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Shukra Pradosh Vrat Katha: शुक्र प्रदोष व्रत के दिन ज़रूर करें इस कथा का पाठ! व्रत होगा सफल, जानिए व्रत के नियम

वर्ष 2024 में 8 मार्च के दिन शुक्र प्रदोष व्रत है। इस दौरान भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पूरे परिवार की पूजा की जाती है। संतान प्राप्ति के समय यह व्रत बहुत उपयोगी माना जाता है। जिस दिन प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है उसे शुक्ल प्रदोष व्रत कहा जाता है। शुक्रवार के शुभ मुहूर्त के दौरान प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को भगवान शिव के साथ-साथ देवी लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइये शुक्र प्रदोष व्रत की कथा, इस व्रत के नियम और खान-पान सम्बन्धी नियम जानते हैं।

शुक्र प्रदोष व्रत की महिमा (Shukra Pradosh Vrat Ka Mahatva)

शुक्र प्रदोष व्रत अनेकों विपत्तियों से रक्षा करने वाला होता है। यह जीवन में विवाह और संपत्ति का सुख प्रदान करने वाला होता है। इस व्रत को करने से मानव किसी भी रोग या दोष की चिंता नहीं रहती। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। शाम को पूजा सूर्यास्त से लगभग एक घंटे पहले शुरू हो जाती है। चूंकि प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है इसलिए देवी लक्ष्मी की कृपा से यह सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करता है। प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा करने के बाद व्रत कथा भी पढ़नी चाहिए। शुक्र प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की तस्वीर या मूर्ति रखें और उसका गंगा जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को भांग, धतूरा, फल, फूल, चावल, दूध ये सब चढ़ाया जाता है। भगवान को भोग लगाने के लिए घी और चीनी मिश्रित सत्तू का भोग लगाना चाहिए। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

शुक्र प्रदोष व्रत कथा (Shukra Pradosh Vrat Katha)

प्राचीन काल में, तीन दोस्त एकनगर में रहते थे और तीनों में घनिष्ठ मित्र थे। उनमें से एक राजा का बेटा था, दूसरा ब्राह्मण का बेटा था और तीसरा सेठ का बेटा था। राजकुमार और ब्राह्मण लड़के का विवाह संपन्न हुआ। शादी के बाद सेठ के पुत्र का जन्म नहीं हुआ। एक दिन तीन दोस्त स्त्रियों  के बारे में बात कर रहे थे। ब्राह्मण के पुत्र ने महिलाओं की प्रशंसा करते हुए कहा, ”महिला के बिना घर भूतों का डेरा है।” ये बातें सुनकर सेठ पुत्र ने  तुरंत अपनी पत्नी को अपने साथ लाने का फैसला किया। सेठ के बेटे ने घर जाकर अपने माता-पिता को अपना निर्णय बताया।

उसने अपने पुत्र को बताया कि अभी शुक्र देव अस्त हैं। इन दिनों बहु-बेटियों को घर से विदा कराकर लाना अशुभ रहेगा, अतः शुक्रोदय होने दो और उसके बाद तुम अपनी पत्नी को ले आना।  सेठ का बेटा जिद्दी हो गया और अपने पत्नी के घर अर्थात अपने ससुराल चला गया। उसकी योजना के बारे में उसके सास-ससुर को पता चल गया। उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना। इसलिए उन्हें अपनी बेटी को भेजना पड़ा। घर से विदा होने के बाद, दंपति शहर से बाहर जा रहे थे, तभी उनकी बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और एक बैल का पैर टूट गया। उनकी पत्नी भी गंभीर रूप से घायल हो गई। सेठ के बेटे ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो उसका सामना डाकुओं से हुआ जिन्होंने उसका धन-धान्य सब लूट लिया।

सेठपुत्र  अपनी पत्नी के साथ रोता हुआ घर आया। जैसे ही वह घर पहुंचा , उसे सांप ने डस लिया। उसके पिता ने एक वैद्य बुलाया जिसने सेठ पुत्र की स्थिति  देखकर  घोषणा कर दी कि वह  तीन दिन में मर जायेगा। उसी समय इस घटना के बारे में ब्राह्मण के बेटे को पता चला। उसने सेठ से कहा कि वह अपने पुत्र को उसकी पत्नी के साथ वापस उसके पिता के घर भेज दे। यह सब बाधाएँ इसलिये उत्पन्न हुई कि आपके पुत्र ने शुक्रास्त में अपनी पत्नी को विदा कर दिया। जब वह वहां पहुंच जाएगा तो बच लिया जाएगा। सेठ को ब्राह्मण पुत्र का विचार उचित लगा  और उसने अपनी बहू और बेटे को वापस लौटा दिया। वहां सेठ पुत्र की हालत में सुधार हुआ, यानी शुक्र प्रदोष के महात्म्य से सभी परेशानियां दूर हो गईं। फिर उन्होंने अपना शेष जीवन प्रसन्नता से एक साथ बिताया।

इन नियमों का करें पालन (Shukra Pradosh Vrat Ke Niyam)

Shukra Pradosh Vrat Ke Niyam

इस दिन खान-पान में अपनाएं ये वस्तुएं (What to Eat in Shukra Pradosh Vrat)

इस उपवास अवधि के दौरान, आप दूध पी सकते हैं और डेयरी उत्पाद जैसे दही,  पनीर आदि खा सकते हैं। शाम को या अगले दिन अपना उपवास खोलने के बाद आप हरी मूंग का सेवन कर सकते हैं। हरी मूंग पृथ्वी तत्व का संकेतक है। इसके अलावा व्रत के दौरान सात्विक भोजन जैसे मावा बर्फी, आलू का हलवा, समा खीर चावल, नारियल बर्फी, आलू पापड़, केले के चिप्स, लौकी और सीताफल जैसी सब्जियां,  सिंघाड़े के आटे का पराठा, कुट्टू आदि खाया जाता है। साबूदाने  का सेवन करना उचित है।

प्रदोष व्रत के दौरान लाल मिर्च, अनाज, चावल और नमक से परहेज करना चाहिए।

हर माह त्रयोदशी के दिन भगवान शिव का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस बार शुक्र प्रदोष व्रत मनाया जाएगा क्योंकि या शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन व्रत और साधना करनी चाहिए। जब आप उपवास करते हैं तो आपको नियमों का पालन करना चाहिए और दिन में केवल एक बार हल्का भोजन करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से सभी विवाद समाप्त हो जाते हैं।

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

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