Sankashti Chaturthi Kab Hai: हर महीने के कृष्ण और शुक्ल की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा की जाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और मंगलमूर्ति भी कहा जाता है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान गणेश का पूजन करने से भक्तों के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। हिन्दू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि हर महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करके गणपति बाप्पा का पूजन करने से मनुष्य के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद मिलता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन करने से जीवन की हर बाधा और संकट दूर हो जाते हैं।
इस लेख में हम जनेंगे जुलाई में संकष्टी चतुर्थी कब है, संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा, महत्व, और पूजा विधि।
कब है संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi July 2024)
जुलाई महीने में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 25 जुलाई को किया जायेगा।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Date and Timings in Hindi)
सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 07:30 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 25 जुलाई को सुबह 04:39 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में भक्त 25 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी का व्रत कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Sankashti Chaturthi ka Mahatva)
शास्त्रों में संकष्टी चतुर्थी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। जो भक्त संकष्टी चतुर्थी के दिन पूरे नियम और आस्था के साथ भगवान गणेश का व्रत और पूजन करते हैं, उन्हें भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से परेशानियों से छुटकारा और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त भगवान गणेश की विशेष उपासना करने के साथ गणेश चालीसा का पाठ करते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी व्रत हर भक्त के जीवन में शुभता और समृद्धि लाता है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Vrat Katha)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार माता पार्वती और भगवान शिव नदी के किनारे घूम रहे थे। तब माता पार्वती की इच्छा चौपड़ खेलने की हुई, पर वहां पर ऐसा कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था जो खेल में जीत हार का फैसला सुना सके। तब माता पार्वती ने एक मिट्टी की मूर्ति का निर्माण करके उसमें जान डाल दी। शिव पार्वती ने मिट्टी से बने बालक को कहा कि वह खेल देखने के बाद सही निर्णय सुनाये। खेल के दौरन माता पार्वती बार-बार भगवान शिव से जीत रही थी।
एक बार गलती से बालक ने माता पार्वती की हार की घोषणा कर दी। इस बात से माता पार्वती बहुत क्रोधित हो गई और गुस्से में आकर उन्होंने बालक को श्राप दे दिया। माता पार्वती के श्राप के कारण बालक लंगड़ा हो गया। बालक ने बार-बार माता पार्वती से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी। बार-बार बालक द्वारा क्षमा मांगे जाने पर माता पार्वती ने कहा कि, अब श्राप वापस नहीं हो सकता। माता पार्वती ने कहा कि, अगर तुम श्राप से मुक्ति पाना चाहते हो तो संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा और व्रत करो। बालक ने संकष्टी चतुर्थी के दिन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान गणेश का व्रत और पूजन किया।
उसकी तपस्या देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हो गए और उसे एक वरदान मांगने को कहा। तब बालक ने कहा कि वह माता पार्वती और भगवान शिव के पास जाना चाहता है। भगवान गणेश ने उसकी इच्छा को मानते हुए उसे शिवलोक पहुंचा दिया। शिवलोक पहुंचकर बालक ने देखा कि, वहां सिर्फ भगवान शिव मौजूद हैं। माता पार्वती भगवान शिव से गुस्सा होकर कैलाश छोड़कर चली गई थी। जब भगवान शिव ने बच्चे को देखा तो उससे पूछा कि तुम यहां पर कैसे आये, तब बालक ने शिव जी को गणेश जी की पूजा और उनके वरदान के बारे में बताया। उसके बाद भगवान शिव ने भी पूरे विधि विधान के साथ माता पार्वती को मनाने के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती कैलाश वापस आ गई।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने के लिए प्रातःकाल सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत होने के बाद अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने घर के पूजा घर में एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछा लें।
- अब इसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
- अब पूरे नियम के साथ भगवान गणेश का अभिषेक करें।
- गणेश जी को दूर्वा बहुत प्रिय है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन उन्हें दूर्वा अवश्य अर्पित करें। इसके अलावा इस दिन गणेश जी को पूजा में फल, फूल, मिठाई, मोदक, सिंदूर चढ़ाएं।
- इसके बाद गणेश मंत्रों का जाप करने के पश्चात गणपति चालीसा का पाठ करें।
- अंत में भगवान गणेश की आरती करें।
- सबसे आखिरी में पूजा में हुई गलतियों के लिए अपने दोनों हाथ जोड़कर भगवान गणेश से माफ़ी मांगे।
संकष्टी चतुर्थी के उपाय (Sankashti Chaturthi ke Upay)
- अपनी बिद्धि का विकास करने और किसी भी प्रकार की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश भगवान के 6 अक्षर के विद्या प्राप्ति मंत्र ‘मेधोल्काय स्वाहा’ का 108 बार जाप करें। इसके अलावा आप एक विद्या यंत्र भी धारण करें।
- संतान की खुशियों के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश भगवान के समक्ष गोबर के उपले पर 2 कपूर और 6 लौंग की आहुति दें। अब इस आहुति की लौ को अपने बच्चे के माथे पर लगाएं।
- बुद्धि के साथ बल की प्राप्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश भगवान को पांच हल्दी की गांठ चढ़ाएं।
- अगर आपका मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो संकष्टी चतुर्थी के दिन एक कच्चे नारियल के ऊपर एक लाल रंग का कपड़ा या चुनरी लपेटकर मन में भगवान से अपनी मनोकामना व्यक्त करते हुए उस नारियल को भगवान गणेश के चरणों अर्पित करें।
- परिवार में खुशहाली लाने के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश भगवान को भोग के रूप में मोदक अर्पित करें।
- पारिवारिक समस्याओं को दूर करने के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन एक कच्चे नारियल पर रोली का तिलक लगाकर भगवान गणेश के चरणों में फोड़ दें। अब इस नारियल को अपने परिवार के सब सदस्यों में बांट दें।