Shree Siddhivinayak Temple: सन 1801 में विट्ठु और देउबाई पाटिल ने मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर के द्वार सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए हमेशा खुले रहते हैं। मुंबई में मौजूद सिद्धिविनायक मंदिर 200 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है।
मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में आता हैं वो कभी खाली हाथ नहीं जाता। साल 1801 में 19 नवंबर को सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। एक किसान महिला ने इस मंदिर के निर्माण के लिए धनराशि दी थी। इस किसान महिला की कोई संतान नहीं थी इसलिए वो चाहती थी जैसा उसके साथ हुआ वैसा किसी और के साथ ना हो। किसान महिला ने मंदिर बनवाते समय इसी आशीर्वाद की प्रार्थना की।
इसीलिए जो महिला पूरी श्रद्धा के साथ इस मंदिर में दर्शन करने आती हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सिद्धिविनायक मंदिर में देश विदेश के अलावा बड़े बड़े राजनेता और अभिनेता भी दर्शनों के लिए आते हैं। इस मंदिर को सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है।
सिद्धिविनायक के नाम से किस भगवान को जाना जाता है (Siddhivinayak Bhagwan)
सिद्धिविनायक मंदिर विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित हैं। मंदिर के अंदर भगवान गणेश के सिद्धिविनायक रूप की स्थापना की गई है। इस मंदिर के लकड़ी के दरवाजों पर सूक्ष्म शिल्पाकारी से अष्टविनायक को प्रतिबिंबित किया गया है। मंदिर के अंदर की छत के ऊपर सोने की परत लगायी गई हैं। मान्यताओं के अनुसार सिद्धिविनायक मंदिर में विघ्नहरण गणेश जी के दर्शन करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
सिद्धिविनायक का अर्थ क्या है (Siddhivinayak Ka Arth Kya Hai)
सिद्धिविनायक का अर्थ होता हैं “सफलता प्रदान करने वाला” सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और मनुष्य को सफलता प्राप्त होती हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर क्यों प्रसिद्ध है (Why is Siddhivinayak Temple Famous)
सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी की सूंढ़ दायीं तरफ मुड़ी हुई हैं। वास्तुशास्त्र में जानकारी दी गयी है कि, जिन गणेश जी की सूंढ़ दाईं तरफ मुड़ी होती हैं वो जल्द मनोकामना पूरी करते है। इसके अलावा दाईं तरफ सूंढ़ वाले गणेशजी बहुत जल्दी क्रोधित भी हो जाते हैं। इसलिए भगवान गणेश के सिद्धिविनायक स्वरूप की पूजा विशेष नियमो के साथ की जाती है। सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी की काले रंग की मूर्ति स्थापित की गई हैं। यह मूर्ति 2.6 फीट ऊंची और 2 फीट चौड़ी है। सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश के साथ उनकी दोनो पत्नियां रिद्धि और सिद्धि की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
सिद्धिविनायक के दर्शन का सही समय क्या हैं (Shree Siddhivinayak Temple Darshan Timings)
सिद्धिविनायक मंदिर के कपाट सुबह 5:30 बजे से रात 9:50 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए खुले रहते हैं।
सिद्धिविनायक का स्वरुप (Shree Siddhivinayak Ka Swaroop)
सिद्धिविनायक मंदिर में स्थापित गणेश की मूर्ति के चार हाथों में से ऊपरी दाएं हाथ में कुल्हाड़ी है, ऊपरी बाएँ हाथ में कमल का फूल है। गणेशजी अपने निचले दाहिने हाथ से आशीर्वाद की मुद्रा धारण किये हुए हैं और उनके निचले बाएं हाथ में मोदक हैं। मंदिर में चांदी के दो बड़े चूहों की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। चूहे को गणपति की सवारी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार चूहे के कान में अपना मनोकामना कहने से वो अवश्य पूर्ण होती है।
सिद्धिविनायक मंदिर का दूसरा नाम क्या है?
सिद्धिविनायक मंदिर का दूसरा नाम “नवसाचा गणपति” या “नवसाला पावणारा गणपति” है। ये मराठी भाषा के शब्द हैं। जिसका अर्थ है कि, अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से सिद्धिविनायक के दर्शन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई में दर्शन कैसे बुक करें?
सिद्धिविनायक मंदिर में जाने के लिए भक्त ऑनलाइन टिकट बुकिंग की प्रक्रिया अपना सकते हैं। आप जब भी सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन करना चाहते हैं उसकी तारीख और समय तय करने के बाद मामूली भुगतान करके ऑनलाइन दर्शन के लिए (मंदिर यात्रा) स्लॉट कर सकते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर में किस दिन भीड़ होती है?
सिद्धिविनायक मंदिर में रोज़ाना भक्तों की भीड़ लगी रहती। मंगलवार के दिन यहां गणेशजी के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इसके अलावा श्रद्धालु अंगारकी और संकाष्ठि चतुर्थी के दौरान बड़ी संख्या में सिद्धिविनायक मंदिर दर्शन करने पहुंचते हैं। गणेश पूजा के दौरान सिद्धिविनायक मंदिर में सबसे ज़्यादा भीड़ होती है।
क्या मैं अपना सामान सिद्धिविनायक मंदिर में रख सकता हूं?
सिद्धिविनायक मंदिर प्रवेश द्वार पर निःशुल्क लॉकर की सुविधा उपलब्ध है। इस लाकर में आप अपना सामान रखकर गणेशजी के दर्श के लिए जा सकते हैं।
सिद्धिविनायक दर्शन में कितना समय लगेगा?
सिद्धिविनायक मंदिर में रोज़ाना बहुत भीड़ रहती है। मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए लम्बी लाइन लगती है जिसके कारण दर्शन में लगभग 1 से 2 घंटे का समय लगता है।