख और समृद्धि के साथ जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती हैं।
अगर आप भी चाहते हैं कि आपका जीवन हमेशा धन धान्य से भरपूर रहे तो नियमित रूप से 108 बार कुबेर देव के मंत्र का जाप करने के पश्चात् श्री कुबरे जी की आरती करें। आज हम आपके लिए कुबेर जी की आरती लिरिक्स और पूजा विधि लेकर आये हैं। रोज़ाना कुबेर महाराज की आरती करने से आपको जीवन में कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कुबेर जी की आरती का महत्व (Kuber ji ki Aarti Ka Mahatva)
हिंदू धर्म में भगवान कुबेर की आरती को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कुबेर महाराज को भगवान विष्णु का अंशावतार माना जाता है। नियमित रूप से भगवान कुबेर की पूजा के बाद उनकी आरती करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। भगवान कुबेर को भगवान शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कुबेर देवता देवताओं के धन का कोषाध्यक्ष होने के साथ धनपति भी हैं। शास्त्रों के मुताबिक भगवान कुबेर के पास कभी ना खत्म होने वाला धन का अक्षय भंडार है। इसके अलावा भगवान कुबेर को धन का संरक्षक भी माना जाता है। नियमित रूप से भगवान की आरती करने से धन स्थाई होता है। लोग अपने धन को स्थिर रखने के लिए भगवान कुबेर की पूजा और आरती करते हैं। कुबेर देवता की पूजा करने से धन में बढ़ोतरी होने के साथ धन सुरक्षित रहता है। शास्त्रों के अनुसार धन के देवता कुबेर आसुरी शक्तियों का हरण करने वाले देवता भी है।
कुबेर जी की पूजा कैसे करें (Kuber ji ki Puja Kaise Karen)
- कुबेर देव की पूजा करने के लिए प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- अब अपने घर के पूजा घर को साफ़ कर लें और एक लकड़ी की चौकी पर कुबेर यंत्र की स्थापना करें।
- अब पंचोपचार से भगवान कुबेर की पूजा करें। पंचोपचार अर्थात पहले आचमन, फिर ध्यान, फिर जाप, इसके बाद आहुति होम और आखिर में आरती की जाती है। अगर आप पंचोपचार विधि से भगवान कुबेर की पूजा करते हैं तो कुबेर देव प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- भगवान कुबेर की पूजा में कुबेर देव को चंदन, धूप, फूल, दीप, नैवेद्य और भोग आदि ज़रूर चढ़ाएं।
- अंत में कुबेर देव के विशेष मंत्रों का जाप करें।
कुबेर जी की आरती लिरिक्स (Kuber ji ki Aarti Lyrics)
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जयकार करैं॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥
कुबेर आरती के फ़ायदे (Kuber Aarti Ke Fayde)
- नियमित रूप से कुबेर देव की आरती करने से धन, दौलत, संपत्ति, वित्तीय सफलता के साथ घर में सुख और समृद्धि आती है।
- रोज़ाना कुबेर देव की आरती करने से घर की तिजोरी कभी खाली नहीं होती है।
- कुबेर देव की आरती करने से धन लाभ होने के साथ रोज़गार और व्यापर में सफलता मिलती है।
- अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए अपने घर के उत्तर पूर्व दिशा को गंगाजल से शुद्ध करके चमेली के तेल, एक मोमबत्ती जलाकर कुबेर देवता का स्मरण करें। अब पूजा करने के बाद उनकी आरती करके उन्हें अपनी मनोकामना बताएं। ऐसा करने से बहुत जल्द आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी।