हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता मानकर विधि-विधान से पूजा जाता है। संक्रांति की तिथि भगवान सूर्य की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। संक्रांति के दिन को देश के विभिन्न हिस्सों में एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा, यह देश और विदेश के पर्यावरण और गतिविधियों को भी प्रभावित करता है। आइए जानते हैं कब है मीन संक्रांति और इसका महत्व। साथ ही इस दिन की परम्पराओं के बारे में भी जानेंगे।
मीन संक्रांति कब है 2024 (Meen Sankranti Date and Timings 2024)
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष मीन संक्रांति का पर्व 14 मार्च 2024 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन मीन राशि में संक्रांति का समय 12:45 बजे होगा। पंचांग बताता है कि मीन संक्रांति के दिन शुभ समय दोपहर 12:45 से शाम 06:30 तक है। महा पुण्यकाल 12:45 बजे से 02:40 बजे तक रहेगा। इस शुभ पुण्यकाल के दौरान सूर्य देव की पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।
मीन संक्रांति का महत्त्व (Meen Sankranti Importance in Hindi)
सनातन धर्म में सूर्य की पूजा के लिए संक्रांति पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों पर आधारित 12 राशियाँ होती हैं। जब सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। मार्च में सूर्य देव कुम्भ से मीन राशि में परिवर्तन करते हैं। इसी कारण इसे मीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति के दिन पूजा विधान करना चाहिए और साथ ही, स्नान, ध्यान और दान करने से व्यक्ति को अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है और जीवन की विपत्तियों से छुटकारा मिलता है।
मीन संक्रांति के भौगोलिक और अध्यात्मिक प्रभाव (Meen Sankranti Significance in Hindi)
यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र और शुभ माना जाता है बल्कि व्यावहारिक दृष्टि से भी यह एक अच्छा दिन है। मीन संक्रांति से सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। उत्तरायण के दौरान, सूर्य उत्तर की ओर उगता है और दिन का समय बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप, दिन बड़े हो जाते हैं, रातें छोटी हो जाती हैं और प्रकृति में एक नया जीवन शुरू होता है। इस समय वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है और ऐसे में अगर आप भगवान का ध्यान और पूजा करते हैं तो आपके शरीर, मन और बुद्धि को मजबूत बनाती है। छोटी रातें भी नकारात्मक शक्तियों को कम करती हैं और दिन के दौरान आपको अधिक ऊर्जा देती हैं। इस पवित्र अवधि के दौरान दान कार्य, स्नान आदि बहुत शुभ माने जाते हैं। पुण्य काल में तीर्थ स्थलों और धार्मिक स्थानों पर स्नान किया जा सकता है। मीन संक्रांति सूर्य उपासना का पवित्र पर्व है जो शरीर, मन और आत्मा को शक्ति प्रदान करता है।
ये हैं मीन संक्रांति की परंपरा (Meen Sankranti Rituals in Hindi)
मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान करने से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। इस दिन वैदिक मंत्रों का जाप और दान करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्योदय के समय पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन भूमि दान करना विशेष शुभ माना जाता है। इस दिन लगभग सभी मंदिरों को फूलों से खूबसूरती से सजाया जाता है और दीपक जलाए जाते हैं। मीन संक्रांति पर दान और पुण्य कर्मों को करने से सभी जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। मीन संक्रांति का त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर ओडिशा में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
माना जाता है कि संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से रोग, अभाव और सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है। मीन संक्रांति के दिन दान-पुण्य तथा परोपकार का भी विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करने से आपको देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, जिससे आपके पूर्वजों को भी प्रसन्नता प्राप्त होगी और आपको विभिन्न गृह दोषों से मुक्ति मिलेगी।
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