Masik Shivratri May 2024: मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। लगभग हर माह की शिवरात्रि में भगवान शंकर की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री और माता पार्वती ने शिवरात्रि का व्रत किया और भगवान शिव की कृपा से अनंत फल प्राप्त किया।
मासिक शिवरात्रि माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। इस बार वैशाख माह की शिवरात्रि में तीन शुभ संयोग बन रहे हैं जिसमें शिव जी की पूजा की जाती है। यह शिवरात्रि महीना ब्रिटिश कैलेंडर के पांचवें महीने मई में आता है। इस कारण मई के व्रत-त्यौहारों में शिवरात्रि भी शामिल होती है।
इस बार शिवरात्रि के दिन भद्रा का साया है और पंचक भी है लेकिन भगवान शिव महाकाल हैं और उनकी पूजा में भद्रा, पंचक या राहुकाल की कोई बाधा नहीं होती। तो आइये जानते हैं की वैशाख महीने की शिवरात्रि कब है, इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त कौन से होंगे, कौन से 3 शुभ संयोग हैं और शिवरात्रि का महत्त्व क्या है।
मई में शिवरात्रि कब है (May Me Shivratri Kab Hai 2024)
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि सोमवार, 6 मई 2024 को दोपहर 2:40 बजे से प्रारंभ हो रही है। यह अगले दिन, मंगलवार, 7 मई, 2024 को 11:40 पर समाप्त होती है। ऐसे में इस बार मासिक शिवरात्रि व्रत निशिता पूजा मुहूर्त के आधार पर 6 मई 2024, सोमवार को मनाया जाएगा, जिसका शिव भक्तों को बेसब्री से इंतजार है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान शिव की आरती और पूजा करते हैं।
मई में शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri May 2024 Shubh Muhurat)
इस दिन निशिता काल की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:56 बजे से 12:39 बजे तक है। जो साधक रात्रि में शिव जी की साधना करना चाहता है, उसके लिए यह सर्वोत्तम समय है।
मासिक शिवरात्रि की तिथि के अंतर्गत 2 अति शुभ योग रहने वाला है। यह अमृत सर्वार्थ सिद्धि योग 7 मई के दिन सुबह 05:53 बजे से दोपहर 03:32 बजे तक रहेगा।
इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा, अमृत काल दोपहर 03:31 बजे से 04:58 बजे तक रहेगा तथा ब्रह्ममुहूर्त सुबह 04:17 बजे से 05:05 बजे तक रहेगा। इस समय में आप पंचामृत से शिव जी का रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
वैशाख की शिवरात्रि में बन रहे हैं शुभ संयोग (Masik Shivratri May 2024 Shubh Yog)
6 मई को मासिक शिवरात्रि के दिन तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। वैशाख मास की शिवरात्रि सोमवार को पड़ रही है और सोमवार के दिन तो वैसे भी भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा है। इसी दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग बनेगा। 6 और 7 मई को अर्धरात्रि 12:29 बजे तक प्रीति योग रहेगा, उसके बाद आयुष्मान योग लगेगा। दोनों ही योग बहुत शुभ माने जाते हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह से शाम 5:43 बजे तक रेवती नक्षत्र है, उसके बाद अश्विनी नक्षत्र है।
इस समय में न करें कोई शुभ काम
शिवरात्रि के दिन भद्रा काल और पंचक भी है। इस दिन, भद्रा दोपहर 2:40 बजे शुरू होती है और 1:09 बजे तक रहती है। पंचक सुबह 5:36 बजे शुरू होता है और शाम 5:43 बजे तक रहता है। राहुकाल 7:31 से 9:08 तक और यमगंड काल 10:46 से 12:23 तक रहेगा। इन सभी अशुभ समय में शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
मासिक शिवरात्रि का महत्त्व (Masik Shivratri Significance in Hindi)
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। भगवान शिव की कृपा से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और रोगों से मुक्ति मिल जाती है। सभी इच्छा पूरी होती हैं और व्यक्ति सुखी वैवाहिक जीवन का सुख भोगता है। क्योंकि सोमवार भगवान शिव का पसंदीदा दिन है और मासिक शिवरात्रि भी भगवान शिव का प्रिय दिन है। हर महीने शिवरात्रि पर निशिता काल मुहूर्त में चार पहर तक शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। प्रत्येक शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना भी लाभकारी होता है।
इस दिन भगवान शिव की पूजा के अलावा शिव परिवार के सभी सदस्यों की भी पूजा की जाती है। सुख-शांति के लिए भगवान शिव की पूजा और व्रत किया जाता है। इस दिन शिवलिंग पर फूल चढ़ाने और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान और व्रत-उपवास के साथ पूजा की जाती है। मासिक शिवरात्रि व्रत के प्रभाव से व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ और मोह के बंधन से मुक्त हो जाता है।
इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव की पूजा के दौरान भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। उनका अभिषेक दूध, दही, शहद, जल, शक्कर, गंगा जल, गन्ने के रस आदि से किया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, कुशा, दूर्वा आदि चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। पूजा में हल्दी, तुलसी या केतकी के फूल का प्रयोग न करें। पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें। अगली सुबह भगवान शिव के प्रसाद से अपना व्रत खोलें। माना जाता है कि शिवालय में या घर के पूर्वी हिस्से में बैठकर महामृत्युंजय मंत्र जैसे शिव मंत्रों का जाप करना बेहतर परिणाम देता है।
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