एक स्वस्थ शरीर के लिए न केवल बीमारियों की अनुपस्थिति, बल्कि संतुलित आहार, सही वजन और उचित मानसिक नियंत्रण की भी आवश्यकता होती है। योग इन सबके लिए एक उपयोगी विकल्प साबित हुआ है। योग आपको न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहने में मदद करता है। योग में ऐसे कई आसन हैं जो हर तरह की समस्या का समाधान करते हैं जैसे की वक्रासन, गरुड़ासन आदि। लेकिन आज हम एक ऐसे आसन के बारे में बात करेंगे जो करने में जितना आसान है, उससे भी ज्यादा उपयोगी है।
हम भुजंगासन के बारे में बात कर रहे हैं। सूर्य नमस्कार में भुजंगासन को भी शामिल किया जाता है क्योंकि इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। आइए जानते हैं कि भुजंगासन का अभ्यास कैसे करें और इससे आपके शरीर को क्या लाभ होते हैं। इस लेख में आप भुजंगासन से जुड़ी सावधानियां और अन्य महत्वपूर्ण बातें भी जानेंगे।
क्या है भुजंगासन? (Bhujangasana in Hindi)
भुजंगासन दो शब्दों से मिलकर बना है। भुजंग का मतलब है सर्प या सांप और दूसरे का मतलब है आसन। अंग्रेजी में इसे “कोबरा पोज़” कहा जाता है क्योंकि इससे शरीर का आकार सांप जैसा हो जाता है। भुजंगासन का मुख्य प्रभाव सीधे पेट की मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। यही कारण है कि यह आसन पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करने और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। भुजंगासन योग का नियमित अभ्यास शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार, मानसिक स्वास्थ्य को विकसित करने के लिए और कई अन्य समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए फायदेमंद माना जाता है।
भुजंगासन की विधि (Bhujangasana Steps in Hindi)
- यह आसन करने के लिए पहले शरीर को ज़मीन की ओर कर लें अर्थात उल्टा लेट जायें। अब अपने दोनों हाथों को कंधों के पास रखें जैसे की पुशअप्स करते समय रखते हैं।
- आपकी कोहनी थोड़ी मुड़ी हुई होनी चाहिए तथा आपके पेट के नीचे का हिस्सा जमीन पर लगा होना चाहिए।
- हाथों के बल पर शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं और ऊपर देखने की कोशिश करें।
- कम से कम 30 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहने के बाद पहले वाली मुद्रा में आ जाएं और भुजंगासन को करते समय गहरी सांस भरते रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते रहें।
भुजंगासन करने के फायदे (Bhujangasana Benefits in Hindi)
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाने के लिए इस आसन का अभ्यास करना उत्तम है।
- यह आसन आपके शरीर और रीढ़ की हड्डी की नसों को टोन करता है और मजबूत बनाता है।
- भुजंगासन पाचन, लीवर और किडनी की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है।
- इस आसन को करने से छाती और फेफड़ों की मांसपेशियों, कंधे और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। इन लाभों के लिए तितली आसन भी उपयुक्त है.
- यह तनाव और थकान दूर करने में मदद करता है। यह आसन करने पर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से आपके चेहरे पर चमक आती है।
- यह आसन अस्थमा के लक्षणों को कम करता है।
- साइटिका की समस्या से राहत दिलाने में भी यह आसन मदद करता है।
- प्रजनन प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए इस आसन का अभ्यास फायदेमंद माना जाता है।
- इससे अनियमित मासिक धर्म की समस्या भी दूर हो जाती है।
- भुजंगासन शरीर को, खासकर कमर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
- पीठ के निचले हिस्से में अकड़न इस आसन को करने से दूर हो जाती है और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है।
- इस योगासन का अभ्यास करने से पेट की समस्याओं जैसे सूजन, अपच और कब्ज से छुटकारा मिलता है।
- अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो भी यह आसन किया जा सकता है।
- भुजंगासन शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है अर्थात डीटौक्स करता है और इसका असर त्वचा पर भी नजर आता है।
भुजंगासन करते समय रखें इन बातों का ध्यान (Bhujangasana Precautions in Hindi)
- पहले चरण के रूप में, भुजंगासन योग स्थिति को लगभग 30 सेकंड तक बनाए रखने की सलाह दी जाती है। हालाँकि, अभ्यास से आप धीरे-धीरे इस समय सीमा को 1 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
- भुजंगासन करते समय ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ की हड्डी पर ज्यादा दबाव न पड़े।
- अपने शरीर को सही स्थिति या मुद्रा में रखें।
- ध्यान दें कि आपके शरीर के किसी एक ही हिस्से पर दबाव न पड़े।
- यह आसन गर्भवती महिलाओं के लिए ठीक नहीं है।
- मुद्रा में पहुंचने के बाद सांस रोकें नहीं, लेते रहें।
- योग केवल खाली पेट ही करें।
- भुजंगासन के बाद शीर्षासन भी किया जा सकता है. क्योंकि ये वार्म-अप के लिए उपयुक्त मुद्रा है, इसलिए इसे शीर्षासन से पहले किया जा सकता है.
- किसी प्रकार की समस्या होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के इस योगासन का अभ्यास न करें।
भुजंगासन या कोबरा आसन का नियमित अभ्यास स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द से पीड़ित लोगों के लिए, इस योग के नियमित अभ्यास से इन समस्याओं से राहत मिल सकती है। कई कामकाजी लोगों को सुबह से शाम तक घंटों बैठकर काम करना पड़ता है। लंबे समय तक बैठे रहना शरीर के लिए हानिकारक होता है। इसके कारण कम उम्र से ही लोगों को पीठ दर्द, गर्दन दर्द और वजन बढ़ने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए भुजंगासन भी बहुत फायदेमंद है।
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डिसक्लेमर: यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर किसी का शरीर भिन्न होता है। हर योग आसन सभी के लिए प्रभावी नहीं होता। यह लेख केवल सामान्य जानकारी और शिक्षा के लिए है और इसका उपयोग चिकित्सा या चिकित्सा-संबंधी सलाह, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार की परेशानी एवं रोग होने पर योग आसन का अभ्यास शुरू करने से पूर्व अपने डॉक्टर या योग गुरु से सलाह अवश्य लें।