हिन्दू धर्म में बृहस्पतिवार के दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में बृहस्पतिवार के दिन को गुरुदेव (बृहस्पति) को समर्पित किया गया है।
बृहस्पतिवार व्रत का महत्व (Brihaspativar Vrat Ka Mahatav)
बृहस्पतिवार के दिन जो भक्त भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के बाद व्रतकथा को पढ़ता या सुनता हैं उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। बृहस्पतिवार का व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु और बृहस्पति ग्रह प्रसन्न होते हैं। बृहस्पतिवार का व्रत करने से सभी प्रकार से संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख, शान्ति और समृद्धि आती है।
बृहस्पतिवार व्रत के फायदे (Brihaspativar Vrat Ke Fayde)
- कुंडली से पितृ दोष को दूर करने के लिए बृहस्पतिवार के दिन व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
- अगर आपकी कुंडली में अल्पायु योग है तो बृहस्पतिवार का व्रत करने से ये दोष दूर हो जायेगा।
- अगर आप अपने जीवन में धन से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो बृहस्पतिवार का व्रत रखें। इस व्रत को करने से आपको धन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
- मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी के लिए बृहस्पतिवार का व्रत रखें। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपनी विशेष कृपा प्रदान करते हैं।
- अगर कोई विद्यार्थी पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करना चाहता है तो बृहस्पतिवार का व्रत उसके लिए विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है। इस व्रत को करने से मन केंद्रित होता है।
बृहस्पतिवार व्रत कथा (Brihaspativar ki Vrat Katha)
प्राचीनकाल में एक बहुत ही दयालु राजा था। वह हमेशा गरीबों की सहायता करता था, पर राजा की पत्नी को यह बात पसंद नहीं थी। एक बार जब राजा महल में नहीं था तब बृहस्पतिदेव भेष बदलकर रानी के पास भिक्षा मांगने गए। तब रानी ने भिक्षा देने से मना करते हुए कहा कि मुझे यह दान पुण्य पसंद नहीं है। आप ऐसा आशीर्वाद दें कि मेरी सभी धन संपत्ति नष्ट हो जाए। तब बृहस्पति देव ने कहा कि अगर आप अपनी धन संपदा को नष्ट करना चाहती हैं तो बृहस्पतिवार के दिन अपने घर को गोबर से लीपें। अपने बालों को पीली मिट्टी से धोएं। राजा से कहना कि वह अपनी दाढ़ी और बाल कटवाए। मांस मदिरा का सेवन करना। बृहस्पतिवार के दिन कपड़े धोना। लगातर सात बृहस्पति तक ऐसा करने से आपकी सभी धन-संपत्ति नष्ट हो जाएगी।
रानी ने साधु के कहेनुसार इन सभी चीजों का पालन किया। ऐसा करने से उसकी सभी धन संपदा नष्ट हो गई। तब राजा दूसरे शहर में नौकरी करने के लिए चला गया। राजा के जाने के बाद रानी और दासी अकेली रह गईं और गरीबी में अपने दिन काटने लगी। एक दिन गरीबी से तंग आकर रानी ने दासी को अपनी बहन के पास मदद के लिए भेजा। उस दिन बृहस्पति था। रानी की बहन उस समय बृहस्पति व्रत कथा सुन रही थी। दासी के पुकारने पर रानी की बहन ने कोई उत्तर नहीं दिया। दासी दुखी होकर अपने घर वापस आ गई। इधर कथा समाप्त होने पर रानी की बहन रानी के घर गई और कहा कि मैं उस समय बृहस्पतिवर की व्रत कथा सुन रही थी। कथा के बीच में बोलना वर्जित है।
रानी की बहन ने पूछा कि तुमने दासी को मेरे घर क्यों भेजा था। तब रानी ने कहा कहा कि हमारे यहां खाने के लिए कुछ भी नहीं है इसलिए मैंने दासी को तुम्हारे पास मदद के लिए भेजा था। तब रानी की बहन ने बोला कि भगवान बृहस्पतिदेव बहुत दयालु हैं। उनकी कृपा से तुम्हारी गरीबी दूर हो सकती है। तब रानी ने अपनी बहन से बृहस्पतिवर व्रत की विधि पूछी। रानी की बहन ने कहा, बृहस्पतिवार के दिन चने की दाल, गुड़ और मुनक्का से बृहस्पतिदेव की पूजा करें और व्रत रखें। पीला भोजन करें। ऐसा करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होंगे और अन्न, पुत्र और धन की कमी दूर हो जाएगी। रानी और दासी ने अपनी बहन के कहेनुसार बृहस्पतिवार का व्रत रखा।
बृहस्पतिवार के दिन रानी और दासी घुड़साल जाकर चना गुड़ ले आयी और केले की जड़ और भगवान बृहस्पतिदेव की पूजा की। रानी और दासी की पूजा से प्रसन्न होकर बृहस्पतिदेव रूप बदलकर दो थालों में पीला भोजन लेकर आए और दासी को दे दिया। रानी ने को इस विषय में कोई जानकारी नहीं थी इसलिए उसने भोजन करने से मना कर दिया और कहा कि तुम हमें नीचा दिखा रही हो। तब दासी ने कहा कि यह भोजन एक व्यक्ति दे गया है। तब रानी और दासी ने गुरु भगवान को प्रणाम करके भोजन ग्रहण किया। रानी और दासी हर बृहस्पतिवार को व्रत और पूजन करने लगे। ऐसा करने से उनकी गरीबी दूर हो गई।
रानी पहले की तरह फिर से आलसी हो गई। तब दासी ने कहा कि भगवान बृहस्पति की कृपा से हमें फिर धन प्राप्त हुआ है इसलिए अब आलस मत करो और लोगों की मदद करो। रानी ने ऐसा ही किया। एक दिन रानी और दासी राजा के बारे में सोचने लगे। उन्होंने भगवान बृहस्पति से प्रार्थना की कि राजा जल्दी लौट आए। रात्रि में बृहस्पति देव राजा के सपने में आए और कहा कि तुम्हारी रानी तुमको याद कर रही है। अपने देश वापस चले जाओ। जब राजा की नींद खुली तो वह लड़की काटने के लिए जंगल चला गया। तभी साधु का रूप धारण करके बृहस्पति देव उसके पास आए। और राजा को बृहस्पतिवर का व्रत करने के लिए कहा। राजा ने वैसा ही किया। बृहस्पतिदेव की कृपा से राजा के सभी कष्ट दूर हो गए और राजा रानी के पास वापस लौट गया। जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा के साथ बृहस्पतिवार के दिन व्रत करके पूजा करता है और कथा सुनता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बृहस्पतिवार पूजा विधि (Brihaspativar Vrat Puja Vidhi)
- बृहस्पतिवार के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्म से निवृत हो जाए।
- स्नान करने के पश्चात पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- पूरे घर में गंगाजल छिड़कने के बाद अपने घर के पूजा घर में श्रीहरि विष्णु की मूर्ति कि स्थापना करें।
- अब भगवान् विष्णु कि मूर्ति पर पीले रंग के गंध-पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
- अब चना-गुड़ और मुनक्का चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पूजा के पश्चात व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अब केले की जड़ में जल अर्पित करें।
बृहस्पतिवार के दिन रखे इन बातों का खास ध्यान (Brihaspativar ke Din Kya Na Kare)
- बृहस्पतिवार के दिन भूलकर भी नाख़ून ना काटें।
- इसके अलावा इस दिन बाल ना कटवाएं, हजामत ना करवाएं।
- कपड़े ना धोएं।
- अपने घर में पोछा ना लगाएं।
- बृहस्पतिवार के दिन महिलाओं का बाल नहीं धोने चाहिए।