Surya Chalisa Lyrics: शास्त्रों में रविवार के दिन को सूर्य देवता को समर्पित किया गया है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है, कि पूरे विधि-विधान के साथ सूर्य देव की पूजा करने से वो प्रसन्न हो जाते हैं, और कुंडली में सूर्य की कमज़ोर स्थिति मज़बूत हो जाती है। शास्त्रों में सूर्य देव को सबसे मुख्य देवता माना गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रातःकाल स्नान करने के बाद सूर्य देव को एक लोटा जल अर्पित करने से वो प्रसन्न हो जाते हैं, और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। शास्त्रों में सूर्य देव की पूजा को बहुत ही फलदायक माना गया है। अगर आप सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो हर रविवार के दिन सूर्य चालीसा का पाठ करें। आज हम आपको सूर्य चालीसा के लिरिक्स, महत्व, और पाठ विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
सूर्य चालीसा का महत्व (Surya Chalisa Ka Mahatva)
शास्त्रों में सूर्य देव की चालीसा के पाठ को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा माना जाता है कि, अगर कोई मनुष्य सूर्य चालीसा का पाठ करता है, तो उसे मानसिक और शारीरिक सुख की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव की पूजा-उपासना में सूर्य चालीसा का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है, कि अगर किसी व्यक्ति पर सूर्य देव की कृपा हो जाए, तो उसे मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
अगर आप सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रविवार के दिन सूर्य चालीसा का पाठ अवश्य करें। ऐसा करने से आपके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होने के साथ आपको सिद्धि-बुद्धि, धन-बल, और ज्ञान-विवेक की भी प्राप्ति होगी। सूर्य देव के प्रसन्न होने से मनुष्य धनी बनने के साथ तरक्की पाता है।
सूर्य चालीसा पाठ विधि (Surya Chalisa Path Vidhi)
- सूर्य चालीसा का पाठ करने के लिए रविवार के दिन सुबह जल्दी उठने के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अब एक लोटे में जल लेकर सूर्य देव को अर्ध्य दें।
- सूर्य देव को अर्ध्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद सूर्य देव को फूल, धूप, दीप, आदि पूजा सामग्री अर्पित करें।
- इसके बाद सूर्य चालीसा का पाठ करके उनकी आरती उतारें।
- इसके बाद सूर्य देव से पूजा में हुई गलतियों के लिए माफ़ी मांगते हुए अपने हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए प्रार्थना करें।
सूर्य चालीसा लिरिक्स (Surya Chalisa Lyrics)
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर॥
विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन॥
अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,
सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,
आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।
द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै॥
चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।
छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।
ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।
पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।
अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं॥
दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।
मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों॥
परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।
भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
सूर्य चालीसा के लाभ (Surya Chalisa Ke Labh)
- अगर कोई मनुष्य रविवार के दिन सूर्य चालीसा का पाठ करता है तो सूर्य देव की कृपा से उसे लम्बी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- अगर आप लम्बे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं तो नियमित रूप से सूर्य चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से आपको सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।
- अगर कोई व्यक्ति रोज़ाना सूर्य चालीसा का पाठ करता है तो उसकी कुंडली से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है।
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