चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से चैत्र नवरात्रि का पवित्र त्योहार शुरू होता है। इसी दिन गुड़ी पड़वा भी होता है। चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तिथि तक चलती है, हालांकि कभी-कभी तिथियों के परिवर्तन के कारण जल्दी समाप्त हो जाते है। कभी-कभी तिथि छोटी होती है या जल्दी खत्म हो जाती है। इसी कारण नवरात्रि में घटस्थापना के मुहूर्त में भी तिथि का परिवर्तन हो जाता है। आइये जानते हैं वर्ष 2024 में चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्त क्या रहेगा और किस विधि और मंत्र से कलश स्थापना होगी। साथ ही जानते हैं की कलश स्थापना का महत्त्व क्या है और इसके लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होगी।
नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्त्व (Chaitra Navratri Kalash Sthapna ka Mahatva)
नवरात्रि में कलश स्थापना का बहुत महत्त्व है। सनातन धर्म में कलश को मातृशक्ति, त्रिदेव और त्रिशक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहां ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अलावा सभी देवी-देवता निवास करते हैं। चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि आरम्भ करने से पहले कलश स्थापित किया जाता है, जिससे ये सभी देवी-देवता इस पूजा और व्रत के साक्षी बनते हैं।
कलश स्थापित होते ही उनका आह्वान किया जाता है और स्थान दिया जाता है, फिर आदिशक्ति मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है और उनकी मूर्ति रखकर पूजा शुरू की जाती है। कलश को तीर्थयात्रा का प्रतीक भी माना जाता है। कलश के मुख में विष्णु, कंठ में शिव और मूल में ब्रह्मा देव का वास है। कलश में डाला गया जल शीतलता, पवित्रता और निर्मलता का प्रतीक है।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना Muhurat (Chaitra Navratri Ghatasthapana Muhurat 2024)
चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना का सबसे अच्छा समय 9 अप्रैल को सुबह 6:02 बजे से सुबह 10:16 बजे तक है, इसके बाद दोपहर 11:57 बजे से 12:48 बजे तक अभिजीत मुहूर्त के दौरान कलश स्थापित किया जा सकता है। ये दो शुभ मुहूर्त घटस्थापना के लिए सर्वोत्तम हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार जिस दिन प्रतिपदा तिथि पड़ती है उसी दिन चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती है। यह चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि सोमवार, 8 अप्रैल को रात 11:50 बजे शुरू होती है और मंगलवार, 9 अप्रैल को रात 8:30 बजे समाप्त होती है। ऐसे में चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ की सही तारीख 9 अप्रैल होगी।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना सामग्री (Navratri Kalash Sthapana Samagri List)
- मिट्टी का कलश
- मिट्टी का बर्तन (जौ बोने के लिए)
- जौ
- चावल
- कुमकुम
- नारियल
- छोटी लाल चुनरी या लाल कपड़ा
- एक सिक्का
- सुपारी
- कलावा
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना की विधि (Chaitra Navratri Durga Ghatasthapana Vidhi)
- चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठें।
- स्नान इत्यादि दैनिक क्रिया के बाद साफ कपड़े पहनें।
- इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और मंदिर को फूलों से सजाएं।
- माता का दरबार सजाएं।
- घटस्थापना के लिए एक मिट्टी के कलश में पानी भरकर रखें।
- कलश में सिक्के, सुपारी और आम के पत्ते अवश्य डालें।
- फिर एक लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चावल की एक ढेरी रखें।
- अब मंत्र पढ़ते हुए कलश को चावल की ढेरी पर रखें और कलश पर कलावा धागा बांध दें।
- कलश के ऊपर एक पानी वाले और जटाओं वाले नारियल पर एक लाल चुनरी लपेटकर रखें।
- एक कलश पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और नारियल का भी तिलक करें।
- मिट्टी के बर्तन में जौ बोकर उसमें पानी डाल दें।
- इसके बाद मां भगवती की पूजा करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- इसके बाद भगवान गणेश की आरती और सभी देवी-देवताओं की आरती करें।
- सभी देवी-देवताओं की आरती के बाद अब मां दुर्गा की आरती करें।
- फिर सेवा में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
इस मंत्र से करें घटस्थापना (Chaitra Navratri Ghatasthapana Mantra)
इन तीन मंत्रों की सहायता से आप सरलता से कलश स्थापना कर सकते हैं।
कलश के नीचे चावल की ढेरी लगाते हुए ये मंत्र बोलें:
ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।
कलश स्थापित करने का मंत्र
अब जहां कलश रखना हो वहां यह मंत्र बोलते हुए कलश को स्थापित करें
ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
कलश पर नारियल रखने का मंत्र
ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः।। इस मंत्र को बोलते हुए लाल वस्त्र में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित करें।
नवरात्रि उत्सव के दौरान देवी दुर्गा के नौ प्रमुख रूपों की पूजा करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन नौ दिनों में नवदुर्गा की विशेष पूजा करने से सभी प्रकार की चिंताएं और चिंताएं दूर हो जाती हैं। इस दिन विधि-विधान से कलश स्थापना करने का विधान है। साथ ही नवरात्रि के विशेष मंत्र जाप करने पर साधकों को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है।
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