सनातन धर्म में भगवान विष्णु को सभी सुखों का कारण माना जाता है। उनकी भक्ति एवं सेवा के बिना सुखी जीवन हासिल नहीं किया जा सकता। एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। आमलकी एकादशी को आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है और आमलकी या आंवला एकादशी 20 मार्च को है। आइये इस दिन की पूजा विधि, पूजा सामग्री और विशेष मंत्र के बारे में जानते हैं। साथ ही जानते हैं की इस दिन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
आमलकी एकादशी सामग्री (Amalaki Ekadashi Puja Samagri List)
- लकड़ी की चौकी
- पीला आसन वस्त्र
- श्री लक्ष्मी देवी और श्री विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर
- दीपक
- बाती
- घी
- धुप-अगरबत्ती
- चन्दन
- पुष्प
- हल्दी
- घी, दूध, दही,शहद, शक्कर का बना पंचामृत
- पंजीरी
- तुलसी दल
- कच्चा धागा
- कपूर
- आंवला
आमलकी एकादशी पूजा विधि (Amalaki Ekadashi Puja Vidhi in Hindi)
- आमलकी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करें और फिर पूजा घर की साफ-सफाई करें।
- लकड़ी की चौकी पर पीला आसन वस्त्र बिछाएं।
- व्रत करने का संकल्प लेकर आसन पर श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति विराजित करें।
- भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर पीले फूलों की माला चढ़ाएं।
- हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और विष्णु चालीसा का जाप करें।
- पूजा में पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं और तुलसी के पत्ते भी डालें।
- अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
- घर की पूजा के बाद, आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें, प्रार्थना करें और आंवले के पेड़ की जड़ में दूध अर्पित करें।
- आंवले के वृक्ष के चारों ओर कच्चा धागा बांधें और घी और कपूर का दीपक प्रज्वलित कर आरती करें।
- आरती करने के बाद सात बार परिक्रमा करें।
- गरीबों और ज़रूरतमंदों को खाना खिलाएं और उनकी मदद करें।
- अगले दिन सुबह की पूजा के बाद व्रत का पारण करें।
इन मंत्रों का करें जाप (Amalaki Ekadashi Mantra)
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
- ॐ धात्र्यै नम:’ मंत्र
- ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
- ऊँ श्री अक्रूराय नम:
- ऊँ श्री सुलोचनाय नम:
- ऊँ श्री श्रीपतये नमः
- ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
- ऊँ श्री योगिनेय नम:
इन बातों का रखें ध्यान (Amalaki Ekadashi Vrat Precautions)
- आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इससे धन की देवी माता लक्ष्मी और विष्णु दोनों प्रसन्न होते हैं।
- आमलकी एकादशी के दिन लहसुन, प्याज़, दालें, मांस, शराब आदि तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर घर में कोई व्यक्ति एकादशी का व्रत नहीं रखता है तो भी उसे इन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- आमलकी एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए। माना जाता है कि इससे भगवान विष्णु नाराज़ हो जाते हैं और जीवन में बड़ी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं।
- भगवान श्री विष्णु की कृपा पाने के लिए आमलकी एकादशी के दिन किसी भी एक विष्णु मंत्र का कम से कम तीन माला जाप करना चाहिए।
- आमलकी एकादशी के दिन पवित्रता और सात्विकता का स्मरण रखें। पवित्रता का अर्थ है मन, कर्म और वचन की पवित्रता। किसी के प्रति बुरी भावना न रखें, दूसरों के बारे में बुरा न बोलें, बुरे काम न करें।
- आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम की पूजा करते हैं। उनकी तस्वीर न होने पर आप भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।
- आमलकी एकादशी के दिन भूलकर भी अपने नाखून या बाल न काटें। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में दरिद्रता और दुख बढ़ता है।
- आमलकी एकादशी पूजा के दौरान श्रीहरि को आंवले का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है की जब आंवले के पेड़ की रचना हुई तो भगवान विष्णु ने कहा कि यह पेड़ और इसके फल उन्हें बहुत प्रिय हैं।
- आमलकी एकादशी के दिन पूजा-पाठ और दान दक्षिणा का बहुत महत्व होता है। इस दिन दान अवश्य करें और अपनी क्षमता के अनुसार ज़रूरतमंदों को आंवला फल का दान करें।
- जो लोग आमलकी एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें आंवले का सेवन करना चाहिए। इस व्रत में आंवले को महत्व दिया जाता है इसलिए इसे आंवला एकादशी भी कहा जाता है।
- पूजा के दौरान आमलकी एकादशी व्रत कथा सुननी चाहिए। कथा सुने बिना व्रत पूरा नहीं होता, क्योंकि कथा पढ़ने और सुनने से ही उसका अर्थ पता चलता है।
आंवले का उल्लेख वेदों और अन्य पौराणिक ग्रंथों में प्रमुखता से मिलता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की रचना के दौरान भगवान विष्णु ने आंवले के पेड़ को रचा दिया था। इसलिए आँवला को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने वाला जो व्यक्ति उत्तम पूजा और अनुष्ठान करता है, उनकी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। ऐसे में आमलकी एकादशी के दिन आंवले का पेड़ लगाना और उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है।
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