प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव के अवतार भगवान काल भैरव को समर्पित है। मान्यता है की, जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव के साथ इस दिन व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस बार 2 फरवरी 2024 को कालाष्टमी मनाई जा रही है। ऐसी स्थिति में श्रद्धालु जन भगवान कालभैरव की पूजा करने के लिए सही विधि खोजते हैं। विधि के साथ इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए की भगवान कालभैरव की पूजा में कुछ भूल न हो और वे क्रोधित न हों। तो आइये हम आपको बताते हैं की कालाष्टमी पर किस प्रकार पूजा की जाती है और क्या-क्या सावधानियां हैं।
कालाष्टमी पूजा तिथि एवं मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat 2024)
पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि अर्थात माघ कालाष्टमी का प्रारंभ 2 फरवरी दिन शुक्रवार को शाम 04 बजकर 02 मिनट पर होगा। यह तिथि अगले दिन 3 फरवरी को शाम 05 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगी।
ऐसे में तिथि को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है पर ज्योतिषि का मानना है की कालाष्टमी के व्रत रखने पर व्रत समापन पर निशिता मुहूर्त में पूजा की जाती है जिसमें अष्टमी तिथि होनी चाहिए। इसलिए यह व्रत 2 फरवरी को रखा जाएगा।
निशिता काल में भगवान कालभैरव की पूजा का मध्यरात्री का शुभ समय रात 12:08 से 01:01 तक रहेगा। ऐसे में 2 फरवरी को व्रत रखने वाले लोग इस समय में भी पूजा कर सकते हैं।
कालाष्टमी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:24 से सुबह 06:17 तक तथा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से दोपहर 12:57 तक रहेगा।
कालाष्टमी का महत्व (Kalashtami Significance)
कालाष्टमी का व्रत सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे कालाष्टमी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस तिथि पर भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे जो की भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाते हैं। भगवान कालभैरव को शिव जी का पांचवा अवतार माना गया है। भगवान कालभैरव का रूप विकराल है और वे अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करते हैं। वे अपराधियों के लिए दंडनायक हैं और अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं।
भक्त इस दिन घर पर भी कालभैरव भगवान की पूजा कर सकते हैं। परन्तु यदि संभव हो तो ऐसे शिव मंदिर जाएं जहां कालभैरव की प्रतिमा हो और उनकी पूजा करें। इस दिन भगवान भैरव की तंत्र पूजा भी की जाती है। इस पूजा से भक्त को भगवान काल भैरव की असीम कृपा प्राप्त होती है और उसके हर भय का नाश होता है।
कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami Puja Vidhi 2024)
- इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठें और स्नान आदि कर स्वच्छ हो जाएं।
- इसी प्रकार घर एवं पूजा स्थल को भी पवित्र कर लें।
- एक लकड़ी की चौकी लगायें और उसपर शिव और पार्वतीजी के चित्र को स्थापित करें।
- फिर भगवान काल भैरव का चित्र स्थापित करें।
- हर तरफ गंगा जल का छिड़काव कर लें।
- अब भगवान को गुलाब या अन्य फूल का हार पहनाएं या फूल चढ़ाएं।
- अब चौमुखी (चार मुंह वाला) दीपक जलाएं और साथ ही एक गुग्गल की धूप जलाएं।
- अब कुमकुम, हल्दी आदि से सभी को तिलक लगाकर हाथ में गंगा जल लेकर यदि आप व्रत कर रहे हैं तो व्रत करने का संकल्प लें।
- अब भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें और उनकी आरती करें तत्पश्चात भगवान काल भैरव की आरती करें।
- आप पूजा में भैरव चालीसा, मंत्र, कालभैरवाष्टकम एवं शिव चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं।
- व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी अवश्य ही खिलाएं और कच्चा दूध पिलाएं।
- मध्यरात्रि की पूजा में धूप, उड़द, काले तिल, दीपक और सरसों के तेल से भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है।
कालाष्टमी पर व्रत करते समय इन बातों का रखें ध्यान (Kalashtami Vrat Precautions)
भक्तजन सदैव भगवान को प्रसन्न करने के लिए पूजा और उपवास आदि करते हैं। भगवान कालभैरव स्वाभाव से क्रोधी हैं और उनकी पूजा में यदि कोई भूल हो जाये तो उन्हें पुनः प्रसन्न करना बहुत कठिन होता है। इसलिए भक्त को ध्यान रखना चाहिए की वह सही प्रकार से नियमों का पालन करे।
- पवित्रता का साधक को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- साधक घर पर भी भगवान कालभैरव की पूजा कर सकते हैं परन्तु मंदिर जाना सर्वोत्तम है।
- यह व्रत अगले दिन भगवान कालभैरव की पूजा के साथ पूर्ण होता है।
- उपवास करते समय किसी निषेध पदार्थ का सेवन न करें और भूखे न रह सकते हों तो केवल जल एवं फलों का ही सेवन करें।
- इस व्रत में दान का विशेष महत्त्व होता है। आप कच्चा दूध, सरसों का तेल, काले वस्त्र,खाने की तली हुई चीजें, घी, कांसे के बर्तन,जूते-चप्पल आदि वस्तुओं का दान कर सकते हैं।
- काले कुत्ते को मीठी रोटी और गाय को जौ खिलाएं तथा गायें को घी और गुड़ की रोटी अवश्य खिलायें।
- भगवान को केवल शुद्ध और सात्विक चीजों का भोग लगायें।
कालाष्टमी पर पूजा करने पर होंगे यह लाभ (Kalashtami Vrat Benefits in Hindi)
- भगवान कालभैरव के भक्तों की सारी चुनौतियाँ एवं दुःख नष्ट हो जाते हैं।
- साधक सदैव भय से मुक्त रहता है।
- भगवान भैरव से स्वयं काल भी डरता है, इसलिए उनके भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं होता।
- भगवान अपने साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- साधक सदैव प्रसन्न रहता है।
- भगवान कालभैरव सभी शत्रुओं का नाश करते हैं।
भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाने वाले भगवान कालभैरव की पूजा करने वाले भक्त कालाष्टमी व्रत के दिन भयमुक्त जीवन जीते हैं क्योंकि काल भी उनसे डरता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान भैरव के भक्तों को नुकसान पहुंचाने वाला व्यक्ति उनके क्रोध से तीनों लोकों में कहीं भी नहीं बच सकता। कालाष्टमी के दिन बाबा काल भैरव की पूजा करने से जीवन की सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं। यह तिथि भगवान भैरव को समर्पित है। इसे असीम शक्ति प्राप्त करने का समय माना जाता है इसलिए पूजा और व्रत का विशेष महत्व है।
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