महाभारत के महानायक भगवान श्रीकृष्ण आस्था का सबसे बड़ा केंद्र हैं। भगवान श्री कृष्ण के भक्त, उनकी कृपा, मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण और आत्म-ज्ञान प्राप्त करने के लिए श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप करते है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति का भगवान पर विश्वास बढ़ता है और आत्मविश्वास दृढ़ होता है।
वैसे तो भगवान श्री कृष्ण की स्तुति के बहुत से मंत्र हैं परन्तु आज के लेख में हम एक सर्वप्रसिद्ध मंत्र पर चर्चा करने वाले हैं जो है;
“ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।”
आज के लेख में हम आपको बताएँगे की इस मंत्र का अर्थ क्या हैI साथ ही आप जानेंगे की मंत्र के जाप की विधि क्या है और इसके क्या लाभ हैंI
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने मंत्र का अर्थ (Om Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Mantra Meaning in Hindi)
भगवान कृष्ण की स्तुति के लिए कई मंत्र हैं परन्तु कुछ मंत्र अत्यंत शक्तिशाली होते हैं जिनके जप मात्र से भक्त परम देव श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त कर लेता है। ऐसा ही एक मंत्र है,
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः II
यह मंत्र अत्यधिक प्रसिद्ध है और अक्सर भक्तों द्वारा भगवन कृष्ण से प्रार्थना, उनके ध्यान और उन्हें प्रसन्न करने के लिए इसका जाप किया जाता है। आइये इस मंत्र का अर्थ समझते हैंI
ॐ : ब्रम्हांड की ध्वनि जिसका उच्चारण लगभग समस्त मंत्रों के प्रारंभ में किया जाता हैI
कृष्णाय: श्री कृष्ण को
वासुदेवाय: कृष्ण का नाम, वासुदेव के पुत्र
हरये: बाधाओं और पापों को हरने वाले, हरि
परमात्मने: परमात्मा, परम भगवान
प्रणतः : श्रद्धा से झुककर प्रणाम करते हैंI
क्लेशनाशाय (क्लेश नाशाय): कष्ट, क्लेश और कठिनाइयों का नाश करने वाले
गोविंदाय: गोविन्द (कृष्ण का एक नाम)
नमो नमः : बार-बार प्रणाम करते हैंI
इन अर्थों के अनुसार इस मंत्र का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है “हम श्रीकृष्ण वासुदेव, बाधाओं और पापों के हरने वाले परमात्मा, दुखों और विपत्तियों का नाश करने वाले, भगवान गोविन्द को बार-बार प्रणाम करते हैं।”
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने मंत्र जप की विधि (Krishna Mantra Jaap Vidhi)
किसी भी मंत्र का जप यदि विधिपूर्वक नियमित रूप से किया जाये तो वह अति शुभ और लाभदायक सिद्ध होता है। इसलिए बेहतर है की आप जप आरम्भ करने से पूर्व ही विधि देख लें और उसके अनुसार जप और पूजन करके भगवान कृष्ण की कृपा के पात्र बनें।
- भगवान कृष्ण की पूजा के सर्वोत्तम दिन बुधवार और ब्रहस्पतिवार हैं, परन्तु यदि आप मंत्र जप से साधना करना चाहते हैं तो आपको प्रतिदिन नियमित रूप से जप करना होगा।
- मंत्रोच्चारण का सबसे शुभ समय सुबह 4 से 6 बजे अर्थात ब्रम्हामुहूर्त के बीच है।
- मंत्रों का जाप करने से पहले स्नान इत्यादि करके शुद्ध हो जायें और पूजास्थल को भी शुद्ध करलें।
- इसके बाद एक आसन पर भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने बैठ जाएं और भगवान कृष्ण का ध्यान करें।
- इसके बाद मंत्र का जाप शुरू करें।
- भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप तुलसी या चन्दन की माला पर करना अत्यंत शुभ रहता है।
- अपने अनुसार 108 बार अर्थात 1 माला, या उससे अधिक जाप भी कर सकते हैं।
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने मंत्र जाप के लाभ (Om Krishnaya Vasudevaya Haraye Paramatmane Mantra Benefits in Hindi)
- यह मंत्र एक विशेष प्रकार की ऊर्जा की तरह है जो हमें खुश महसूस करने और भगवान कृष्ण से जुड़े रहने में मदद करता है।
- आध्यात्मिक शक्ति के साथ कृष्ण के नाम का जाप हमें अच्छे काम करने और भगवान से अधिक प्रेम करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
- इस मंत्र विशेष को दोहराकर, व्यक्ति अपने विचारों को नियंत्रित कर सकता है। यह हमें ईश्वर को महसूस करने और ईश्वर के प्रति शुद्ध प्रेम महसूस करने में मदद करता है।
- जब हमारा मन नियंत्रण में नहीं होता है तो यह हमें शांतिपूर्ण और स्थिर महसूस करने में भी मदद करता है। इस मंत्र का जाप हमें भगवान से जुड़ने और आंतरिक खुशी महसूस करने में मदद करता है।
- यह हमें भौतिकवादी इच्छाओं से छुटकारा पाने और मोक्ष पाने में भी मदद करता है। जब हम इस मंत्र का पाठ करते हैं, तो हमारा भगवान श्री कृष्ण के साथ एक विशेष संबंध बन जाता है जो हमें मजबूत रखता है।
- इससे चिंताएं दूर होती हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है और हमारे घर में शांति और समृद्धि आती है। यह मंत्र हमें ऊर्जा देता है जो कुछ नया सीखने, काम करने और सफलता प्राप्त करने में भी मदद करता है।
- कुल मिलाकर, यह विशेष मंत्र हमारे जीवन में खुशी, शांति और संतुष्टि लाता है।
यह मंत्र भगवान कृष्ण की भक्तिपूर्ण स्तुति और आह्वान हैI माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने वाले भक्त का आध्यात्मिक विकास होता है और उसे भगवान कृष्ण की शरण प्राप्त होती है। इस मंत्र का अर्थ जानकर आप समझ गये होंगे की इससे समस्त दुःख-विपत्तियों और क्लेशों का नाश होता है।
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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है जिन्हें सामान्य जनरूचि के लिए विभिन्न माध्यमों से संग्रहित किया गया है। इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस सूचना को उपयोग में उपयोगकर्ता स्वयं की ज़िम्मेदारी पर लें। इसका उद्देश्य किसी विशेष धर्म, सम्प्रदाय, धार्मिक एवं व्यक्तिगत विश्वासों को ठेस पहुँचाना नहीं है।