Shri Ram Chalisa Meaning in Hindi: मान्यताओं के अनुसार नियमित रूप से प्रभु श्री राम की पूजा के बाद राम चालीसा के पाठ को करने से सभी प्रकार के कार्यों में सफलता मिलती है। शास्त्रों में बताया गया है कि रोज़ाना राम चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख-सौभाग्य आता है। जिस व्यक्ति को राम जी की कृपादृष्टि प्राप्त हो जाती है उसे सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक प्राप्त होता है। राम चालीसा के प्रभाव से मनुष्य के जीवन से धन की कमी दूर हो जाती है। श्री राम शक्ति-ज्ञान के देवता है, श्रीराम की कृपा मिलने से सारी तकलीफें दूर हो जाती हैं और मनुष्य तेजस्वी बनता है। आज हम आपको राम चालीसा के अर्थ के बारे में बताने जा रहे हैं।
श्री राम चालीसा का महत्व (Ram Chalisa Ka Mahatva)
शास्त्रों में श्रीराम चालीसा के पाठ को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। श्री राम चालीसा का पाठ करने से सभी कार्य मंगल हो जाते हैं। श्रीराम चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न हो जाते हैं। हनुमान जी के प्रसन्न होने से भक्तों के सभी कष्ट और परेशानियां दूर हो जाती हैं। राम चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होने के अलावा ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नियमित रूप से राम चालीसा का पाठ करता है उसे अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
श्री राम चालीसा का अर्थ (Shri Ram Chalisa Meaning in Hindi)
॥ चौपाई ॥
श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजे प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥
ध्यान धरे शिव जी मन माहीं। ब्रम्हा इंद्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला। सदा करो संतान प्रतिपाला॥
अर्थ: अपने भक्तों का भला करने वाले रघुवीर, हमारी प्रार्थना स्वीकार करें। हे प्रभु, जो भक्त हमेशा आपको याद करता है, उसके जैसा दूसरा कोई भी भक्त नहीं है। भगवान शिव भी हमेशा आपके स्मरण में लीन रहते है। ब्रह्मा, इंद्र आदि सभी देवता आज तक आपकी लीला को समझ नहीं पाए हैं। वीर हनुमान जो आपके भक्त हैं। हे प्रभु श्री राम आपकी जय हो, आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो।
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥
गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हा लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
अर्थ: हे रघुनंदन, आपकी शक्तिशाली भुजाएं हमेशा सबका कल्याण करती हैं। आप हमेशा सब पर अपनी कृपा बरसाते हैं। हे श्री राम,आपने रावण जैसे असुर का संघार किया। हे प्रभु, आप हमेशा निर्धन का दामन थामते हैं। आप हमेशा दीन दुखियों का कल्याण करते हैं। आज तक ब्रह्मा भी आपकी लीला को समझ नहीं पाए। साक्षात भगवान भी आपके यश का गुणगान करते हैं। आप हमेशा अपने भक्तों का कल्याण करते हो। हे प्रभु, चारो वेद भी इस बात के प्रमाण है। माँ शारदा भी मन ही मन आपका ध्यान करती हैं। स्वर्ग के देवता इंद्र भी आज तक आपकी महिमा को समझ नहीं पाए। जो भी व्यक्ति आपका नाम लेता है उसके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। आपके नाम की महिमा अपरंपार है। चारो वेद भी इस बात के साक्षी हैं।
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो ॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा ॥
फूल समान रहत सो भारा । पाव न कोऊ तुम्हरो पारा ॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो ॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी ॥
तारण जीते नहिं कोई। युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
अर्थ: हे प्रभु श्रीराम, आपने गणपति को प्रथम पूजनीय बनाया है, इसलिए श्री गणेश जी हमेशा आपके नाम का स्मरण करते रहते हैं। शेषनाग भी आपके नाम की महिमा से पृथ्वी का भार अपने सिर पर धारण करते हैं। आपका ध्यान करने से बड़े से बड़ा भार भी हल्का लगने लगता है। हे श्री राम, आपकी महिमा आज तक कोई समझ नहीं पाया है। आपके भ्राता, भरत ने भी आपके नाम को अपने मन में बसाया था, इसलिए कोई भी उन्हें युद्ध में हरा नहीं पाया। शत्रुघ्न के हृदय में भी आप विराजमान थे। इसलिए वो सभी शत्रुओं का नाश कर देते थे। लक्ष्मण आपके परम प्रिय भ्राता थे। आपकी कृपा से उन्हें कभी भी कोई युद्ध में हरा नहीं पाया। यमराज भी जिनके सामने आने से डरते थे।
महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥
अर्थ: हे प्रभु श्री राम, आपके साथ माँ लक्ष्मी ने भी पृथ्वी पर अवतार धारण करके सभी प्रकार के पापों का नाश किया था। इसलिए सीताराम का पवित्र नाम एक साथ लेने से भी पृथ्वी देवी भी अपना असर दिखाती हैं। माता सीता का अवतरण घड़े से हुआ था। माता सीता का रूप इतना सुहावना था कि चंद्रमा भी उनसे आंखों से नहीं मिला सकता था। हे श्री राम, जो नियमित रूप से आपके चरणों को धोता है उनके चरणों में नौ निधियाँ विराजमान रहती हैं। उसके लिए अठारह मंगलकारी सिद्धियाँ भी आप पर न्योछावर है।
औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
अर्थ: हे सियावर राम, आपने ही सभी देवी देवताओं की रचना की है। अगर आप चाहे तो एक क्षण में करोड़ो संसारों को कम कर सकते हैं। जो भक्त आपका स्मरण करते हैं उन्हें मुक्ति प्राप्त होती है। हे श्रीराम आप ही हमारे परमपिता हैं। भारत में आप ही पूजनीय हैं। आप ही हमारे कुलदेवता हैं। आप हमें प्राणों से भी ज्यादा प्यारे हैं।
कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥
अर्थ: हे प्रभु, आप हमेशा हमारी लाज बनाये रखियेगा। हे प्रभु, आप की जय हो। हम सबका पोषण करने वाले दशरथ पुत्र राम, आपकी हमेशा जय हो। हे ज्योति समान प्रभु, आप की हमेशा जय हो। हे सतो, रजो और तमो से परे; अप्रतिम, अखंडित श्रीराम, आप ही सत्य हैं। आप की जय हो। आप ही सनातन, आप ही ईश्वर हैं। जो भक्त सच्चे मन से आपका भजन कीर्तन करते हैं, उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती। भोलेनाथ भी इसी सत्य का पालन करते हैं इसीलिए आपने उन्हें भक्ति के साथ-साथ सभी प्रकार की सिद्धियां भी प्रदान की हैं।
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥
अर्थ: हे ज्ञान के देवता श्रीराम, हमारे मन में भी ज्ञान का प्रकाश भर दें। हे जगत के पालनहार, आपकी जय हो। हम सभी आपको प्रणाम करते हैं। आप धन्य हैं। हे प्रभु श्रीराम, सिर्फ आपका नाम लेने से सारे संताप मिट जाते है। आपके शुद्ध सत्य का बखान देवताओं ने भी किया है। अनादिकाल से आप ही सत्य का स्वरुप हैं, हे प्रभु श्रीराम, आप ही हमारे सब कुछ हैं।
याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥
और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥
तनहुं का ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
अर्थ: जो भक्त राम चालीसा का पाठ करता है, उसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश भर जाता है। राम चालीसा का पाठ करने से सत्य का ज्ञान होता है। जो व्यक्ति आपका नाम लेता है वो जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। भगवान शिव ने भी इस बात को सत्य माना हैं। राम चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को उसकी इच्छा अनुसार फल प्राप्त होते हैं। जो मनुष्य तीनों पहर आपका स्मरण करने के साथ उन्हें तुलसी व फूल चढ़ाता है, भोग के रूप में साग इत्यादि चढ़ाता है, उसे यश व सिद्धि की प्राप्ति होती है। राम चालीसा का पाठ करने से मनुष्य अपने अंतिम समय में वह रघुनाथ जी के धाम जाता है, और राम भक्त कहलाता है। श्री हरिदास ने भी गाते हुए कहा हैं कि ऐसा मनुष्य मृत्यु के पश्चात् बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है।
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय। हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय। जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्ध हो जाय॥
॥ इतिश्री प्रभु श्रीराम चालीसा समाप्तः॥
अर्थ: अगर कोई भी मनुष्य पूरे नियम के साथ लगातार सात दिनों तक राम चालीसा का पाठ करता है, तो हरिदास जी कहते हैं कि उसे भगवान विष्णु की कृपा से भक्ति की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य श्री राम के चरणों में ध्यान लगाकर राम चालीसा का पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।