Maa Saraswati Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में माँ सरस्वती का एक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें विद्या, संगीत, कला, और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। माँ सरस्वती की आरती उनकी पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिससे हमें बुद्धि, ज्ञान, और शिक्षा प्राप्त होती है।
माँ सरस्वती की आरती भक्ति गीत है जिसे गाकर भक्त माँ की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आरती करने से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में रचनात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इस लेख में हम जानेंगे सरस्वती माता की आरती के लिरिक्स, महत्व, आरती पाठ विधि और सरस्वती वंदना।
माँ सरस्वती की आरती का महत्व
माँ सरस्वती को विद्या, संगीत, कला और ज्ञान की देवी माना जाता है उनकी आरती करने से बुद्धि, ज्ञान, और विद्या की प्राप्ति होती है। यह आरती व्यक्ति के मन, वचन, और कर्म को शुद्ध करती है और जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है। जो व्यक्ति पढ़ने-लिखने में कमज़ोर होते हैं वह माँ सरस्वती की पूजा करें तो उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है, क्योंकि माँ सरस्वती की पूजा करने से सभी तरह की कठिनाइयां दूर हो जाती हैं।
माँ सरस्वती की आरती सरल और मधुर शब्दों में लिखी गई है, जिससे बच्चों से लेकर बड़े बूढ़े तक सभी लोग इस आरती को आसानी से गा सकते हैं जिससे उनको माँ का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस आरती में माँ सरस्वती के रूप, गुण, और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है, जो भक्तों के मन में भक्ति और श्रद्धा का भाव उत्पन्न करती हैं।
माँ सरस्वती की आरती करने का उद्देश्य केवल देवी माँ को प्रसन्न करना नहीं होता, बल्कि माँ की कृपा प्राप्त करके अपने ज्ञान और सफलता का मार्ग उत्पन्न करना होता है। यह आरती विद्यार्थियों, कलाकारों, और संगीतकारों के लिए विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है क्योंकि यह उनकी वाणी और बुद्धि को सही दिशा देती है जिससे वह सब अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकें।
माँ सरस्वती की आरती
जय सरस्वति माता, मैया जय सरस्वति माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
चंद्रवदानी पद्मासिनी, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
देवि शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई नर गावे।
हतकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावै॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वति माता, मैया जय सरस्वति माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
ॐ जय सरस्वती माता॥
माँ सरस्वती आरती की विधि (Maa Saraswati Aarti Path Vidhi)
- सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- फिर पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
- माँ सरस्वती की प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- माता को तिलक लगाने के बाद सफेद फूल और फल अर्पित करें और साथ में साबुत चावल चढ़ाएं।
- घी का दीपक जलाकर माँ सरस्वती के सामने रखें।
- ऊपर दी गई माँ सरस्वती की आरती करें।
- आरती करने के बाद देवी माँ से अपने जीवन में शिक्षा और ज्ञान के प्रकाश के लिए प्रार्थना करें।
- पूजा समाप्त होने के बाद जो अपने माँ को भोग लगाया है उसे प्रसाद के रूप में बांटें।
माँ सरस्वती हमें अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती हैं। उनका पूजन करने से मनुष्य को विद्या, बुद्धि और कला का वरदान मिलता है।