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Narsingh Aarti Lyrics: इस आरती के गायन से भगवान नरसिंह को करें प्रसन्न! जानिए आरती का अर्थ और विधि

Narsingh Aarti Lyrics

भगवान विष्णु के कई अवतार हैं जिनमें से भगवान नरसिंह को भी उनका अवतार माना गया है। नृसिंह यानि नर और सिंह (मानव-शेर) अर्थात जो आधे मानव हैं एवं आधे सिंह के रूप में हैं, जिनका सिर एवं शरीर तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे।

वैसे उनके अवतरण की मुख्य कथा के अनुसार अपने भक्‍त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए उन्‍होंने नृसिंह अवतार लिया था। कई मंत्रों, चालीसा और आरती में भगवान की विशेषताओं का वर्णन किया गया है, जिनका पाठ करने से भक्त को भय और शत्रुता से मुक्‍ति मिलती है।  इस लेख में आप जानेंगे भगवान नरसिंह की आरती, उसके महत्त्व, आरती का हिंदी में अर्थ और उसके पाठ की विधि तथा लाभ के बारे में।

नरसिंह आरती का महत्त्व (Narsingh Bhagwan ki Aarti)

भगवान विष्णु के सभी अवतारों का अपना-अपना अलग महत्व है। उनके विभिन्न अवतारों की कथाओं का हम आज भी श्रद्धा से पाठ करते हैं और परमेश्वर की स्तुति करते हैं। ऐसा भगवान के नरसिंह अवतार की कथा सर्वाधिक प्रचलित है जिसमें बताया गया है की किस प्रकार भगवान ने अपने भक्त की रक्षा के लिए प्रचंड रूप धारण किया। यह उनका नरसिंह अवतार अल्पकाल के लिए ही था लेकिन उद्देश्य बहुत बड़ा था।

इस अवतार में उन्होंने  दैत्य व पाताल नगरी के राजा हिरण्यकश्यप को  ब्रह्मा जी से मिले वरदान को निष्फल किया और  अपने नाखूनों से उसके छाती को फाड़कर उसका वध कर दिया था तथा अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। इसलिए आज भी भक्त भगवान से रक्षा और उद्धार करने की प्रार्थना करते हैं और पूजा-अर्चना के माध्यम से भगवान को प्रसन्न करते हैं।

बिना आरती के कोई भी पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती। नरसिंह भगवान आरती के माध्यम से भगवान के गुणों, कार्यों, महत्व तथा शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसके माध्यम से भक्त प्रतिदिन भगवान की सेवा पूर्ण करने में सक्षम होता है। यही नृसिंह आरती का महत्व होता है।

नरसिंह आरती इस्कॉन (Narsingh Aarti Lyrics in Hindi)

नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादाह्लाद-दायिने
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-
शिला-टङ्क-नखालये

इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः

बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये

तव करकमलवरे नखमद्भुत-शृङ्गं
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे।

नरसिंह आरती का अर्थ (Namaste Narsingh Aarti Lyrics with Meaning)  

नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादाह्लाद-दायिने
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-
शिला-टङ्क-नखालये

मैं नृसिंह भगवान को प्रणाम करता हूँ जो प्रह्लाद जी  को आनन्द प्रदान करने वाले हैं तथा जिनके नख दैत्यराज हिरण्यकश्यप के पाषाण जैसे वक्षस्थल के ऊपर छेनी के समान हैं।

इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः

बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये

नृसिंह भगवान यहाँ है और वहाँ भी हैं (अर्थात सर्वस्व हैं)। मैं जहाँ कहीं भी जाऊं वहाँ नृसिंह भगवान हैं। वे हृदय में हैं और उसके बाहर भी हैं। मैं नृसिंह भगवान की शरण में हूँ जो सभी पदार्थों के स्रोत और परम आश्रय हैं।

तव करकमलवरे नखमद्भुत-शृङ्गं
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे।

हे केशव! हे जगतपति! हे हरि! आपने नरसिंह का रूप धारण किया है प्रभु आपकी जय हो। जिस प्रकार कोई अपने नाखूनों से एक भ्रमर को आसानी से कुचल सकता है, उसी प्रकार भ्रमर जैसे  दैत्य हिरण्यकश्यप का शरीर आपके सुन्दर कर-कमलों के पैने नाखूनों से चीर डाला गया है।

नरसिंह आरती की विधि (Narsingh Aarti Vidhi)

नरसिंह आरती के लाभ (Narsingh Aarti Benefits in Hindi)

भगवान नरसिंह अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं और जो नित्य रूप से भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए नृसिंह आरती का पाठ करते हैं तो उन पर भगवान नरसिंह का आशीर्वाद होता है। पूजा में आरती का विशेष महत्त्व है क्योंकि आरती के बिना पूजा सम्पूर्ण नही मानी जाती। नरसिंह भगवान की आरती के एक नहीं बल्कि कई लाभ देखने को मिलते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है तथा हमारे जीवन में आ रही हर एक बाधा या विपत्ति का समाधान हो जाता है। भगवान नरसिंह अपने भक्तों के किसी भी शत्रु, बाधा, संकट व विपदा को हर लेते हैं। जो भी भक्त प्रतिदिन नरसिंह  आरती का पाठ कर रहा है, उसके जीवन में कोई भी कठिनाई या विपत्ति नहीं आती है और यदि आती भी है तो भक्त उसका सरलता से सामना कर लेता है।आरती के नित्य पाठ से भक्ति बढती है और भगवान नरसिंह की कृपा से हमारी उन्नति होती है। उन्ही की कृपा से हमें वह सब मिल जाता है, जिसकी हम कामना करते हैं। 

भगवान नरसिंह अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं।  भगवान नरसिंह  भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो विपत्ति के समय अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं। जो भक्त नियमित रूप से उनका चिंतन करता है और पूजन करता है, उसे कभी कोई भय नहीं होता और वह सभी चिंताओं व परेशानियों से मुक्त होता है।

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।

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