नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को समर्पित है। ऐसे में अगर आप नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की विशेष पूजा करते हैं तो आपके जीवन में आ रही विवाह संबंधी बाधाएं दूर हो सकती हैं। पहले हमने जाना कि देवी स्कंदमाता की पूजा कैसे करें और नवरात्रि व्रत के नियम क्या हैं। आज के लेख में आप जानेंगे कि माता कात्यायनी की पूजा कैसे करें, उनका स्वरूप क्या है, विशेष मंत्र, आरती और माता का प्रिय भोग क्या है।
माता कात्यायनी का प्राकट्य (Chaitra Navratri 2024 Puja)
ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण माता को कात्यायनी कहा जाता है। मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इनकी अराधना से योग्य वर प्राप्त होता है और विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी कात्यायनी की पूजा हमेशा फलदायी होती है और जो लोग देवी कात्यायनी के भक्त होते हैं उन्हें धन, धर्म, सम्रद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस रूप की पूजा करने से चरित्र तेजोमय हो जाता है। इनकी पूजा करने से पारिवारिक जीवन सुखी रहता है और रोग, शोक, कष्ट, भय आदि दूर हो जाते हैं। कात्यायनी मां नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली देवी हैं।
देवी कात्यायनी का स्वरुप (Maa Katyayani Navratri Puja in Hindi)
मां की चार भुजाएं हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र और कमल का फूल है। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य एवं दिव्य है। इनका रंग स्वर्णिम चमकीला और स्फुरदीप्तिमान होता है। उनके बाएं हाथ में कमल और तलवार है, उनके दाहिने हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद का प्रतीक है। मां का वाहन सिंह है और देवी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गोपियों ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी। मान्यता है कि माता कात्यायनी की पूजा करना विवाह संबंधी मामलों के लिए शुभ है और उनकी कृपा से व्यक्ति को मनचाहा और उपयुक्त वर मिल सकता है। हालांकि ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि मां का संबंध बृहस्पति ग्रह से है।
माता कात्यायनी पूजा (Maa Katyayani Puja Vidhi)
- नवरात्रि के छठे दिन लोग सबसे पहले स्नान ध्यान करते हैं, फिर शुभ रंग के वस्त्र धारण कर कलश की पूजा करते हैं और फिर मां दुर्गा के रूप माता कात्यायनी की पूजा करते हैं।
- पूजा शुरू करने से पहले अपने संकल्प को मजबूत करने के लिए हाथ में फूल लेकर अपनी मां का स्मरण करें।
- वह पुष्प माता के चरणों में अर्पित करें।
- फिर देवी मां को कुमकम, अक्षत, फूल, चन्दन और 16 श्रृंगार चढ़ाएं।
- भगवान गणेश की आरती करें।
- फिर भोग और जल अर्पित करें और दीपक से देवी दुर्गा की आरती करें।
- देवी की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी करनी चाहिए।
- देवी माता के मंत्र या “दुर्गा सप्तशती” जैसे स्तोत्रों का जाप करें और अंत में पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
माता कात्यायनी के मंत्र (Mata Katyayani Mantra)
- ॐ ह्रीं नम:
- ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। - चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि।। - कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।। - वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
माँ कात्यायनी की आरती (Mata Katyayani Aarti in Hindi)
जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
माता कात्यायनी का प्रिय भोग, पुष्प और रंग (How to Worship Maa Katyayani)
मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है इसलिए पूजा के दौरान मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें। यह आपके व्यक्तित्व को मजबूत बनाता है।इस देवी को पीला और लाल रंग अत्यंत प्रिय है। इस कारण से आपको पूजा के दौरान मां कात्यायनी को लाल और पीले गुलाब के फूल चढ़ाने चाहिए, इससे मां कात्यायनी आपसे प्रसन्न होंगी।
रीति-रिवाजों के अनुसार, नवरात्रि उत्सव के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। दरअसल कात्यायनी हमारी माता आदिशक्ति पार्वती का ही दूसरा नाम है। ऐसे में नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा करते समय कुछ खास काम करने से आपको शीघ्र विवाह के योग बनेंगे। भक्तों को देवी कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान देवी को सुगंधित पीले फूल और शहद चढ़ाया जाता है। माता की पूजा करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और प्रेम के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
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