हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन का बहुत महत्व है। फाल्गुन अमावस्या मार्च की अमावस्या है जो फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, जिसके बाद देव अर्घ्य और पितरों को जल अर्पित करते हैं। इस दिन अध्यात्मिक विकास के लिए ध्यान और दान करने की प्रथा है। इस दिन व्रत और पूजा का विधान किया जाता है। मान्यता है की इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सुख की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम वर्ष 2024 में फाल्गुन अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्त्व जानेंगे।
कब है फाल्गुन अमावस्या? (Phalguna Amavasya Date and Timings 2024)
फाल्गुन अमावस्या बहुत भव्य होती है और इसके एक दिन पहले ही महाशिवरात्रि का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन माह में अमावस्या की तिथि 9 मार्च को शाम 6:17 बजे शुरू होकर और अगले दिन 10 मार्च को दोपहर 2:29 बजे समाप्त होगा। उदया तिथि के अनुसार देखा जाए तो 10 मार्च को फाल्गुन अमावस्या मनाई जाएगी।
फाल्गुन अमावस्या शुभ मुहूर्त (Phalguna Amavasya Shubh Muhurat 2024)
इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या पर साध्य योग रहेगा। सामाजिक सेवाओं के लिए यह योग अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस योग में अगर आपको कोई नया काम सीखना है तो यह बहुत अच्छा है क्योंकि आप इस काम में सफल होंगे।
साध्य योग – 9 मार्च 08:32 PM से 10 मार्च 04:13 PM तक
शुभ योग – 10 मार्च 04:13 PM से 11 मार्च 11:57 AM तक
अभिजीत मुहूर्त – 10 मार्च 12:13 PM से 01:00 PM तक
अमृत काल – 10 मार्च 06:54 PM से 08:18 PM तक
ब्रह्म मुहूर्त – 10 मार्च 05:06 AM से 05:54 AM तक
फाल्गुन अमावस्या का महत्त्व (Phalguna Amavasya Significance in Hindi)
रविवार, 10 मार्च 2024 को फाल्गुन अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं उस दिन अमावस्या तिथि होती है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा और शनि तीनों कुंभ राशि में होते हैं। रविवार को कुंभ राशि का स्वामी शनि और सूर्य हैं। इसलिए, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मंदिर में जाने या स्नान करने से साधक के लिए सौभाग्य आता है।
इस दिन देवी-देवताओं की पूजा करने और पवित्र नदियों में स्नान करने से, भक्तों के पूर्वजों को मोक्ष मिलता है और जीवन की सभी चिंताओं, गरीबी और कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है। शास्त्रों में अमावस्या के दिन को शनिदेव को समर्पित दिन माना जाता है। इस फाल्गुन अमावस्या के दिन पर साधक शनिदेव की प्रसन्नता और कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
सुख, संपत्ति और खुशहाली की प्राप्ति के लिए यह अमावस्या विशेष फलदायी है। इसके अलावा इस दिन पितृ देव की मानसिक शांति के लिए तर्पण-श्राद्ध भी किया जाता है। यदि अमावस्या सोमवार, मंगलवार, गुरुवार या शनिवार को पड़े तो यह सूर्य ग्रहण से भी अधिक फलदायी होती है।
फाल्गुन अमावस्या के दिन शिववास भी होता है। शिववास का अर्थ है भगवान शिव का निवास, जहां भगवान शिव एक विशेष दिन पर निवास करते हैं। जो लोग फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान और दान करना चाहते हैं वे इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर सकते हैं। जो लोग अपने पितरों को तर्पण देना चाहते हैं वे अमावस्या स्नान के बाद काले तिल, कोष और जल से तर्पण भी कर सकते हैं। इसके अलावा पितरों की शान्ति के लिए कुछ उपाय भी कर सकते हैं। धार्मिक विश्वास है की इस अमावस्या पर पवित्र नदी में देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान का विशेष महत्व है।
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