फाल्गुन माह का पहला एकादशी व्रत विजया एकादशी का है। फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण इस तिथि को अपनी तिथि मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ तिथि पर जो भक्त जितेंद्रिय होकर विधि-विधान और व्रत से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष विजया एकादशी व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा। आइये जानते हैं की विजया एकादशी पर किस विधि से व्रत रखना चाहिए और पूजा में किन-किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
विजया एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त? (Vijaya Ekadashi Puja Muhurat 2024)
विजया एकादशी बुधवार, 6 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 6 मार्च को सुबह 6:30 बजे शुरू होगी और 7 मार्च को सुबह 4:13 बजे समाप्त होगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए सुबह 6:41 से 9:37 बजे तक का समय अच्छा है।
विजया एकादशी पूजा सामग्री (Vijaya Ekadashi Puja Samagri List)
- गंगाजल
- दीपक
- देसी घी
- दही,दूध, शक्कर,शहद और घी का पंचामृत
- सप्तधान्य (जौ, तिल, चावल, मूंग, कंगनी, चना, और गेहूं)
- कलश
- आम या अशोक के पत्ते
- पीले पुष्प
- मौसमी फल
- हल्दी और चन्दन तिलक
- रोली
- अक्षत
- नारियल
- तुलसी के पत्ते
विजया एकादशी पूजा विधि (Vijaya Ekadashi Puja Vidhi 2024)
- मान्यता है कि इस दिन श्रीहरि की पूजा और व्रत करने से सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
- यह व्रत एकादशी के दिन सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन की द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद समाप्त होता है।
- इस व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और पूजा स्थल पर बैठें।
- विजया एकादशी के दिन शेषनाग की शैय्या पर बैठे भगवान श्री नारायण की पूजा करने और नारायण भगवान के देवी लक्ष्मी के पैर दबाते हुए प्रतिमा की पूजा करने का विधान है।
- पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल के उत्तर-पूर्व कोने में एक वेदी बनाएं और चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं।
- उस पर सप्तधान्य रखें और जल से भरा हुआ कलश रखें।
- कलश में ताजे आम या अशोक के पत्ते लगायें और इसके पश्चात भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें।
- पंचामृत से स्नान कराने के बाद भगवान को पीले चंदन और हल्दी से तिलक लगाएं और पीले फूल और मौसमी फल चढ़ाएं।
- अब सच्चे मन से भगवान विष्णु का ध्यान करें और विष्णु चालीसा का जाप करें।
- तुलसी दल, नवैद्य आदि चढ़ाएं, अगरबत्ती जलाएं और विजया एकादशी की व्रत कथा सुनें।
- अंत में दीपक और कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें।
- पूरे दिन अपनी क्षमता के अनुसार व्रत रखें और विष्णु मंत्र का जाप करें।
- इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में दीप दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
विजया एकादशी व्रत के नियम (Vijaya Ekadashi Vrat Niyam)
- यदि संभव हो तो जल और भोजन का सेवन ना करें।
- अगर आप पानी और भोजन के बिना नहीं रह सकते तो आप फल खा सकते हैं और पानी पी सकते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों को व्रत नहीं रखना चाहिए।
- चावल न पकाएं और न ही खाएं।
- झूठ न बोलें या किसी भी तरह से हिंसा का प्रयोग न करें।
- कटु वचनों, गलत विचारों या कर्मो से किसी को भी तकलीफ नहीं दें।
- नशीले पदार्थों का सेवन न करें और पूर्णतः ब्रम्हचर्य का पालन करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाएं।
विजया एकादशी के व्रत का उल्लेख हमें पद्म और स्कंद पुराण में मिलता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस एकादशी का व्रत करने वाला सदैव विजयी होता है। प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इस पद के प्रभाव से अपरिहार्य हार को जीत में बदल देते थे। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने रावण से युद्ध से पूर्व अपनी पूरी सेना सहित इस व्रत को रखा था। इस दिन का व्रत करने वाले भक्त के जीवन में शुभ कर्मों की वृद्धि होती है, मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कष्ट दूर होते हैं। इसके लिए व्रत कथा का पाठ अवश्य करनी चाहिए। जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से इस एकादशी का व्रत रखता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।
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