bhaktiaanand.com

Sankashti Chaturthi April 2024: जानिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ समय और चन्द्र दर्शन का समय

प्रतिवर्ष विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन माता गौरी के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शुभ कार्यों की सफलता के लिए भी व्रत किया जाता है। विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत स्त्री और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। इस अवसर पर भगवान गणेश की विशेष पूजा और व्रत रखने की परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही आपकी आय और संपत्ति में वृद्धि होती है। अगर आप गणपति बप्पा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की अच्छे से पूजा करें। आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि अप्रैल 2024 में संकष्टी चतुर्थी कब है और उस दिन पूजा और चन्द्र दर्शन कब होगा।

संकष्टी गणेश चतुर्थी अप्रैल 2024 (Sankashti Chaturthi April 2024)

विकट संकष्टी चतुर्थी को वैशाख की संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। यह व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस उपवास में रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा के साथ अर्घ्य दिया जाता है। जो लोग विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत विधि-विधान से करते हैं, उनके जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी और बप्पा के आशीर्वाद से उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। विकट संकष्टी चतुर्थी 27 अप्रैल 2024 को है।

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2024 (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat 2024)

Sankashti Chaturthi Puja

पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सुबह 8:17 बजे शुरू होगी और अगले दिन 28 अप्रैल को सुबह 8:21 बजे समाप्त होगी। ऐसे में विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 27 अप्रैल को रखा जाएगा। विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन दिव्य भद्रा भी लगती है। भद्रा समय 05:44 से 08:17 तक है। यह भद्रा स्वर्ग लोक में है।

संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने की परंपरा है। इस दिन चंद्र दर्शन का समय 22:23 बजे है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा (Sankashti Chaturthi Puja 2024)

शास्त्र कहते हैं कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए, तभी इसका अधिकतम लाभ मिलने की संभावना होती है। नारद पुराण के अनुसार पूरे दिन व्रत रखने का नियम है। इस दिन सुबह स्नान-ध्यान करना चाहिए, उपवास करना चाहिए और भगवान गणेश को मोदक, दूब, लड्डू, फूल आदि चढ़ाना चाहिए। इस दिन चांद निकलने के बाद चन्द्रदेव को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व होता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व (Sankashti Chaturthi Significance in Hindi)

हिंदू धर्म में सभी अच्छे काम विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा के बाद ही शुरू होते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चतुर्थी महीने में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है और कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। हालाँकि,भारत के दक्षिणी भाग में यह पर्व संकटहरा चतुर्थी के नाम से विख्यात है। मान्यता है की इस पावन दिन पर पूजा करने से घर से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और शांति बनी रहती है और घर की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से यश, कीर्ति, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता देवता भी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से ही घर में सुख-शांति बनी रहेगी और घर से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाएगी। यदि विवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा से सच्ची श्रद्धा से यह व्रत रखती हैं तो इस दिन भगवान गणेश उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। इस खास दिन पर चंद्र देव को अर्घ्य देना भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह भी पढ़ें

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

Exit mobile version