मार्च में अनेकों व्रत-त्यौहार मनाये जाते हैं। आमलकी एकादशी, जिसे आमलका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, एक पवित्र हिंदू त्योहार है जो फाल्गुन के पावन महीने में शुक्ल पक्ष (चंद्र के बढ़ते हुए दिनों में) के 11वें दिन को मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह फरवरी और मार्च के बीच आता है। चूँकि आमलकी एकादशी ‘फाल्गुन’ माह में मनाई जाती है, इसलिए इसे ‘फाल्गुन शुक्ल एकादशी’ भी कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन को आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ धन की देवी लक्ष्मी की आरती और पूजा करने की परंपरा है। इस दिन श्रीहरि की समर्पित पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइये जानते हैं वर्ष 2024 में आमलकी एकादशी कब है और इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त तथा व्रत पारण का समय क्या होगा और इसका महत्त्व क्या है।
इस दिन है आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi Date and Timings)
सनातन धर्म में आमलकी एकादशी को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह त्यौहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है। आमलकी एकादशी 20 मार्च को 12:21 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 21 मार्च 2024 को 14:22 बजे समाप्त होगी। आमलकी एकादशी का व्रत और व्रत कथा का पाठ सुखी वैवाहिक जीवन, मोक्ष प्राप्ति और विकारों से मुक्ति के लिए किया जाता है।
आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त 2024 (Amalaki Ekadashi Shubh Muhurat 2024)
20 मार्च के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06।25 से 09।27 तक रहेगा। इसी के साथ अमृत काल दोपहर 03:34 बजे से 05:20 बजे तक रहेगा और ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:57 बजे से 05:45 बजे तक रहेगा। हालाँकि इस दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है। इस दिन शाम 05:00 बजे तक अतिगंड योग रहेगा साथ ही इसके बाद से सुकर्मा योग शुरू हो जायेगा जो की अगले दिन शाम 05:42 बजे तक रहेगा।
आमलकी एकादशी व्रत पारण का समय (Amalaki Ekadashi Vrat Paran Timing)
आमलकी एकादशी व्रत को शास्त्रों में बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन व्रत करने से सौभाग्य, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। 21 मार्च 2024 को दोपहर 1:41 बजे से शाम 04:07 तक आमलकी एकादशी का व्रत पारण किया जा सकता है।
आमलकी एकादशी महत्त्व (Amalaki Ekadashi ka Mahatva)
मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।ऐसे में जो लोग जीवन में कई कठिनाइयों से जूझ रहे हैं उन्हें इस दिन व्रत जरूर करना चाहिए। इसके अलावा व्रत के नियमों के अनुसार समय पर व्रत खोलना चाहिए।
आमलकी का अर्थ है आंवला फल। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु आंवले की आदि वृक्ष के रूप में पूजा करते थे। आमलकी एकादशी पर आंवला और श्रीहरि विष्णु की पूजा विधि से करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु स्वयं मां लक्ष्मी के साथ आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इस दिन भगवान शिव विवाह के बाद पहली बार अपनी माता पार्वती को काशी लेकर आये थे। इसलिए इस दिन जो भी भक्त श्री शिव-पार्वती जी को गुलाल अर्पित करता है और शिव जी की आरती करता है, उसके पारिवारिक जीवन में खोई हुई खुशियां लौट आती हैं। आमलकी एकादशी का उल्लेख पद्म पुराण में मिलता है।
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