Shri Ganesh ji ki Aarti: हिंदू धर्म में गणेश जी प्रथम पूज्य देव माने जाते हैं। गणेश जी को गणपति और विनायक के नाम से भी जाना जाता है। श्रीगणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। भगवान गणेश जी के बेटे, शुभ और लाभ क्रमशः शुभकामनाएं और लाभ देने वाले हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि, समृद्धि और शुभता बढ़ती है।
हिंदू धर्म में हर पूजा से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। किसी भी शुभ काम को करने से पहले भी गणेश जी की पूजा की जाती है। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है। भगवान श्री गणेश जी की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं और कार्य सफल हो जाते हैं।
गणेश जी की पूजा के लिए बुधवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
इसके अलावा गणेश जी की पूजा प्रमुख दीपावली और गणेश चतुर्थी त्योहार है। इनकी पूजा करने से दाम्पत्य जीवन में सुख और सौभाग्य आता है और घर में समृद्धि बढ़ती है।
यहां आप भगवान श्री गणेश जी की आरती के लिरिक्स पढ़ सकते है।
गणेश जी की आरती का महत्व (Shri Ganesh ji ki Aarti ka Mehtv)
गणेश जी की आरती का महत्व निम्नलिखित है:
- यह आरती भगवान गणेश की स्तुति करती है और उनके गुणों का वर्णन करती है। यह भक्तों को भगवान गणेश के बारे में जानने और उनके प्रति श्रद्धा विकसित करने में मदद करती है।
- यह आरती भगवान गणेश से प्रार्थना करती है कि वे भक्तों को अपने आशीर्वाद और संरक्षण प्रदान करें। यह भक्तों को अपने जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करती है।
- यह आरती भक्तों को भगवान गणेश के प्रति समर्पित करने और उनके मार्गदर्शन का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। यह भक्तों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करती है।
गणेश जी की आरती को अक्सर घरों और मंदिरों में गाया जाता है। गणेश जी की आरती एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो शुभ अवसरों के दौरान गाई जाती है।
गणेश जी की आरती (Shri Ganesh ji ki Aarti Lyrics in Hindi)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
कैसे करें गणेश जी की आरती (Shri Ganesh ji ki Aarti ki Vidhi)
यदी आपके पास शंख है, तो आरती शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाएं। मुंह उपर की तरफ रखते हुए शंख को धीमे स्वर में शुरू करते हुए धीरे-धीरे बढ़ाएं। इसके बाद आरती शुरू करें। आरती करते हुए ताली बजाएं। घंटी और आरती के सुर और लय का ध्यान रखें। आरती गाते समय शुद्ध उच्चरण करें। आरती के लिए शुद्ध रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए। आप कपूर आरती भी कर सकते हैं। बत्तियाें की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस सकते हैं। आरती घड़ी के कांटो की दिशा में लयबद्ध तरीके से करनी चाहिए।
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