मार्च का महीना शुरू हो चुका है। यह महीना धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और छुट्टियाँ पड़ती हैं। इस माह विशेष रूप से होली जैसे बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं। होलिका दहन 24 मार्च को समाप्त होता है। इसलिए रंग उत्सव 25 मार्च को मनाया जाता है। देशभर में रंगों से भरी और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग तरह की होली मनाई जाती है। मथुरा वृन्दावन की लठमार होली, फूलों की होली, लड्डुओं की होली, देश में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। ऐसे में आइये लठमार होली के बारे में विस्तार से जानते हैं और साथ ही जानते हैं की मथुरा में होली का कार्यक्रम कैसा रहेगा।
इस दिन मनाई जाएगी बरसाने में लठमार होली (Barsana Lathmar Holi Date and Timings)
इस बार बरसाने में लठमार होली फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अर्थात 18 मार्च को होगी और उसके अगले दिन नंदगांव में लठमार होली का पावन उत्सव मनाया जायेगा।
जानिए मथुरा की होली का पूरा कार्यक्रम (Mathura Holi Dates)
- फुलेरा दूज: इस दिन ब्रज में फूलों की होली खेली जाती है।यह त्योहार कृष्ण की नगरी में बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन की मान्यता है की भगवान कृष्ण और श्री राधा फूलों की होली खेलते हैं। इस बार फुलेरा दूज 12 मार्च को है।
- लड्डू होली :- बरसाना में लड्डू होली 17 मार्च 2024 को होगी। यह त्यौहार द्वापर युग के समय से पहले की तरह ही मनाया जाता आ रहा है। कहा जाता है कि नंदगांव का निमंत्रण स्वीकार कर बरसाना आकर होली खेलने की परंपरा इसी होली से जुड़ी है और आज भी निभाई जाती है। निमंत्रण स्वीकार करने के बाद यहां लड्डुओं की वर्षा की जाती है।
- बरसाने की लठमार होली:- इस साल बरसाना में लट्ठमार होली 18 मार्च 2024 को होगी। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को गोपियों का रूप धारण कर महिलाएं नंदगांव के पुरुषों पर लाठियों से प्रहार करती हैं जबकि पुरुष ढाल लेकर बचते हैं और भाग भी जाते हैं।
- नंदगांव की लठमार होली:- 19 मार्च को नंदगांव में लट्ठमार होली होगी जो की बरसाने के भांति ही मनाई जायेगी।
- रंगभरनी एकादशी:- इसके बाद 20 मार्च को रंगभरनी एकादशी के दिन शिव जी वाराणसी में माता पार्वती का गौना कराने के बाद पहली बार काशी आए, जिसके बाद उनका रंग-गुलाल उड़ाकर धूमधाम से स्वागत किया गया। 20 मार्च को रंगभरनी एकादशी के महोत्सव पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान और वृन्दावन के बांकेबिहारी मंदिर में होली का रंग उड़ेगा।
- काशी में राख की होली:- 21 मार्च 2024 को एकादशी के दूसरे दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर अग्नि की भस्म से होली खेली जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव घाट पर आते हैं और अपनी प्रिय आत्माओं, भूत, पिशाच, दृश्य और अदृश्य शक्तियों के बीच अग्नि की राख से होली खेलते हैं।
- गोकुल की छड़ीमार होली:- भगवान कृष्ण के जन्मस्थल गोकुल में छड़ीमार होली 21 मार्च को मनाई जाने वाली है।
- होलिका दहन:- 24 मार्च 2024 को होलिका दहन किया जाएगा जो धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।
- धुलंडी होली:- 25 मार्च 2024 को देशभर में रंग की होली जिसे धुलंडी होली भी कहा जाता है ।
- दाऊजी का हुरंगा:- जिस तरह होली ब्रज भगवान कृष्ण पर केंद्रित है, उसी तरह हुरंगा दाऊजी भी श्री कृष्ण के बड़े भाई श्री बलदेव जी पर केंद्रित है। हुरंगा में गोपियाँ प्रेम के रूप में गोपों को कोड़े लगाती हैं। इस वर्ष का 26 मार्च को श्री दाऊजी मंदिर में हुरंगा होगा।
- रंग पंचमी:– रंग पंचमी होली उत्सव का आखिरी दिन है। यह त्यौहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह 30 मार्च, शनिवार को होगा।
लठमार होली का महत्त्व (Barsana Lathmar Holi Importance)
लठमार होली भारत का एक प्रमुख त्यौहार है। यह विशेष रूप से बरसाना और नंदगांव में मनाया जाता है। दोनों जगहों को श्रीमति राधा रानी और श्री कृष्ण के निवास स्थल के रूप में भी जाना जाता है। बरसाना और नंदगांव में होली उत्सव के दौरान हर साल लट्ठमार होली खेली जाती है। इस समय देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक इस उत्सव में शामिल होते हैं। यह त्यौहार लगभग एक सप्ताह तक चलता है और रंग पंचमी के दिन समाप्त होता है।
ऐसे मनाई जाती है होली
मथुरा, वृन्दावन और बरसाना की होली उस स्थान के रूप में विश्व प्रसिद्ध है जहाँ भगवान कृष्ण और देवी राधा गोपियों के साथ खेलते हैं। ब्रज में होली का त्योहार यहां 10 दिनों तक मनाया जाता है, जिससे यह दुनिया का सबसे प्रसिद्ध त्योहार बन जाता है। इस दौरान आप यहां के मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं और होली का त्योहार मना सकते हैं। बरसाने में लट्ठमार होली फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंदगांव के ग्वाले होली खेलने के लिए निमंत्रण पर बरसाने आते हैं। अगले दिन फाल्गुन शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाले निमंत्रण मिलते ही होली मनाने के लिए नंदगांव पधारते हैं। उत्सव में ग्वालों को हुरियारे तथा गोपियों को हुरियारन कहा जाता है।
मथुरा, वृन्दावन और बरसाना की होली का दुनिया में बोलबाला है। इस कारण से, हर साल सैकड़ों लोग होली मनाने के लिए भगवान कृष्ण की नगरी में इकट्ठा होते हैं। मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राधा रानी पर रंग लगाकर होली खेलना शुरू किया था। उनका कहना है कि तभी से इस दिन रंग लगाने की परंपरा शुरू हो गई। यह त्यौहार भारतीय परम्पराओं और प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है जो हर एक भारतीय को गौरवान्वित करता है।
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