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Shukra Pradosh Vrat Kab Hai: महाशिवरात्रि के दिन होगा शुक्र प्रदोष व्रत! जानिये व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त एवं महत्त्व

इस वर्ष शुक्र प्रदोष लगभग महाशिवरात्रि के दिन ही मनाया जायेगा। यह मार्च और फाल्गुन का पहला प्रदोष व्रत भी है।  प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी दशमी को रखा जाता है, लेकिन महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी दशमी को रखा जाता है। इस बार फाल्गुन मास की त्रयोदशी तिथि और महाशिवरात्रि सेवा का निशिता मुहूर्त एक ही दिन में है। इस दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं की शुक्र प्रदोष व्रत कब है, इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त कौनसे समय मिलेंगे तथा इस व्रत का महत्त्व क्या है।

इस दिन है शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2024)

वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 मार्च को सुबह 1:19 बजे शुरू हो रही है और उस दिन रात 9:57 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी महाशिवरात्रि की तिथि प्रारंभ होती है। प्रदोष पूजा काल के अनुसार मार्च प्रदोष व्रत 8 मार्च, शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन शुक्रवार होने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत है।

जानिए शुभ मुहूर्त (Shukra Pradosh Vrat Shubh Muhurat 2024)

शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय 8 मार्च – 06:25 से 08:52 तक है। इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए आपके पास ढाई घंटे से ज्यादा का समय रहेगा।

8 मार्च को महाशिवरात्रि भी है, इस दिन निशिता पूजा का मध्यरात्रि का शुभ समय  12:07 से 12:56 तक है। जो 8 मार्च को व्रत रखेगा और भगवान शिव की पूजा करेगा उसे प्रदोष और महाशिवरात्रि का लाभकारी फल प्राप्त होगा। हालाँकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ही करनी चाहिए।

शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव दोनों ही बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:38 से 10:41 तक है। शिव योग जहां सुबह से लेकर देर रात 12:46 बजे तक है, वहीं श्रवण नक्षत्र सूर्योदय से लेकर सुबह 10:41 बजे तक है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त 05:01 से 05:50 तक और अभिजीत मुहूर्त 12:08 से 12:56 तक रहने वाला है।

शुक्र प्रदोष व्रत का महत्त्व (Shukra Pradosh Vrat Mahatva)

Shukra Pradosh Vrat Mahatva

स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत के लाभों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस पूजनीय व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करता है उसे संतोष, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी मनाया जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों में शुक्र प्रदोष व्रत की बहुत महिमा है और भगवान शिव के भक्तों के बीच इसे बहुत पवित्र माना जाता है। इस दिन शुक्र गृह से सम्बंधित परेशानियों को दूर करने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत के उपाय भी किया जाते हैं और भगवान शिव की ख़ास पूजा भी की जाती है। इस शुभ दिन पर भगवान की एक नज़र भी आपके सभी पापों को दूर कर देगी और आपको प्रचुर आशीर्वाद और खुशियाँ प्रदान करेगी।

कैसे मनाया जाता है प्रदोष व्रत?

प्रदोष व्रत हर कोई कर सकता है। इस व्रत को देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती के सम्मान में मनाया जाता है। लोग मंदिरों में भगवान शिव की आरती करते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में, लोग इस दिन भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत करने की दो अलग-अलग विधियां हैं। पहली विधि में, विश्वासी लगभग पूरे दिन और पूरी रात, व्रत तथा पूजा करते हैं जिसमें जागरण भी शामिल है। दूसरी विधि में सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास करना और शाम को शिव पूजा के बाद उपवास तोड़ना शामिल है। अधिकतर गृहस्थ लोग दूसरी पूजा विधि अपनाते हैं।

हिंदी में “प्रदोष” शब्द का अर्थ है “रात से संबंधित” या “रात्रि का प्रथम भाग”। यह पवित्र उपवास शाम को अर्थात संध्या के समय किया जाता है और इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती प्रदोष के शुभ दिन पर बेहद प्रसन्न होते हैं और धन्य और परोपकारी महसूस करते हैं। इसलिए, भगवान शिव के भक्त दिव्य आशीर्वाद पाने और अपने देवता की पूजा करने के लिए इस चुने हुए दिन पर उपवास करते हैं।

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