हिंदू धार्मिक ग्रंथों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव के भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से आपको श्री शिव और देवी पार्वती की पावन कृपा प्राप्त होगी। हर दिन के प्रदोष व्रत का अलग नाम होता है। ऐसे ही शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस बार यह व्रत 8 मार्च 2024 के दिन रखा जाएगा। कहा जाता है कि इस दिन लोग व्रत, प्रार्थना और पूजा करते हैं। मान्यता है इस दिन व्रत करने और व्रत कथा का पाठ करने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा मिलती है और शुक्र ग्रह भी मजबूत होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा की विधि, सामग्री और विशेष मंत्र क्या है।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा सामग्री 2024 (Shukra Pradosh Vrat Samagri List)
- घी
- दीपक और बाती
- कच्चा दूध
- दही
- शहद
- गंगाजल
- सफ़ेद चन्दन
- बेल पत्र
- भांग
- धतुरा
- सफ़ेद पुष्प
- मौसमी फल
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि 2024 (Shukra Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि आदि से निवृत हो जायें और मंदिर के स्थान को भी शुद्ध कर लें ।
- इसके बाद भगवान भोलेनाथ के सामने दीपक जलाएं और प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
- संध्याकाल के शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
- गाय के दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- फिर शिवलिंग पर सफेद चंदन से तिलक करें और शिव जी को बेलपत्र,फूल, भांग और धतुरा आदि चढ़ाएं।
- इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें।
- मौसमी फल अवश्य चढ़ाएं।
- इसके बाद नीचे दिए गए किसी भी मंत्र, भगवान शिव के किसी भी मंत्र और शिव प्रदोष स्तोत्र का 1 या 3 माला जाप करें।
- इस तरह विधिपूर्वक पूजा पूरी करें और भगवान शिव की आरती करें।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा मंत्र (Shukra Pradosh Vrat Puja Mantra)
- ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
- ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
- ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम। सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
- “ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्” ।।
- ऊँ शुं शुक्राय नम:
- ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति: ।
- ॐ शुक्राय नमः ।
- ॐ शुचये नमः ।
- ॐ शुभगुणाय नमः ।
- ॐ शुभदाय नमः ।
- ॐ अनंताय नमः ।
- ॐ संतानफलदायकाय नमः ।
- ॐ सर्व्यैश्वर्यप्रदायकाय नमः ।
- ॐ सर्वगीर्वाणगणसन्नुताय नमः ॥
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा स्तोत्र Path (Shiv Pradosh Strot Path)
जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत । जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।
जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद । जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।
जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण । जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।
जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय । जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।
प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत: । सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।
महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च । महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।
ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: । ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।
दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् । अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।
दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: । ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।
शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा:। नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद:।।
दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले । सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।
एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् । ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।
सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी । शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ।।
शिव प्रदोष स्तोत्र की महिमा
जब सच्चे मन से शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ किया जाता है, तो व्यक्ति के सभी कष्ट तुरंत समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति सभी प्रकार के सुखों का आनंद लेता है, उसकी दरिद्रता और कष्ट मिट जाते हैं। यह स्तोत्र व्यक्ति को यश, सम्मान और प्रेम का भागीदार बनाता है और इसका पाठ प्रदोष व्रत के दौरान बार-बार करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि इस स्तोत्र का पाठ शिवलिंग के सामने 1008 बार किया जाए तो जल्द ही व्यक्ति की हर इच्छा पूरी हो जाएगी और दुख उसे छू भी नहीं पाएंगे।
धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। इसी कारण जीवन में कोई भी कमी नहीं रहती बल्कि सभी आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए प्रदोष व्रत करना चाहिए। उपवास के इस प्रभाव से सभी प्रकार की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं और चिकित्सा खर्च भी कम हो जाता है। इस दिन विशेष लाभ के लिए विशेष पूजा और उपाय भी किये जाते हैं।भगवान शिव को ज्ञान और मोक्ष का दाता माना जाता है। प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलते हैं।
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