Sankashti Chaturthi April 2024: संकष्टी चतुर्थी, हिंदू पंचांग में महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है जो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और भक्तों को संकट से मुक्ति के लिए शक्ति प्रदान करता है। यह व्रत धर्म, श्रद्धा, और आस्था की महत्वपूर्ण परंपरा माना जाता है जिसे लोग बड़े ही भक्ति भाव से मनाते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं सकट चौथ कब है, सकट चौथ का महत्व और पूजा करने की विधि।
संकष्टी गणेश चतुर्थी कब है (Sankashti Chaturthi April 2024)
इस वर्ष, संकष्टी चतुर्थी का पर्व 27 अप्रैल 2024 को पड़ रहा है। इस व्रत का विशेष महत्व तब होता है जब यह व्रत चैत्र मास की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। यह पर्व प्रायः उत्तर भारत के राज्यों जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, और राजस्थान में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस पर्व को संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी, माही चौथ और तिल कुटा चौथ भी कहा जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। यह व्रत बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।
सकट चौथ का महत्व (Sakat Chauth Ka Mahatva)
सकट चौथ के दिन पति की लम्बी आयु और सुखमय जीवन की कामना की जाती है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और उसके बाद ही खाना पिना करती हैं। सकट चौथ व्रत पति की दीर्घ आयु और संतान के लिए किया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat 2024)
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सुबह 8:17 बजे शुरू होगी और अगले दिन 28 अप्रैल को सुबह 8:21 बजे समाप्त होगी।
संकष्टी चतुर्थी चंद्रोदय का समय (Sakat Chauth 2024 Chand Kab Niklega)
चैत्र संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय रात 10 बजकर 23 मिनट का है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा की सामग्री (Sankashti Chaturth Puja Samagri 2024)
- गणेश जी की मूर्ति या चित्र
- चौली, सिन्दूर, रोली, चावल
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद)
- फल, फूल, सुपारी, नारियल
- मिष्ठान्न और प्रसाद के लिए बने खाने के लिए सामग्री
सकट चौथ पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi 2024)
- पहले तो, व्रती व्यक्ति को स्नान करना चाहिए।
- फिर गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर ध्यान करना चाहिए।
- उसके बाद, गणेश चालीसा या मंत्रों का पाठ करें।
- फल, फूल, सुपारी, नारियल, और मिष्ठान्न चढ़ावा चढ़ाएं।
- अंत में गणेश जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
- इस दिन गणेश चालीसा का पाठ जरूर करनी चाहिए।
सकट चौथ के दौरान किन बातों का ध्यान रखें (Sankashti Chaturthi Tips in Hindi)
- सकट चौथ का त्योहार प्रति वर्ष भारतीय महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जिनका उद्देश्य पति की लंबी आयु और उसके लंबे और सुखमय जीवन की कामना करना है।
- यह व्रत पतिव्रता और पतिपरायणता की भावना को दर्शाता है।
- सकट चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, हैं और संध्या के समय सूर्यास्त के बाद व्रत को खोलती हैं।
- सकट चौथ का त्योहार विवाहित और सांसारिक जीवन जीने वाली महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है और इसे उनकी पतिव्रता, प्रेम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- कुछ विशेषज्ञों की मानें तो इस दिन लकड़ी के पाटे पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर ईशान कोण में मिट्टी के गणेश व चौथ माता की तस्वीर स्थापित करनी चाहिए।
- इस दिन विशेष तौर पर मोदक तथा गुड़ में बने हुए तिल के लड्डू का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए।
- कई लोग यह बात नहीं जानते की मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 108 बार जप करना चाहिए।
- सकट चौथ के दिन दान का भी विशेष महत्व होता है इसलिए गाय और हाथी को गुड खिलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
- वही इस दिन ‘ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात‘ का जप जीवन के सभी संकटों और कार्य बाधाओं को दूर करेगा।
- सकत चौथ के दिन तिल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन तिल का दान करने से मनुष्य की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है।
- सकट चौथ के दिन निर्जला उपवास के साथ फलाहार कर सकते हैं, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। फलाहार में आप मीठे फलों और जूस का सेवन कर सकते हैं। इस दिन सेंधा नमक बिलकुल नहीं खाना चाहिए।
- चतुर्थी व्रत कब तोड़ना चाहिए इस बात का भी खास ख्याल रखना चाहिए, ऐसे में आपको बता दें की शिव पूजा पूरी करने के बाद, भक्त उपवास जारी रखते हैं और इसे अगले दिन स्नान करने के बाद ही तोड़ते हैं, विशेषकर चतुर्दशी तिथि समाप्त होने से पहले।
इस विशेष पर्व पर, लोग भगवान गणेश की आराधना और पूजा कर उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का उत्सव श्रद्धा और भक्ति का महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें लोग अपनी अध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रयास करते हैं। यह व्रत संकटों और परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है और भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करता है।