हिंदू कैलेंडर के अनुसार, बसंत पंचमी हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाई जाती है। इस खास दिन पर ज्ञान और बुद्धि की देवी, मां सरस्वती की पूजा की जाती है। 2024 में बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त भक्ति और उत्साह के साथ मां सरस्वती की पूजा करते हैं। देवी सरस्वती को ज्ञान और संगीत की देवी माना जाता है, इसलिए यह दिन छात्रों, शिक्षकों और सीखने, गायन और वादन से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आइये जानते हैं कि सरस्वती पूजा कैसे करें और पूजा के लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
सरस्वती पूजा की सामग्री (Saraswati Puja Samagri 2024)
- लकड़ी की चौकी
- पीला आसन
- सरस्वती माता की प्रतिमा या चित्र
- गंगाजल
- कलश
- रोली
- सफ़ेद चन्दन
- नारियल
- मौली
- हल्दी
- अक्षत (साबुत चावल)
- धूप- अगरबत्ती
- पीले पुष्प
- पिली मिठाई
- दही
- मिश्री
- श्रृंगार का सामान
इस विधि से करें सरस्वती माता की पूजा (Saraswati Mata Puja Vidhi 2024)
- देवी सरस्वती की पूजा करने से पहले सबसे पहले स्नान कर लें और पीले वस्त्र धारण करें।
- पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।
- अपने सामने एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- देवी की मूर्ति या तस्वीर रखने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। इसके बाद मन ही मन भगवान विष्णु और भगवान शिव का ध्यान करके उन्हें प्रणाम करें।
- इसके बाद कलश पूजन करें। कलश में जल भरें, उस पर तिलक करें और धुप-दीप, फूल आदि चढ़ाएं।
- इसके बाद नवग्रहों को और फिर मां सरस्वती को प्रणाम करें।
- फिर देवी को श्रृंगार वस्तुएं अर्पित करें।
- फिर मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, दानेदार चीनी, दही, हलवा आदि का प्रसाद चढ़ाएं। देवी माँ के सामने ध्यान में बैठें।
- नीचे दी गयी सरस्वती वंदना पढ़ें।
- मां सरस्वती के चरणों में सफेद चंदन लगाएं।
- अपने दाहिने हाथ से उनके चरणों में पीले और सफेद फूल चढ़ाएं और जपें “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।”
- सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
- अंत में भगवान गणेश की आरती और देवी सरस्वती की आरती करके पूजा संपन्न करें।
सरस्वती Puja वंदना (Saraswati Puja Vandana 2024)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
यह वंदना सरस्वती स्तोत्रम का एक अंश है, जो देवी सरस्वती को समर्पित एक बहुत प्रसिद्ध स्तोत्र है। सरस्वती पूजा के दौरान इस सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे साधक मां सरस्वती की कृपा प्राप्त कर सकता है।
माता सरस्वती को करें ये ख़ास वस्तुएं अर्पित
सरस्वती पूजा के दिन विभिन्न स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसी जगहों पर जाकर पढ़ाई से जुड़ी चीजें जैसे पेन, इंकवेल, पेंसिल, नोटबुक आदि दान करना है।
इस दिन देवी सरस्वती को पीले फूल चढ़ाने चाहिए क्योंकि उन्हें यह रंग अत्यंत प्रिय है। वह इस बात से खुश होती है और उसे ज्ञान और बुद्धि देती है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना और दान करना सर्वोत्तम होता है।
देवी सरस्वती की विधिवत पूजा के बाद पीले रंग की मिठाइयाँ जैसे पीले मीठे चावल, बेसन के लड्डू, बूंदी, हलवा आदि का भोग लगाया जाता है। उन्हें भोग लगाना चाहिए और प्रसाद के रूप में वितरित भी करना चाहिए।
सरस्वती पूजा का दिन शुभ कार्यों के लिए बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन शादियां, नामकरण संस्कार, गृह प्रवेश, खरीदारी आदि की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन शादी करते हैं उन्हें सभी देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद मिलता है और शादी का बंधन सात जन्मों तक चलता है।
मान्यता है कि सरस्वती पूजा के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का तिलक उत्सव हुआ था। इसलिए यह दिन विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए रीति-रिवाज के अनुसार इस दिन को देवी सरस्वती की पूजा का दिन माना जाता है। चूंकि देवी सरस्वती ज्ञान की देवी हैं, इसलिए कहा जाता है कि इस दिन विशेष पूजा से शिक्षा में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
यह भी पढ़ें
- Mauni Amavasya Vrat Katha
- Mauni Amavasya Kab Hai 2024
- Mauni Amavasya Upay
- Mauni Amavasya Puja Vidhi
- February 2024 Vrat Tyohar List
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।