कुछ किवदंतियों के अनुसार माना जाता ही की है कि अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। पूरे विधि विधान से इस दिन पूजा करने से जीवन में कभी यश, गौरव और मान सम्मान कम नहीं होता। साथ ही साधक पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। इस दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इस विशेष दिन किसी भी तरह के मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं। तो चलिए आपको बताते है अक्षय तृत्य पर पढ़ी जाने वाली व्रत कथा, अक्षय तृत्य का महत्व और इस दिन से जुड़ी कुछ विशेष बातें।
अक्षय तृतीया का व्रत क्यों किया जाता है (Akshaya Tritiya Vrat Kyo Kiya Jata Hai)
अक्षय तृतीया, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो विभिन्न धार्मिक महत्वों के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से संयम, पूजा, दान और कर्म की महत्वता को उजागर करता है। इस दिन लोग विभिन्न पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं और भगवान की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। इस अवसर पर लोग अपने दिन को धार्मिकता और आध्यात्मिकता के साथ भर देते हैं।
अक्षय तृतीया व्रत कथा – 1 (Akshaya Tritiya Vrat Katha 2024 in Hindi)
अक्षय तृतीया का व्रत कथा बहुत ही प्राचीन है और इसमें विभिन्न धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा ने वेदों के रचयिता वेदव्यास को अक्षय तृतीया का व्रत करने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस व्रत का आचरण करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। तबसे यह व्रत किया जाने लगा।
अक्षय तृतीया का व्रत कथा – 2 (Akshaya Tritiya ki Vrat Katha)
सनातन शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में पांडवों को लंबे समय तक राज्य से बाहर रहना पड़ा था। तब एक समय वह अज्ञातवास में थे
तो ऋषि दुर्वासा ने अपने शिष्य के जरिए यह संदेश भिजवाया कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर वे (ऋषि दुर्वासा) अपने शिष्यों के साथ भोजन हेतु घर पधारने वाले हैं। ऋषि दुर्वासा के शिष्य यह संदेश लेकर उस समय पहुंचे, जब पांडव भोजन ग्रहण कर चुके थे। यह संदेश पाकर पांडव चिंतित हो उठे कि उन लोगों ने तो भोजन प्राप्त कर लिया है। रसोई गृह में अब भोजन भी नहीं है और हमेशा से ऋषि दुर्वासा को अपने क्रोध के लिए जाना जाता है। तब अगर भोजन नहीं मिलता, तो ऋषि दुर्वासा पांडवों को भी शाप दे सकते थे। उस समय द्रौपदी ने जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण से सहायता हेतु प्रार्थना की।
यह जान भगवान श्रीकृष्ण पांडव के अज्ञातवास गृह पर आये। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने भोजन पात्र में एक चावल पड़ा देखा। तब भगवन कृष्ण ने वह चावल खा लिए और भोजन पात्र तत्क्षण अक्षय पात्र में बदल गया। अक्षय का आशय कभी न खत्म होने वाला है। इसके बाद ऋषि दुर्वासा अपने शिष्यों के साथ पांडवों के घर पधारे। उस समय द्रौपदी ने सभी को भोजन कराया। इसके बावजूद अन्न पात्र में भोजन कम नहीं हुआ।
मूरली मनोहर ने चावल उठाकर ग्रहण (खा लिया) कर लिया। इससे भोजन पात्र तत्क्षण अक्षय पात्र में बदल गया। अक्षय का आशय कभी न खत्म होने वाला है। इसके बाद ऋषि दुर्वासा अपने शिष्यों के साथ पांडवों के घर पधारे। उस समय द्रौपदी ने सभी को भोजन कराया। इसके बावजूद अन्न पात्र में भोजन कम नहीं हुआ। तबसे सुख समृद्धि और सम्पन्नता के लिए अक्षय तृत्य का व्रत किया जाने लगा।
अक्षय तृतीया पूजा विधि और सामग्री (Akshaya Tritiya Puja Vidhi aur Samagri List in Hindi)
पूजा का समय: अक्षय तृतीया का पूजन सबसे अधिक शुभ माना जाता है यह सूर्य उदय के समय की जाती है।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए चावल, दूध, घी, मिष्ठान, फल, धनिया, तुलसी पत्ते, नारियल, फूल, धूप, दीप, और सिन्दूर शामिल करें।
पूजा विधि: पूजा की शुरुआत में भगवान गणेश और लक्ष्मी की प्रार्थना की जाती है। फिर ध्यान और मन्त्र जाप के बाद माँ लक्ष्मी को मीठे का भोग चढ़ाया जाता है। आप चाहें तो इस दिन सोना या चांदी के सिक्के भी खरीद सकते हैं, यह शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया व्रत करने से मिलने वाले पुण्य का महत्व (Akshaya Tritiya Se Milne Wala Phal Aur Punya Ka Mahatva)
अक्षय तृतीया के दिन किए गए धार्मिक कार्यों का अत्यधिक महत्व है। इस दिन की पूजा, दान और तप का फल अक्षय माना जाता है, अर्थात जो कुछ इस दिन किया जाता है वह बिना किसी गणना के अक्षय रहता है। इस तरह, अक्षय तृतीया एक पवित्र पर्व है जो धर्म, समृद्धि, और संतुलन को प्रमोट करता है। यह एक अवसर है जब लोग अपने मानवीय और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। अगर आप भी घर में धन धान्य और समृद्धि बढ़ाना चाहते हैं तो अक्षय तृतीया के दिन यह व्रत जरूर करें और अगर किसी कारणवश आप व्रत नहीं कर पा रही हैं तो अक्षय तृतीया की व्रत कथा जरूर पढ़ लें। इससे आपके जीवन में धन धान्य की कमी नहीं होगी और जीवन सफलता की ओर ही अग्रसर रहेगा।