भगवान शिव के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि व्रत का आयोजन हर साल होता है, जो एक पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। इस दिन भगवान् शिव का पूजन पूरे विधि विधान से होता है और शिवरात्रि की व्रत कथा पढ़ने का नियम है क्योंकि व्रत कथा पढ़ें बिना व्रत अधूरा माना जाता है। इस विशेष दिन को मनाने के पीछे एक महात्मयपूर्ण कथा है, जो हमें यह सिखाती है कि इस व्रत का महत्व और शिव पूजा का उद्दीपन कैसे हुआ।
महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha -1)
एक समय की बात है, एक ब्राह्मण थे जिनका नाम विद्याधर था। विद्याधर ब्राह्मण अध्यात्मशास्त्र में निपुण थे और उन्हें भगवान शिव की अत्यंत भक्ति थी। उनकी पत्नी का नाम सुंदरी था, जो भी बहुत धार्मिक और पतिव्रता थी। एक दिन विद्याधर ब्राह्मण अपनी पत्नी सुंदरी के साथ अपने गाँव के राजा के दरबार में गए। राजा का नाम धनाध्यक्ष था और वह भी एक बड़े भक्त थे। राजा ने विद्याधर ब्राह्मण का स्वागत किया और उनसे पूजा के दौरान एक बहुत ही विशिष्ट वरदान मांगने के लिए कहा।
विद्याधर ब्राह्मण ने राजा से ब्रह्मचर्य की रक्षा करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन का व्रत किया। राजा ने इसे स्वीकार किया और विद्याधर को आशीर्वाद दिया कि उनकी भक्ति और तपस्या से उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी। इसके बाद, विद्याधर ब्राह्मण और सुंदरी ने महाशिवरात्रि के दिन अपने गाँव के शिव मंदिर में रात्रि भर तपस्या की। वे पूजा के दौरान भगवान शिव को भोले बाबा के रूप में भक्तिभाव से याद करते रहे। महाशिवरात्रि की रात में, भगवान शिव ने अपने भक्तों की उपासना देखी और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया। भगवान ने कहा, “तुम्हारी भक्ति ने मेरा मन मोह लिया है, तुम्हें वह वरदान मिलेगा जो तुम मांग रहे हो।” विद्याधर ब्राह्मण ने अपनी ब्रह्मचर्य रक्षा के लिए मांगा था, और भगवान ने उन्हें वरदान देते हुए कहा, “तुम्हें ब्रह्मचर्य रक्षा का वरदान मिलता है, और तुम्हारी पत्नी सुंदरी भी मुझसे प्रसन्न हैं।”
इस प्रकार, विद्याधर ब्राह्मण और सुंदरी ने महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त की और उनका व्रत सफलता पूर्वक समाप्त हुआ। इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि महाशिवरात्रि व्रत का पालन करने से हम भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति में सुधार कर सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha -2)
कुछ पौराणिक कथा के अनुसार एक बार वाराणसी के घने जंगल में गुरुद्रुह नाम का एक भील शिकारी अपने परिवार के साथ वहां रहता था। एक दिन गुरुद्रुह शिकार करने के लिए निकल लेकिन उसके हाथ एक भी शिकार न लगा, तब लंबे समय तक इंतजार करने के बाद वो जंगल में शिकार की तलाश करता हुआ वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ के नीच एक शिवलिंग स्थापित था। कुछ देर बाद वहां एक भटकती हुई हिरनी आई, जैसे ही गुरूद्रुह ने हिरनी को देखा उसने तीर-धनुष तान लिया। लेकिन तीर हिरनी को लगता उससे पहले ही उसके पास रखा जल और पेड़ से बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए। ऐसे में गुरुद्रुह ने अंजाने में शिवरात्रि के पहले पहर की पूजा कर ली। जब हिरनी ने देखा तो उसने शिकारी से कहा कि मेरे बच्चे मेरी बहन के पास इंतजार कर रहे हैं।
मैं उन्हें सुरक्षित जगह छोड़कर दोबारा आती हूं। कुछ समय बाद हिरनी की बहन वहां से गुजरी और उस समय भी गुरूद्रुह ने अनजाने में महादेव की उसी प्रकार से दूसरे पहर की पूजा की। हिरनी की बहन ने भी वही दुहाई देते हुए वापस आने का वादा किया। दोनों हिरनियों को खोजता हुआ वहां तीसरे पहर में हिरन पहुंचा। इस बार ऐसी घटना घटित हुई और शिवरात्रि के तीसरे पहर की भी पूजा शिकारी ने अनजाने में कर ली। हिरन ने भी बच्चों की दुहाई देते हुए कुछ समय बाद आने का वादा किया।
जब तीन पहर बीतने के बाद तीनों हिरन-हिरनी वादे के मुताबिक शिकारी के पास वापस लौट आए। लेकिन इस बीच भूख से कलपते हुए पेड़ से बेलपत्र तोड़ते तोड़ते वो नीचे शिवलिंग पर डालने लगा और इस तरह चौथे पहर की भी पूजा हो गई। चारों पहर भूखा-प्यासा रहते हुए और अंजाने में भगवान की पूजा करके गुरूद्रुह के सभी पाप धुल गए। तब भगवान शिव ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम उसके घर पधारेंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया। इस शिवरात्रि व्रत कथा से हमे यह सीख मिलती हैं की अगर आप भगवान शंकर की अनजाने में भी पूजा करते हैं तो भगवान शंकर आपको आशीर्वाद देते हैं ऐसे में अगर आप नियमानुसार और व्रत कथा के अनुसार पूजा करेंगे तो जीवन में आने वाले सभी दुःख दर्द और परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।
अगर आप भी भोले भंडारी को शिवरात्रि में प्रशन्न करना चाहते हैं तो यहाँ दी गयी शिवरात्रि स्पेशल भगवान शंकर की कथा जरूर पढ़ें और जान लें की महाशिवरात्रि कब है और महाशिवरात्रि में नियम अनुसार पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त।
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