हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या को बहुत खास माना जाता है। सोमवार और शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस साल चैत्र अमावस्या बहुत खास है। इस बार सोमवार होने से सोमवती अमावस्या और दर्श अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। ऐसे में चैत्र अमावस्या का दिन भगवान शिव के साथ-साथ अपने पूर्वजों की पूजा करने का भी बेहद खास दिन होगा। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि 2024 में पहली सोमवती अमावस्या कब होगी और इस दिन पूजा और स्नान का सबसे अच्छा समय क्या है।
दर्श अमावस्या क्या है (What is Darsha Amavasya)
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार दर्श अमावस्या का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है। इस अमावस्या में चाँद पूरी तरह से गायब हो जाता है। अमावस्या मासिक कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होती है। इस अमावस्या को बिना चन्द्र की अमावस्या भी कहा जाता है।
दर्श अमावस्या कब है (Darsha Amavasya 2024)
इस वर्ष की चैत्र अमावस्या तिथि या सोमवती अमावस्या सोमवार, 8 अप्रैल 2024 को सुबह 3:21 बजे शुरू होगी। इसी दिन के अंत में रात्रि 11:50 बजे सोमवती अमावस्या की तिथि समाप्त हो रही है।
यह चैत्र महीने की अमावस्या होगी और सोमवार को पड़ने के कारण इस अमावस्या पर शिव पूजा खास मानी जाती है। ऐसे में इस दिन भक्त को दोगुना फल प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन आप शिव जी को प्रसन्न करने के लिए शिव पंचाक्षरी स्तोत्र और सर्वशक्तिशाली महामृत्युंजय मंत्र का पाठ कर सकते हैं।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त (Darsha Amavasya Shubh Muhurat 2024)
इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 4:32 से लेकर सुबह 05:18 तक रहेगा। साथ ही शिव पूजा का समय सुबह 9:13 बजे से सुबह 10:48 बजे तक के बीच रहेगा। इस दिन पितरों के तर्पण का समय सुबह 11:58 से लेकर दोपहर 12:48 तक रहेगा।
अमावस्या व्रत का महत्त्व (Darsha Amavasya Importance)
अमावस्या के विशेष दिन व्रत रखने और चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र देव सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। चंद्रदेव भावनाओं और दैवीय कृपा के स्वामी हैं। इसे अमावस्या श्राद्ध भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूर्वज धरती पर आते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन हनुमानजी की पूजा का भी बहुत महत्व है। अगर आप इस दिन हनुमान जी की पूजा करते हैं तो आपके जीवन से रोग और दोष दूर हो जाएंगे। इस दिन श्री हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करने से जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
क्यों मनाई जाती है अमावस्या? (Why Darsha Amavasya is Celebrated)
महीने की सबसे अंधेरी रात अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत आध्यात्मिक महत्व है। अमावस्या अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान दिखाने और उन्हें आशीर्वाद देने का दिन है। इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और विष्णु मंत्र का जाप करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
अमावस्या का दूसरा महत्व उससे जुड़े त्योहारों या घटनाओं से भी है। दिवाली सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दिवाली साल की सबसे अंधेरी रात होती है जब नकारात्मक शक्तियां सबसे अधिक प्रबल होती हैं। इस कारण से, यह त्यौहार पूरे भारत में दीपक, रोशनी और जीवंत उत्सव के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान, वहां मौजूद बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए पूरी पृथ्वी को रोशनी से रोशन किया जाता है। इसका अर्थ है की अमावस्या पर पूजा, दीप-दान और इश्वर की आराधना करने से नकारात्मकता को दूर रखा जाता है वो भी उस समय में जब ये बुरी शक्तियां अत्यधिक मज़बूत होती हैं।
धर्म शास्त्रों के अनुसार जो महिलाएं अमावस्या का व्रत रखती हैं और भगवान शिव की आरती करती हैं उन्हें लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की खुशहाली के लिए आटा, घी, चावल और चीनी का दान करती हैं। सोमवती अमावस्या का व्रत करने से निरंतर सुख, प्रसन्नता, सफलता और पितृ आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन स्नान के बाद कच्चे दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्त हो जाता है और उसके साथी पूर्वजों की आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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