प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है, एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में। कुछ लोग महीने में केवल एक बार प्रदोष व्रत करते हैं जबकि कुछ लोग दोनों व्रत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग प्रदोष का पालन करते हैं वे जन्म-मृत्यु के चक्र से तेजी से बाहर निकलते हैं, मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं और उच्चतम लोक तक पहुंचते हैं। श्री स्कंदपुराण के अनुसार जो व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा के बाद प्रदोष व्रत की कथा कंठस्थ करके सुनता और पढ़ता है उसे 100 बार जन्म लेने के बावजूद कभी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है।
त्रयोदशी के दिन उस दिन के वार के अनुसार व्रत करना चाहिए और उस दिन की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। रविवार, सोमवार और शनिवार को पढ़ने वाले प्रदोष का व्रत ज़रूर रखें। इस बार मई 2024 में रवि प्रदोष व्रत 5 मई को मनाया जाएगा। आइये जानते हैं की इस दिन की कथा क्या है, पूजा सामग्री और विधि क्या है, साथ ही उद्यापन की विधि क्या है।
प्रदोष व्रत मई 2024 (Pradosh Vrat in May 2024)
पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 मई 2024 को शाम 05:41 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन 6 मई 2024 को दोपहर 02:40 बजे समाप्त होगी।
इस दिन पूजा का समय शाम 06:59 बजे से रात 09:06 बजे तक रहेगा। रवि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग की पूजा करने से स्वास्थ्य, संतुष्टि, सुख और समृद्धि मिलती है। रवि प्रदोष सूर्य के कारण उत्पन्न कुंडली संबंधी दोषों को शीघ्र दूर करता है।
रवि प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha)
शौनदि ऋषि ने कहाः “हे आदरणीय महामते!” आपने इस पावन व्रत को बड़ा ही रहस्यमय, मंगलकारी और कष्ट दूर कर संकट हरने वाला बताया। अब आप कृपा करके हमें बताएं कि इस व्रत को किसने किया और उसे इससे क्या परिणाम मिले।
श्री सूतजी ने कहा: “हे ज्ञानवान मुनिजनों!” आप भगवान शिव शंकर के महान भक्त हैं। आपकी भक्ति का निश्चलता का विचार करके मैं आपसे इस व्रत को करने वाले भाग्यशाली पुरुषों की कथा कहता हूं। एक गाँव में एक गरीब और दीन ब्राह्मण रहता था। उनकी पवित्र पत्नी प्रदोष पर्व मनाती थी और उनका एक ही पुत्र था। एक दिन यह पुत्र गंगा में स्नान कर रहा था। दुर्भाग्य से रास्ते में चोरों ने उसे घेर लिया और कहा कि हम तुम्हें नहीं मारेंगे, लेकिन तुम हमें अपने पिता के गुप्त धन के बारे में बताओ।
बालक ने नम्रतापूर्वक कहाः भाइयों! हम बहुत दुःखी और दरिद्र हैं। धन हमारे पास कहाँ है? फिर चोरों ने पूछा: तुम्हारे पास इस पोटली में क्या है?
बच्चे ने बिना किसी डर के चोरों से कहा कि उसकी माँ ने इस पोटली में उसे रोटी दी है। जब चोर ने यह सुना तो बाकि साथियों से बोला, “मित्रों!” इस बालक को जाने देते हैं, क्योंकि ये बेचारा पहले ही दीन मनुष्य है। तभी लुटेरों ने बालक को मुक्त कर दिया। बच्चा वहां से एक छोटे नगर में गया, वहां से कुछ ही दूरी पर एक बरगद का पेड़ था। बालक बरगद के पेड़ की छाया में जाकर आराम करने लगा। जब वह सो रहा था, नगर के सैनिक चोर को ढूँढ़ते हुए बरगद के पेड़ के पास आये और लड़के को चोर समझकर पकड़ लिया और राजा के पास ले गये। राजा ने उसे पकड़कर कैद करने का आदेश दिया।
इसी बीच बालक की माता त्रयोदशी के प्रदोष दिन भगवान शंकर के निमित्त व्रत कर रही थी और उसी रात नगर के राजा को स्वप्न आया और भगवान शिव ने उससे कहा और आदेश दिया, “ये बालक कोई चोर नहीं है, यदि तुम इसे मुक्त नहीं करोगे तो अच्छा नहीं होगा। कल सुबह उसे रिहा कर दो, तुम्हारे सारे राज्य का वैभव नष्ट हो जाएगा और दरिद्रता छा जाएगी।” राजा ने बच्चे से सारी कहानी पूछी तो बच्चे ने सारी सच्चाई बता दी। राजा ने बच्चे के माता-पिता से मिलने के लिए सैनिक भेजे।
जब राजा ने देखा कि वे डरे हुए हैं, तो कहा, डरो मत, तुम्हारा बालक निर्दोष है। हम तुम्हारी गरीबी देखकर तुम्हें पाँच गाँव का दान देते हैं। भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण परिवार सुखी जीवन जीने लगा। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने वाला हर व्यक्ति संपन्नता और आनंद प्राप्त करता है।
प्रदोष व्रत पूजा सामग्री (Pradosh Vrat Puja Samagri List)
- दीपक और बाति
- पंचामृत
- घी
- शुद्ध जल
- चन्दन
- अक्षत
- बेलपत्र
- धतुरा
- पुष्प
- खीर
इस विधि से करें व्रत (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- प्रदोष व्रत के दिन स्नान करके साफ और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- भगवान शिव के समक्ष व्रत करने का संकल्प लें।
- भगवान शिव के सामने तेल का दीपक जलाएं और “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
- प्रदोष की शाम को भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) से स्नान कराना चाहिए, फिर शुद्ध जल से स्नान कराकर चन्दन, अक्षत, धूप और दीप से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- इसके बाद पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, फल और मिठाई चढ़ाएं। भगवान शिव को खीर का भोग अर्पित करें।
- शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव से सभी बाधाओं और कमियों को दूर करने की प्रार्थना करें।
- शिव पार्वती की कथा पढ़ें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
- शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव की आरती घंटे और शंख की ध्वनि के साथ की जाती है।
- प्रदोष काल समाप्त होने के बाद ही भोजन करें। नमक रहित आहार लें।
प्रदोष व्रत उद्यापन विधि (Pradosh Vrat Udyapan Vidhi)
- मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से दो गाय दान करने का पुण्य प्राप्त होता है।
- प्रदोष व्रत एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है।
- 11 या 26 प्रदोष व्रत करने के बाद उद्यापन करना चाहिए, तभी इस व्रत का पूरा फल मिल पाता है।
- प्रदोष व्रत का उद्यापन हमेशा सही तरीके से करना चाहिए।
- इस व्रत को सदैव त्रयोदशी के दिन ही करें।
- उद्यापन से एक दिन पहले भगवान गणेश की आरती और पूजा की जाती है और उद्यापन से एक रात पहले कीर्तन के माध्यम से जागरण किया जाता है।
- अगले दिन सुबह जल्दी उठकर एक मंडप बनाएं और उसे वस्त्रों और रंगोली से सजाएं। इसके बाद भगवान शिव के मंत्र “ॐ उमा महेश्वराय नमः” और “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करके हवन करना चाहिए।
- हवन, भगवान शिव की आरती और शांति पाठ संपन्न करने के बाद भगवान शिव से प्रार्थना करनी चाहिए।
- अंत में दो ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा दें, उनसे आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें।
- इस विधि से किया जाने वाला उद्यापन प्रदोष पूर्ण माना जाता है।
कलियुग में प्रदोष व्रत को बहुत शुभ माना जाता है और भोलेनाथ की कृपा प्रदान करने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष काल में महादेव ने कैलाश पर्वत पर रजत भवन में नृत्य किया था तथा नटराज का रूप धारण किया था। जो कोई भी इस व्रत को करता है उसे सदैव समृद्धि प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार की गलतियां क्षमा हो जाती हैं। प्रदोष व्रत को शीघ्र करने से व्यक्ति को सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
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