पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान भैरव भगवान शिव का एक रूप हैं जो भय का नाश करते हैं। माना जाता है कि भगवान भैरव अपने अनुयायियों को लालच, वासना और क्रोध से मुक्त करते हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने असुरों और देवताओं में से राक्षसों का नाश करने के लिए भगवान भैरव को उत्पन्न किया।
भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। जिस प्रकार शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए शिव चालीसा का पाठ किया जाता है इसी प्रकार भगवान भैरव की पूजा में चालीसा पाठ का बहुत महत्व है। भैरव चालीसा का पाठ करने से आपको अपने व्यवसाय, जीवन की समस्याओं, शत्रु समस्याओं, बाधाओं, मुकदमों में जीत आदि के लिए काल भैरव की पूजा का लाभ मिलेगा। इस लेख में आप भैरव चालीसा के साथ उसके पाठ की महिमा जानेंगे साथ ही पाठ के लाभ भी पढेंगे।
श्री काल भैरव चालीसा की महिमा (Kaal Bhairav Chalisa in Hindi)
काल भैरव चालीसा का पाठ करने से मन में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार होता है। काल भैरव की कृपा से व्यक्ति को सफलता, बुद्धि, धन, शक्ति और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। काल भैरव के प्रभाव से व्यक्ति धनवान बनता है और उन्नति करता है। वह हर खुशी का भागिदार होता है, उसे कोई कष्ट नहीं होता। काल भैरव की कृपा से ही व्यक्ति सभी समस्याओं से छुटकारा पाता है और तेजस्वी बनता है। इसके अलावा, भैरव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति मृत्यु के चंगुल से बाहर आ जाता है और पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है। शास्त्रों में भी वर्णन है कि भैरव की पूजा करने से जीवन की कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है।
श्री भैरव चालीसा (Shri Bhairav Chalisa Lyrics in Hindi)
श्री गणपति गुरु गौरि पद प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव सङ्कट हरण मङ्गल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल ॥
जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक-भैरव भय हारी । जयति काल-भैरव बलकारी ॥
जयति नाथ-भैरव विख्याता । जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥
भैरव रूप कियो शिव धारण । भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुनि ह्वै भय दूरी । सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो । काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटा जूट शिर चन्द्र विराजत । बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घूँघरू बाजत । दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो । कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली । दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भञ्जन । जय मनरञ्जन खल दल भञ्जन ॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा । कृपा कटाक्श सुयश नहिं थोडा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत । अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन । क्रोध कराल लाल दुहुँ लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत सङ्ग डोलत । बं बं बं शिव बं बं बोलत ॥
रुद्रकाय काली के लाला । महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गँभीरा । श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत नीनहूँ रूप प्रकाशा । भरत सुभक्तन कहँ शुभ आशा ॥
रत्न जड़ित कञ्चन सिंहासन । व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं । विश्वनाथ कहँ दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय । जय उन्नत हर उमा नन्द जय ॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय । वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महा भीम भीषण शरीर जय । रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय । स्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय । गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय । क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय । कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर । चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत । चौंसठ योगिन सङ्ग नचावत ॥
करत कृपा जन पर बहु ढङ्गा । काशी कोतवाल अड़बङ्गा ॥
देयँ काल भैरव जब सोटा । नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जनकर निर्मल होय शरीरा । मिटै सकल सङ्कट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतोङ्के राजा । बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो । सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा । श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो । सकल कामना पूरण देख्यो ॥
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी सङ्कट टार ।
कृपा दास पर कीजिए शङ्कर के अवतार ॥
चालीसा पाठ के लाभ (Kaal Bhairav Chalisa ke Fayde)
- श्री भैरव नाथ की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि चालीसा पाठ के बाद श्री भैरव जी की आरती करें तो उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
- सच्चे मन से श्रीभैरव चालीसा का पाठ करने से साधक को आठ सिद्धियाँ और नौ निधियाँ प्राप्त होती हैं।
- श्री भैरव देव जी की छवि भयंकर होती है, लेकिन जो सच्चे मन से इनकी पूजा करता है,श्री भैरव उनकी रक्षा का दायित्व लेते है।
- जीवन में शुभ और मांगलिक कार्यों में वृद्धि होती है, जिससे परिवार में खुशहाली आती है।
- श्रीभैरव चालीसा का पाठ करने से चिंता दूर होती है। आत्मविश्वास बढ़ता है और आप अपने जीवन में साहस और निडरता महसूस करते हैं।
- श्री भैरव चालीसा का पाठ करने से जीवन की सभी चिंताएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। श्री भैरव जी की पूजा और चालीसा का पाठ करने से सभी चिंताएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस के साथ भैरव मंत्र से साधना भी उत्तम होती है।
- श्री भैरव देव जी सुख दाता हैं। श्रीभैरव चालीसा का पाठ और पूजा करने से सभी कठिनाइयां और समस्याएं दूर हो जाएंगी। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- श्रीभैरव चालीसा का पाठ करने से शारीरिक कष्ट और रोगों से मुक्ति मिलती है। शरीर स्वस्थ एवं स्वच्छ हो जाता है।
- श्री भैरव देव जी को आत्माओं का राजा कहा जाता था। श्री भैरव चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेत, रोग, अज्ञात भय और घबराहट से छुटकारा मिलता है।
- श्रीभैरव चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के शारीरिक कष्ट और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
काल भैरव की पूजा के लिया कालाष्टमी का दिन समर्पित है। यदि नियमित रूप से सच्चे मन से श्रीभैरव चालीसा का पाठ किया जाए तो इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में चमत्कारी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भैरव देव की उत्पत्ति भगवान शिव के रुधिर से हुई थी। भैरव देव दो प्रकार या स्वरुप के होते हैं: बटुक भैरव और काल भैरव। हमारे देश में काल भैरव के सबसे प्रसिद्ध मंदिर उज्जैन और काशी में हैं। प्रसिद्ध बटुक भैरव मंदिर लखनऊ में स्थित है। भगवान भैरव चाहे किसी भी स्वरुप में पूजित हों, भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं।
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